शिमला।मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा के बेहद करीबी हिमाचल केडर के 1982 बैच के आईएएस अफसर विनीत चौधरी के खिलाफ लंबित तीन चार्जशीटों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बंद कर दिया है।मोदी सरकार ने इस बावत सीवीसी से मंजूरी ली है या नहीं इस बावत कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल रही है लेकिन सीवीसी को इस बावत जानकारी दे दी गई है।
बहरहाल चौधरी के लिए ये राहत की बात है।उनसे जूनियर अफसर वी सी फारका को वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से के हिमाचल का चीफ सेक्रेटरी बनने के कारण चौधरी छुटटी पर चल रहे है। इन चार्जशीटों की वजह से वो भरत सरकार में भी पैनल पर नहीं आ पा रहे थे। समझा जा रहा है कि अब वो भारत सरकार के सचिवों के पैनल में आ जाएंगे। समझा जा रहा है कि कम से कम नडडा उनके लिए इतना तो कर ही देंगे।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में बड़ा खेल हुआ है। जिसमें मोदी सरकार,सीवीसी समेत सारे सवालों में घिरे हुए हैं।इस बीच हिमाचल के आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद की रेस में टॉप पर नडडा की एक दिलचस्प चिटठी भी सामने आई है। ये चिटठी नडडा ने 2015 में लिखी थी।
उधर, एम्स के इन घोटालों को दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 सितंबर को एक याचिका की सुनवाई करते हुए एक महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।इन तीन चार्जशाीटों को लेकर मोदी सरकार दिल्ली हाईकोर्ट में क्या जवाब देगी ये दिलचस्प होगा।दिल्ली हाईकोर्ट में
गौौरतलब हो कि हिमाचल केडर के वरिष्ठ आईएएस अफसर विनीत चौधरी के कारनामों को लेकर यूपीए सरकार के दौरान तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद जबकि मोदी सरकार के दौरान पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के कार्याकाल में दो चार्जशीटें स्वास्थ्य मंत्रालय में लंबित थी। जबकि एक मामले में सीबीआई ने विभागीय कार्यवाही करने का आग्रह किया थेे।
विनीत चौधरी के खिलाफ ये तीनों चार्जशीटें उस समय मंजूर हुई थी जब चर्चित व मैग्ससे अवार्डी आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी एम्स में चीफ विजीलेंस अफसर थे।तब जगत प्रकाश नडडा विनीत चौधरी के पक्ष में आ खड़े हुए थे व चतुर्वेदी को सीवीओ के पद से हटाने के लिए कई चिटिठयां गुलाम नबी आजाद के अलावा हर्ष वर्धन को भी लिखी थी।बाद में वो खुद ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बन गए।
इस बीच नडडा ने 15 मई 2015 को एक चिटठी लिखी कि जिसमें उन्होंने कि वो विनीत चौधरी के मामलों से खुद को अलग करते है व चौधरी से जुड़े सारे मामलों की फाइलें कार्मिक विभाग को सौंप दी जाए ताकि वो कार्मिक विभाग आगे की कार्यवाही करे।
इस बीच पता चला है कि नडडा ने तो खुद को माामले से अलग कर दिया लेकिन उनके मातहत केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री फगन कुलस्ते ने इस मामले में दखल देकर विनीत चौधरी की सभी चार्जशीटें बंद करवा दी।जबकि कायदे से जूनियर मंत्री ऐसा नहीं कर सकते थे। ऐसे मामलों को बंद करने से पहले सीवीसी की मंजूरी लाजिमी होती है। लेकिन यहां पर सीवीसी को केवल जानकारी दी गई है।ये दिलचस्प है।हालांकि अभी तस्वीर साफ होनी बाकी है। इस मसले पर मोोदी सरकार के स्वाास्थ्य सचिव सीके मिश्रा से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।उन्हें संदेश छोड़ा गया है।
ये रहा नडडा की ओर से लिखा गया दिलचस्प पत्र-:
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकासर के अफसरों,मंंत्रियों और विधायकों को मोदी सरकार की एजेंसियां धड़ाघड़ धरपकड़ कर रही है जबकि अपनेलाडले अफसरों कोबचाने में कोई कोर कसर नहीं छज्ञेड़ रहींहे। हिमाचल कैडर के तो कई अफसरों पर मोदी सरकार बेहद मेहरबान रही है।
भाजपा सांसद व बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की एचपीसीए से जुड़े मामलों में शामिल अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह पी सी धीमान पर मोदी सरकार खास मेहरबान रही है। इन सभी अफसरों के खिलाफ दर्ज मामलों में प्रदेश सरकार ने मोदी सरकार से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। जिसे मोदी सरकार ने नामंजूर कर दिया।अब हिमाचल कैडर के 1982 बैच के अफसर विनीत चौधरी पर एक बार फिर मोदी सरकार मेहरबान हुई है।उपरोक्त सभी अफसर पूर्व की भाजपा की धूमल सरकार के करीबी अफसर रहे हैं।
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