शिमला।प्रदेश के वानिकी व बागवानी विवि नौणी व कृषि विवि पालमपुर विवि के कुलपतियों की नियुक्तियों में राज्यपाल और केंद्र सरकार की दखलअंदाजी रोकने के लिए प्रदेश विधानसभा में आज कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने विधेयक पेश कर दिया हैं। इसका नाम हिमाचल प्रदेश कृषि, बागवानी और वानिकी विवि संशोधन अधिनियम 2024 रखा गया हैं। इस विधेयक के तहत चौधरी श्रवण कुमार हिमाचल कृषि विवि पालमपुर और डा.यशवंत सिंह परमार बागवानी व वानिकी विवि नौणी का प्रबंधन किया जाएगा।
याद रहे जब से केंद्र में मोदी सरकार सत्ता में आइर् हैं तब से कांग्रेस व वामपंथी लगातार विवि का भगवाकरण करने का इल्जाम लगाती रही है। इसके अलावा विवि में आरएसएस की पृष्ठभूमि के लोगों की बेशुमार भर्तियां करने का इल्जाम भी लगता रहा हैं। इस मसले पर विभिन्न गैर भाजपा की राज्य सरकारों और संबंधित राज्यों के राज्यपालों के बीच तनातनी भी चलती रही हैं।
इन्हीं तमाम तनातनियों के बीच सुक्खू सरकार दूसरी बार ये संशोधन विधेयक सदन में ले आई हैं।
इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि कुलाधिपति सरकार की सलाह पर विवि के लिए प्रबंध बोर्ड का गठन करेगा। बोर्ड में 19 के करीब सदस्य होंगे जिनमें से अधिकतर राज्य सरकार के अधिकारी व नामित सदस्य होंगे।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि कुलपति विवि का पूर्णकालिक अधिकारी होगा जिसकी नियुक्ति कुलाधिपति यानी राज्यपाल की ओर से गठित चयन समिति की सहायता और सलाह पर की जाएगी।
इस चयन समिति में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक या उसके की ओर से नामित कोई अधिकारी होगा। लेकिन ये उप निदेशक के स्तर के नीचे का अधिकारी नहीं होना चाहिए। इसके अलावा राज्य सरकार और राज्यपाल की ओर से भी एक-एक नामित सदस्य इस समिति में होगा।
विधेयक में कुलपति की नियुक्ति के लिए अब कुलाधिपति की सिफारिश व सलाह की जगह प्रबंध बोर्ड की सलाह पर, का प्रावधान किया है। यानि कुलपति की नियुक्ति विवि के प्रबंध बोर्ड की सलाह पर की जाएगी।
इसके अलावा कुलपति का कार्याकाल अब तीन के बजाय पांच साल करने का प्रावधान किया गया है और कुलाधिपति को कुलपति के इस्तीफे को सरकार की सिफारिश पर तुरंत मंजूर करना होगा।
सुक्खू सरकार ने पिछले साल भी इसी तरह का एक विधेयक सदन में पेश किया था लेकिन ये लटक गया ।
अब सरकार ने इस विधयेक संशोधन कर कुलपतियों की नियुक्तियों के लिए प्रबंध बोर्ड का गठन करने का प्रावधान जोड़ा हैं जिसकी सिफारिश पर राज्यपाल यानी कुलाधिपति को कुलपतियों की नियुक्ति करनी होगी।
इससे इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में राज्यपाल यानी केंद्र सरकार की दखलअंदाजी खत्म हो जाएगी।
सरकार ने इस विधेयक के मंशाओं को लेकर कहा है कि समय बीतने के दौरान ये पाया गया है कि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति में लोकतांत्रिक रूप से चुनी सरकार की इस विषय में ऐसे विवि को अनुदान के रूप में वितीय मदद प्रदान करने के बावजूद बमुश्किल कोई भूमिका हैं।
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