मुंबई, 20 मार्च: महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए महाराष्ट्र आवश्यक सेवाएं रखरखाव अधिनियम (MESMA) लागू करना जरूरी था । राज्य महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने राज्य विधान परिषद में कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों को स्तनपान कराने वाली तथा गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के लिए कार्य करना आवश्यक है।
राज्य सरकार ने पिछले हफ्ते कानून और न्यायपालिका विभाग से परामर्श के बाद आंगनवाड़ी, महिला और बाल देखभाल केंद्रों के कर्मचारियों द्वारा रखी गई हड़ताल को रोकने के लिए MESMA लगाने जाने का आह्वान किया था।
पंकजा मुंडे ने सदन में प्रश्न उठाते हुए कहा कि”अगर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक महीने के लिए हड़ताल पर जाते हैं, तो बच्चों और महिलाओं को इस अवधि में पोशाहार नहीं खिलाया जा पाएगा। क्या कुपोषित बच्चों की भलाई सुनिश्चित करना गलत है?” उन्होंने महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए इस अधिनियम को लागू करने के लिए विपक्ष के समर्थन की मांग की है।
पंकजा मुंडे ने कहा कि यदि पुलिस, डॉक्टरों और सफाई कर्मचारी जैसे अन्य लोगों को कानून और व्यवस्था और नागरिकों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम के तहत लाया जा सकता है, तो यह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवाओं पर भी लागू हो सकता है। सभी कानूनों की पूर्ति के बाद महाराष्ट्र आवश्यक सेवाएं रखरखाव अधिनियम कानून को लाया गया था।
वह कहती हैं कि सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवानिवृत्ति की आयु 65 से 60 तक लाने का अपना पहला फैसला रद्द कर दिया है, और यह कानून केवल नयी नियुक्तियों पर ही लागू होगा, वहीं जो कर्मचारी पहले से ही इन केंद्रों पर काम कर रहे हैं उन पर यह लागू नहीं होगा।
साभार एजेंसी
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