नई दिल्ली। आय से अधिक संपति मामले में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी पूर्व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह समेत सभी आरोपियों की जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया हैं। फैसला कभी भी सुनाया जा सकता हैं।
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में आज सुबह मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व बाकी आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। सीबीआई ने मुख्यमंत्री व बाकी आरोपियों की ओर से दायर जमानत याचिका का विरोध किया । इस पर अदालत ने अपना फैसला रिजर्व रख लिया। इससे राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया हैं। अमूमन ऐसे स्िथति में अदालतें जमानत दे देती हैं।लेकिन सीबीआई की ओर से जमानत याचिका का विरोध करने से स्थिति विकट हुई हैं।
याद रहे है कि बीते सप्ताह 22मई को आय से अधिक संपति मामले में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह,उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह दिल्ली में सीबीआई अदालत में पेश हुए थे लेकिन उन्हें जमानत नहीं दी। उनकी ओर से दायर जमानत अर्जी का सीबीआई ने विरोध किया जिस पर अदालत ने 29 मई को सुनवाई निर्धारित की थी ।
गौरतलब हो कि सीबीआई अमूमन चालान दायर होने के बाद जांच एजेंसियां जमानत का विरोध नहीं करती हैं।लेकिन यहां सीबीआई ने अलग स्टैंड लिया हैं।
गौरतलब हो कि 31 मार्च को सीबीआई ने आय से अधिक संपति मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व बाकी नौ आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था । इसके बाद उनकी पत्नी व पूर्व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह ने अदालत में अर्जी दायर की थी कि अदालत इस मामले में संज्ञान न ले। प्रतिभा सिंह ने अपनी अर्जी में दलीलें दी थी कि सीबीआई ने इस मामले में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया हैं।
लेकिन बाद में उन्होंने इस अर्जी को वापस ले लिया।
याद रहे कि सीबीआई ने 23 सितंबर 2015 को आय से अधिक मामले में वीरभद्र सिंह व बाकियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद 26 सितंबर 2015 को सीबीआई ने वीरभद्र के हॉलीलॉज समेत सात-आठ ठिकानों में छापेमारी की थी। छापेमारी की थी । इसके बाद वीरभद्र सिंह ने हिमाचल हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर उन्हें गिर फ्तार न करने की प्रार्थना की थी। हिमाचल हाईकोर्ट की जस्टिस राजीव शर्मा की खंडपीठ ने मुख्यमंत्री को राहत देते हुए सीबीआई को आदेश दिए थे कि इस मामले में मुख्यमंत्री से पूछताछ करने,उन्हें अरेस्ट करने व चालान दायर करने से पहले अदालत को जानकारी दें।
सीबीआई ने हिमाचल हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी व सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दिल्ली हाईकोर्ट हस्तातंरित कर दिया।इस बीच सीबीआई की जांच जारी रही । चूंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से दी राहत को नहीं हटाया था सो सीबीआई उन्हें जांच के दौरान अरेस्ट नहीं कर पाई।
सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद चासलान पेश करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से इजाजत मांगी तो मुख्यमंत्री ने अदालत में एफआईआर निरस्त करने की अर्जी डाल दी।लेकिन अदालत ने मुख्यमंत्री की अर्जी खारिज करते हुए सीबीआई को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में चालान दायर करने की इजाजत दे दी। सीबीआई को दिल्ली हाईकोर्ट से जिस दिन (31 मार्च)को ये इजाजत मिली उसने उसी दिन सीबीआई कोर्ट में चालान पेश कर दिया।
सीबीआई ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर 2009 से 2012 के बीच केंद्रीय स्टील मंत्री रहते आय से अधिक संपति बनाने का आरोपलगाया था। सीबीआई ने अपने चालान में कहा है कि उन्होंने 10 करोड़ से ज्यादा की संपति आय से अधिक बनाई व पांच करोड़ की एलआईसी कराई। एलआईसी एजेंट आनंद चौहान ने अपने खाते से ये पैसे जमा कराए।
गौरतलब हो कि इसी मामले से संबंधित एक मामला इडी ने भी दर्ज कर कर रखा हैं। इडी ने वीरभद्र सिंह व उनके पुत्र,पुत्री की दिल्ली स्थिति करोड़ों की संपितयां भी अटैच कर रखी हैं। इडी ने वीरभद्र सिंह से बीते दिनों नौ घंटे पूछताछ की थी। इडी ने आनंद चौहान को पिछले दस महीनों से जेल में डाला हुआ हैं। उन्हें जमानत नहीं मिल रही हैं। इडी ने अभी अपनी एफआईआर में चालान पेश नहीं किया हैं।
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