नई दिल्ली/शिमला।मोदी सरकार में वित मंत्री अरुण जेटली के बेहद करीबी व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बड़े़े लाडले अनुराग ठाकुर को भारतीय जनता सुवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष्ा पद से हटा कर उनकी जगह भाजयुमो की कमान महाराष्ट्र की पुनम महाजन को सौंप दी हैंं। अनुराग ठाकुर भाजपा सांसद भी हैं।कहा जा रहा हैै कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जानी है। इस बारे अभी कोई एलान नहीं हुआ हैं।अनुराग ठाकुर छहसालों से भी ज्यादा समय तक इस पद पर रहे थे।
शाह ने अनुराग ठाकुर की तरह बाकी मोर्चो के अध्यक्षों को भी हटा दिया हैं उनकी जगह नइ्र तैनाती की हैं। अनुसूचित जाति मोर्चा की कमान सांसद विनोद सोनकर तो अनुसूचित जनजाति की कमान सांसद रामविचार नेताम को दी गई हैंं।किसान मोर्चा का अध्यक्ष्ा वीरेंद्र सिंह मस्त को बनाया गया हैं जबकि ओबीसी मोर्चा की कमान पूर्व सांसद दारा सिंह चौहान को थ्ामाई गई हैंं
बहरहाल भाजपा के शहंशाह अमित शाह अनुराग ठाकुर से ज्यादा खुश नहीं हैं। अमित शाह जब सोलन में आए थे तो अनुराग ठाकुर को मंच से बोलने का समय ही नहीं दिया था। यही नहीं उनके पिता व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल जो कि 2017 में भाजपा की ओर से सीएम पद के दावेदार हैं,को लेकर भी अमि शाह ने कोई संकेत नहीं दिया था। जिससे ये संदेश गया कि धूमल के अलावा कोई और भी सीएम पद का दावेदार हो सकता हैै।
अब अगर संगठन या मोदी सरकार में अनुराग को बड़ा ओहदा नहीं दिया गया तो इसे उनका कद कम करने की कवायद माना जाएगा।
बीसीसीआई मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत में वो झूठा/गलत शपथपत्र (कोर्ट मित्र गोपाल सुब्रामणियम के मुताबिक) देकर अपना जेल जाने का इंतजाम कर चुके हैं। ये अलग मसला हैं कि मााफी मांग कर वो शायद खुद को बचा सकते हैं। लेकिन इस स्थिति में उनको राजनीतिक तौर बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं।उनके राजनीतिक शत्रु ये हल्ला मचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे की जो शख्स सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र में झूठी जानकारी दे सकता हैं वो जनता को बेवकूफ क्यों नहीं बनाएगा।इसके अलावा हिमाचल में एचपीसीए का मामला पहले ही चल रहा हैं जिसमें एसपीसीए को सोसायटी एक्ट से हटाकर कंपनी एक्ट में पंजीकृत कराने का मामला पड़ताल का विषय बना हुआ हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट में अनुराग के खिलाफ परजूरी का मामला चलाया तो उनके लिए कानूनी व राजनीतिक तौर पर भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
हालांकि ये माना जा रहा हैं कि सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई की ओर से जो भी स्टैंंड लिया जा रहा उसमे वित मंत्री अरुण जेटली की सहमति हैं।
बीसीसीआई मामले में तो अनुराग ठाकुर अपनी फजीहत करवा ही चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के बार बार कहने के बावजूद उसके अादेशों की अनुपालना न करना व शपथपत्र में झूठी जानकारी देना देश की सबसे बड़ी कानूनी अदालत का कद कम करने जैसा है।
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