नई दिल्ली। सीबीआई के विरोध को दरकिनार करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट (सीबीआई कोर्ट) ने आय से अधिक संपति मामले में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह,उनकी पत्नी व पूर्व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह,चुन्नी लाल, आनंद चौहान,वक्कामूला चंद्रशेखर समेत नौ आरोपियों को एक-एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी । अदालत ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत सभी आरोपियों को अपने-अपने पासपोर्ट अदालत में जमा कराने व अदालत की इजाजत के बगैर देश न छोड़ने के आदेश दिए हैं।अगली सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की गई हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत सभी आरोपी आज सोमवार सुबह सीबीआई अदालत में हाजिर हुए व जमानत पर बहस शुरू हुई।सीबीआई ने जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि आरोपी वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं व प्रभावशाली हैं। ऐसे में जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
इस पर अदालत ने सुबह फैसलें को रिजर्व कर दिया । फैसले के रिजर्व होने पर सता के गलियारों में हड़कंप मच गया। पहले फैसला दोपहर बाद दो बजे सुनाया जाना था । लेकिन अदालत ने चार बजे के करीब फैसला सुनाया और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह समेत आरोपियों को जमानत दे दी। जमानत मिलने पर वीरभद्र सिंह खेमे ने राहत की सांस ली ।
सीबीआई अदालत से जमानत मिलने के बाद वीरभद्र सिंह ने मोदी सरकार में वित मंत्री अरुण जेटली, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके पुत्र व हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर पर हमला बोला।
अपने व्हाट्सएप हैंडल पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि मई 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सता में आने के बाद अरुण जेटली के इशारे पर तीनों केंद्रीय एजेंसियों आयकर विभाग,सीबीआई और इडी को अनैतिक तौर पर उनके खिलाफ इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि जेटली ने खुद 2012 में भी ये सारे आरोप लगाए थे।उन्होंने इन आरोपों का मीडिया में जमकर प्रचार कराया। बावजूद इसके भाजपा को प्रदेश में हार का मुंह देखना पड़ा था। अब इन्हीं आरोपों की तीन तीन एजेंसियां जांच कर रही हैं। 2012 में प्रदेश की जनता ने धूमल व उनकी भाजपा को चुनावों में जवाब दे दिया था ।
उन्होंने कहा कि उन्हे चालान की प्रति मिल गई हैं व कानूनविदों से सलाह करके आगामी रणनीति तय की जाएगी।उन्होंने कहा कि वो पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल,उनके पुत्र भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और अरुण जेटली की सक्रिय भागीदारी से राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हुए हैं।वीरभद्र ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका में पूरा भरोसा हैं और वो पाक साफ हो बाहर निकलेंगे।
मुख्यमंत्री अब सीबीआई े शिकंजे से बाहर आ गए हैं। जब तक इडी अदालत में चालान पेश नहीं करती तब तक वो इडी के शिकंजे में रहेंगे। उनकेएलआइसी एजेंट आनंद चौहान अभी जेल में हैं। इडी उनकी जमानत का लगातार विरोध कर रही हैं। लेकिन आज सीबीआई मामले में जमानत मिल जाने के बाद चौहान को इडी मामले में जमानत मिलने की संभावना बढ़ी हैं। वो पिछले नौ महीनों से जेल से हैं।
गौरतलब हो कि 31 मार्च को सीबीआई ने आय से अधिक संपति मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व बाकी नौ आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था । इसके बाद उनकी पत्नी व पूर्व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह ने अदालत में अर्जी दायर की थी कि अदालत इस मामले में संज्ञान न ले। प्रतिभा सिंह ने अपनी अर्जी में दलीलें दी थी कि सीबीआई ने इस मामले में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया हैं।
लेकिन बाद में उन्होंने इस अर्जी को वापस ले लिया।
याद रहे कि सीबीआई ने 23 सितंबर 2015 को आय से अधिक मामले में वीरभद्र सिंह व बाकियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद 26 सितंबर 2015 को सीबीआई ने वीरभद्र के हॉलीलॉज समेत सात-आठ ठिकानों में छापेमारी की थी। छापेमारी की थी । इसके बाद वीरभद्र सिंह ने हिमाचल हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर उन्हें गिर फ्तार न करने की प्रार्थना की थी। हिमाचल हाईकोर्ट की जस्टिस राजीव शर्मा की खंडपीठ ने मुख्यमंत्री को राहत देते हुए सीबीआई को आदेश दिए थे कि इस मामले में मुख्यमंत्री से पूछताछ करने,उन्हें अरेस्ट करने व चालान दायर करने से पहले अदालत को जानकारी दें।
सीबीआई ने हिमाचल हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी व सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दिल्ली हाईकोर्ट हस्तातंरित कर दिया।इस बीच सीबीआई की जांच जारी रही । चूंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से दी राहत को नहीं हटाया था सो सीबीआई उन्हें जांच के दौरान अरेस्ट नहीं कर पाई।
सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद चालान पेश करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से इजाजत मांगी तो मुख्यमंत्री ने अदालत में एफआईआर निरस्त करने की अर्जी डाल दी।लेकिन अदालत ने मुख्यमंत्री की अर्जी खारिज करते हुए सीबीआई को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में चालान दायर करने की इजाजत दे दी। सीबीआई को दिल्ली हाईकोर्ट से जिस दिन (31 मार्च)को ये इजाजत मिली उसने उसी दिन सीबीआई कोर्ट में चालान पेश कर दिया।
सीबीआई ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर 2009 से 2012 के बीच केंद्रीय स्टील मंत्री रहते आय से अधिक संपति बनाने का आरोपलगाया था। सीबीआई ने अपने चालान में कहा है कि उन्होंने 10 करोड़ से ज्यादा की संपति आय से अधिक बनाई व पांच करोड़ की एलआईसी कराई। एलआईसी एजेंट आनंद चौहान ने अपने खाते से ये पैसे जमा कराए।
गौरतलब हो कि इसी मामले से संबंधित एक मामला इडी ने भी दर्ज कर कर रखा हैं। इडी ने वीरभद्र सिंह व उनके पुत्र,पुत्री की दिल्ली स्थिति करोड़ों की संपितयां भी अटैच कर रखी हैं। इडी ने वीरभद्र सिंह से बीते दिनों नौ घंटे पूछताछ की थी। इडी ने आनंद चौहान को पिछले दस महीनों से जेल में डाला हुआ हैं। उन्हें जमानत नहीं मिल रही हैं। इडी ने अभी अपनी एफआईआर में चालान पेश नहीं किया हैं।
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