नई दिल्ली, 27 जुलाई : दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवेश परीक्षा में सफल रहे दिव्यांग छात्रों को एमफिल और पीएचडी में दाखिला देने का आज जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को निर्देश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसके पूर्व के आदेश में लगायी गयी रोक जेएनयू में दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी) श्रेणी में सफल रहे छात्रों के दाखिले की राह में आड़े नहीं आएगी।
पूर्व के आदेश में विश्वविद्यालय को एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों की पांच प्रतिशत खाली सीट पर दिव्यांग छात्रों को दाखिला देने से रोका गया था।
अदालत नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड की ओर से 2018-19 शैक्षाणिक सत्र के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की दाखिला नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
फेडरेशन ने लिखित परीक्षा को कोई महत्व (वेटेज) नहीं देने के विश्वविद्यालय के फैसले को भी चुनौती दी और आरोप लगाया गया कि विश्वविद्यालय संवैधानिक निर्देश के बावजूद प्रवेश परीक्षा में दिव्यांग लोगों को कोई भी छूट प्रदान करने में नाकाम रहा। मौखिक परीक्षा (साक्षात्कार) के लिए 100 प्रतिशत अंक निर्धारित करने को भी अनुचित बताया गया।
फेडरेशन की ओर से वरिष्ठ वकील एस के रूंगटा ने कहा कि पीडब्ल्यूडी श्रेणी के तहत सफल छात्रों का परिणाम जेएनयू की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया।
इस पर पीठ ने विश्वविद्यालय को समूचा परिणाम वेबसाइट पर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया।
साभार एजेन्सी
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