शिमला। भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व आगामी चुनाव में भाजपा से संभावित सीएम के दावेदार मोदी सरकार के मंत्री जगत प्रकाश नडडा की अंदरूनी जंग के बीच शिमला नगर निगम पर कब्जा करने के लिए निर्दलीय का सहारा लेना पड़ रहा हैं। इसके अलावा इन चुनावों ने ये भी साफ कर दिया है कि प्रदेश का कोई भी चुनाव धूमल के बिना भी जीता जा सकता हैं। धूमल को इन चुनावों में केवल एक ही दिन प्रचार करने पर लगाया था। इन चुनावों ने नडडा की सीएमशिप की दावेदारी और मजबूत कर दी हैं।
नगर निगम में 34 सीटों में से भाजपा ने 17 वार्डों में जीत हासिल की हैं जबकि कांग्रेस के12 ही पार्षद जीत सकी। वामपंथी एक ही सीट जीत पाए। पिछले बार निगम में वामपंथियों के दो महिला पार्षद थी जबकि मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष हुए थे । ऐसे में इन पदों पर भी वामपंथी ही जीते थे। इन चुनावों में चार निर्दलियों ने भी जीत हासिल की हैं।इनमें से एक निर्दलीय भाजपा से हैं बाकी के तीन कांग्रेस के हैं।वामपंथी पार्टी माकपा के राज्य सचिव ओंकार शाद ने दावा किया है कि छह से ज्यादा वार्डों में वामपंथी दूसरे नंबर पर रहे हैं।
उधर,भाजपा के सूत्र बताते है कि भाजपा के दोनों खेमे मिलकर काम करते तो भाजपा के 25 से ज्यादा पार्षद होते । कांग्रेस पार्टी व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस के लिए काम ही नहीं किया ।सीएम आखिर में प्रचार में कूदे।ऐसे में भाजपा के पास निगम चुनावों पर अपनी आंधी चलाने का मौका था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।उसे बागी का सहारा लेना पड़ रहा हैं।
बहरहाल,अब निगम पर भाजपा कब्जा करने जा रही हैं। भाजपा नगर निगम पर 31 सालों के बाद कब्जा करेगी ।पार्टी को इसी बात का मलाल था कि जनता ने वामपंथियों तक को सता दे दी लेकिन भाजपाइयों को मौका नहीं दिया। पार्टी अध्यक्ष सतपाल सती और निगम चुनावों के प्रभारी राजीव बिंदल ने अपना दर्द मीडिया से साझा भी किया था। बिंदल चुनावों के कारगर रणनीतिकार माने जाते रहे हें। जब प्रचार के दौरान उन्हें उन्हें ये लगा की पार्टी को रिस्पांस नहीं मिल रहा हैं तो वो धूमल को मैदान में उतार ले आए और जिन वार्डों में धूमल के करीबी खड़े थे वहां प्रचार करवाया। बेनमोर से किमी सूद,रुल्दू भटटा से संजीव ठाकुर, कृष्णा नगर से बिटटू पाना। बालूगंज से किरण बाबा जैसे ऐसे प्रत्याशी थे जिन्हें धूमल के बेहद करीबी माना जाता हैं। इनमें से कुछ अनुराग ठाकुर की एचपीसीए से भी जुड़े हैं।
प्रचार के दौरान ही येचल पड़ा था कि नडडा खेमा और धूमल खेमा एक दूसरे के लाडलों को चित करने के लिए भितरघात करेगा। लोअर बाजार व रामबाजार में तो ये भितरघात हुआ भी व यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी जीत गए।जाखू में भी ऐसा ही हुआ । यहां भी एचपीसीए के उपाध्यक्ष सुरेंद्र ठाकुर की बीवी खड़ी थी वो हार गई। चूंकि धूमल को प्रचार में ज्यादा दिन उतरने ही नहीं दिया तो काम करने का मौका नहीं मिला।
यहां जाने किस वार्ड से कौन जीता व किसको मिले कितने वोट-:
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