शिमला। ढाई साल के बाद अचानक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की आंखें खुली और उन्होंने प्रशासन में हेरफेर करने वालों के खिलाफ कदम उठाया हैं। पावर कारपोरेशन के दिवंगत चीफ इंजीनियर की मौत मामले में सुक्खू के अफसरों ने जो हाहाकार मचाया था उसने सुक्खू की चूलें भी हिला कर रख दी।ये हाहाकार हाईकोर्ट में पूरे प्रदेश ने देखा था और कांग्रेस पार्टी सरकारें कैसे चलाती हैं, इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी गई थी।
बीती रात को मुख्यमंत्री सुक्खू ने प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा से गृह महकमें का जिम्मा छीन लिया जबकि डीजीपी अतुल वर्मा से भी डीजीपी और अपने सबसे वफादार पुलिस अफसर एसपी शिमला संजीव गांधी से एसपी का जिम्मा छीन लिया।
सुक्खू की ये सर्जिकल स्ट्राइक ढाई साल के शासन में पहली बार देखने को मिली थी। अब तक वो सरकारी कर्मचारियों और मीडिया वालों पर ही स्ट्राइक करते रहे थे।
बीती शाम को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की ओर से जारी आदेशों की बानगी भी देखने लायक हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा से गृह महकमका जिम्मा तो छीन ही लिया है साथ ही उनके पास राजस्व विभाग भी था वो भी छीन लिया। इसके अलावा वो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष भी थी। सुक्खू ने ओंकार शर्मा से ये महत्वपूर्ण ओहदा भी छीन लिया।
उनसे जनजातीय विभाग और जल शक्ति विभाग भी छीन लिया गया है। बीती रात के आदेशों मुताबिक उनके पास केवल वितायुक्त राजस्व का जिम्मा रखा गया हैं।यानी कि सुक्खू ने ओंकार शर्मा से सब कुछ छीन लिया।
अब सुक्खू ने गृह विभाग का जिम्मा अब तक हाशिए पर धकेले गए 1993 बैच के आइएएस अफसर के के पंत को सौंप दिया हैं। उन्हें राजस्व के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का जिम्मा भी सौंप दिया गया हैं।
जबकि ओंकार शर्मा के पास जो जनजातीय विभाग था उसे अब 2008 बैच के आइएएस अफसर संदीप कदम को सौंप दिया है और जल शक्ति विभाग 2008 बैच की आइएएस अफसर राखी काहलों को सौंपा गया हैं।
इसके बाद सुक्खू ने 1993 बैच के आइपीएस डीजीपी अतुल वर्मा से भी डीजीपी का जिम्मा छीन लिया हैं। चीफ सेक्रेटरी प्रबोध सक्सेना के हवाले से स्पेशल सेक्रेटरी गृह मनोज चौहान की ओर से जारी आदेशों में कहा कि अतुल वर्मा छुटटी पर चले गए है और डीजीपी का अतिरिक्त जिम्मा डीजीपी विजीलेंस अशोक तिवारी देखेंगे।याद रहे अतुल वर्मा 30 मई को सेवानिवृत हो जाने है व वो सेवा विस्तार के लिए गोटियां फिट करने में लगे हैं।
तीसरी गाज सुक्खू के सबसे वफादार पुलिस अफसर शिमला के एसपी 2012 के आइपीएस संजीव गांधी पर गिरी हैं। आदेश के मुताबिक वो मेडिकल लीव पर चले गए हैं। दिलचस्प तौर पर शिमला जैसे महत्वपूर्ण जिला के एसपी का जिम्मा सोलन जिला के एसपी गौरव शर्मा को दिया गया हैं। गौरव शर्मा शिमला के एसपी के साथ-साथ सोलन जिला के एसपी का जिम्मा भी संभालते रहेंगे।
अब सुक्खू को ये सलाह पता नहीं किसने दी कि एक एसपी दो-जिलों का जिम्मा संभाल सकते हैं। सुक्खू सरकार की गवर्नेंस अनूठी हैं।
बहरहाल, सुक्खू ने ढाई साल में पहली बार में कुछ तो किया । काश वो विमल नेगी मामले में मुख्य आरोपी देशराज, आइएएस हरिकेष मीणा और शिवम प्रताप सिंह को भी ठिकाने लगा देते। लेकिन वो उनका अब भी बचाव करते नजर आ रहे हैं। अगर वो ऐसा कर देते तो हीरो बन जाते। इसके अलावा उनको चीफ सेक्रेटरी प्रबोध सक्सेना और अपने सलाहकार राम सुभाग सिंह से भी निजात प लेनी चाहिए। अन्यथा जितनी देर करते रहेंगे फजीहत होती ही रहेंगी।
याद रहे डीजीपी अतुल वर्मा ने शिमला के एसपी के निलंबित करने की चिटठी गृह सचिव ओंकार शर्मा को लिख दी थी। इस चिटठी को मुख्यमंत्री सुखविंदर भरी प्रेस कांफ्रेस में संवाददाताओं से मांगते फिरते नजर आए थे। यानी डीजीपी अतुल वर्मा और अतिरिक्त मुख्य मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा ने इस वाटसएप के जमाने में मुख्यमंत्री से ये चिटठी साझा ही नहीं की थी। सुक्खू को इस कांड से एक सबक जरूर लेना चाहिए कि मीडिया के चंद चकोरों की जुंडली के अलावा बाकी जमीनी स्तर पर काम करने वाले मीडिया वालों से बना के रखनी चाहिए थी तब चिटिठयां तो क्या वो कई -कई कांड सुर्खिया बना देंगे।
बहरहाल, सुक्खू ने ये कदम ऐसे ही नहीं उठाया है। शायद उनको भीतर से किसी ने जानकारी मुहैया करा दी कि जब वो दिल्ली में थे उनकी सरकार को डांवाडोल करने की कोशिशें हुई थी।
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