शिमला।मुख्य सचिव,पुलिस महानिदेशक और वन महकम के प्रमुख समेत कई पदों पर अफसरों को Additional Charge देकर काम चलाने की व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अब दिन दहाड़े झंड होने लगी है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने वीडियो जारी कर सुक्खू की झंड करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन बाकी अफसरों और कांग्रेसी भी अब सुक्खू की कारगुजारियों को दुष्ट कार्यप्रणालियां करार देने पर आ गए है।अब सबकी निगाहें कांग्रेस आलाकमान पर है कि वो इस तरह के अप्रत्याशित घटनाक्रम पर गौर करेगा या नहीं।
नेता प्रदेश जयराम ने तो इस मामले में बखेड़ा ही खड़ा कर दिया है और मुख्यमंत्री सुक्खू से इस्तीफा तक मांग दिया है।
हालांकि पालमपुर कृषि विवि के कुलपति की नियुक्ति का मामला भी जयराम ने उठाया लेकिन पालमपुर कृषि विवि और नौणी बागवानी विवि के कुलपतियों के मसले पर भाजपा की राजनीति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल एक अरसे से करने में जुटे है। यहां पर राज्यपाल अदालत में Litigant तक बने हुए है।
याद रहे https://reporterseye.com ने अफसरों के Additional Charge का मसला पूरा शिद़दत के साथ उठाया था।उसके बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी मैदान में कूद पड़े हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हलचल नौकरशाही और कांग्रेस पार्टी में ही मची हुई हैं।
देखे वीडियो-
ये दीगर है कि सुक्खू की सरकार मित्रों की सरकार से जानी जाती है तो जयराम सरकार मित्रों व मित्रानियों की सरकार के नाम से जानी जाती थी।
जयराम सरकार में क्या-क्या हुआ था सब जानते है।उनकी सरकार एक तरह से आउटसोर्स पर चलती नज़र आ रही थी। विधानसभा तक में इल्जाम लगे की सरकार रिमोट से चल रही है।कभी संघ के इशारे पर तो कभी केंद्र सरकार और कभी किसी और के इशारे पर सरकार चलाने के इल्ज़ाम लगे। लेकिन उनकी सरकार कम से कम अफसरों के Additional Charge के जरिए नहीं चली।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ने तो सुक्खू पर खुले आम हमला बोल दिया है लेकिन पूर्व नौकरशाहों व भाजपा व कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से भी कहा जाने लगा है कि जो मुख्यमंत्री अपना मुख्य सचिव और डीजीपी तय नहीं कर सकता वो प्रदेश का क्या ही भला कर सकता है।
कोई भी मुख्यमंत्री हो वो सबसे पहले अपना मुख्य सचिव तय कर करता है।एक मायने से मुख्य सचिव ही सरकार होती है।अगर प्रदेश में मुख्यमंत्री नहीं है तो मुख्य सचिव ही सरकार चलाता है। इसलिए मुख्य सचिव के पद को कभी भी खाली नहीं रखा जाता।
लेकिन सुक्खू राज में ये पद कई घंटों तक खाली रहा। सूत्रों के मुताबिक बाकी अन्य पदों पर अफसरों जैसे डीजीपी, वन विभाग के प्रमुख आदि व अन्यों को Additional Charge दिया जा सकता है क्योंकि इनके कामकाज के लिए विभागीय सचिव होते है अगर विभागीय सचिव नहीं है तो मुख्य सचिव वो काम संभाल सकता है। लेकिन मुख्य सचिव के ऊपर तो कोई है ही नहीं । जो उनके काम को संभाल सके।
मुख्य सचिव को राज्य ही नहीं अंतराज्यीय,केंद्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े कामकाज को भी देखना होता है।ऐसे में इस पद पर Additional Charge के जरिए काम चलाना सरकार का मखौल उड़ाना ही है जिसे मुख्यमंत्री सुक्खू अंजाम देने में लगे हुए है।
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