शिमला। देश के सबसे बडे कारोबारी अदाणी समूह की कंपनी जिला सोलन के दाडला व जिला बिलासपुर के बरमाणा में सीमेंट ढुलाई का काम कर रहे हजारों ट्रक आपरेटरों को मौजूदा मालभाडे से कम मालभाडे पर झुकाने में कामयाब हो गई हैं। आज राजधानी में सरकार के साथ हुई वार्ता में मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह सुक्खू और अदाणी समूह की ओर से इस विवाद के सुलझ जाने का दावा किया गया हैं। हालांकि आपरेटरों की ओर से इस बावत शाम तक कोई भी आधिकारिक ब्यान जारी नहीं किया गया था।दावा किया गया कि आपरेटरों ने इन नई दरों पर सहमति जताई हैं।
अदाणी समूह की ओर से कंपनी के प्रवक्ता अंशुमन गुंजन की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि बरमाणा के एसीसी सीमेंट कारखाने और दाडला के एंबुजा सीमेंट कारखाने के लिए सिंगल एक्सल ट्रकों का मालभाडा 10 रुपए 30 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर तय हुआ हैं। पहले यह बरमाणा में यह मालभाडा 11रुपए 41 पैसे मिलता था। जबकि अंबुजा में 10 रुपए 58 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर था।
अब बरमाणा में ट्रक आपरेटरों को 1 रुपए 11 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर कम मालभाडा मिलेगा यानी उन्हें इस 1रुपए 11 पैसे का घाटा उठाना पडेगा जबकि दाडला में आपरेटरों को 28 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर का के हिसाब से घाटा उठाना पडेगा।
उधर,मल्टी एक्सल ट्रकों का मालभाडा दोनों ही कारखानों (दाडला व बरमाणा)में 9 रुपए 30 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय कर दिया गया हैं। अदाणी की ओर से जारी विज्ञप्ति में मल्टी एक्सल ट्रकों का पहले कितना मालभाडा तय था इसका खुलासा नहीं किया हैं। आपरेटरों के मुताबिक बरमाणा में मालभाडे में काफी कटौती की गई हैं।
वार्ता के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने दावा किया कि सरकार की मध्यस्थता और लगातार बातचीत से कंपनी प्रबंधन ढुलाई की नई दरों पर सहमत हो गया है। फैक्ट्री प्रबंधन ने कल से ही सीमेंट उत्पादन दोबारा शुरू करने पर अपनी सहमति जताई है व ट्रक ऑपरेटर्ज भी इन दरों पर ढुलाई के लिए तैयार हो गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ढुलाई दरों में वार्षिक वृद्धि से संबंधित मामलों के लिए प्रधान सचिव उद्योग तथा अन्य अधिकारी एक फार्मूला तय करेंगे। इसके अलावा ट्रक ऑपरेटर्ज की अन्य समस्याओं के निदान के लिए सोलन तथा बिलासपुर जिला के उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं और वे कंपनी प्रबंधन के साथ मिलकर इसका समाधान सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के सत्ता संभालने के 5 दिन के बाद ही यह विवाद सामने आया और सीमेंट फैक्टरी प्रबंधन ने उत्पादन रोकने की घोषणा कर दी। 16 दिसंबर को ट्रक ऑपरेटर्ज हड़ताल पर चले गए थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इस मामले की पूरी जानकारी प्राप्त की। प्रदेश सरकार लगातार ट्रक ऑपरेटर्ज और फैक्ट्री प्रबंधन के साथ बातचीत करती रही। दाड़लाघाट और बरमाणा स्थित सीमेंट फैक्ट्री का स्वामित्व बदलने के बाद प्रबंधन पुरानी दरों पर ढुलाई भाड़ा प्रदान करने को सहमत नहीं था और यहीं से विवाद बढ़ता गया।
उन्होंने कहा कि इस विवाद का सभी पक्षों को नुकसान हो रहा था। प्रदेश में सीमेंट उत्पादन रुकने से जहां आर्थिक तौर पर नुकसान हो रहा था वहीं इस से जुड़े ट्रक ऑपरेटर्ज, ट्रक चालक एवं परिचालक, गाड़ियों की मरम्मत तथा अन्य कार्यों में जुटे स्थानीय लोगए ढाबा संचालक इत्यादि हजारों परिवार भी आर्थिक तंगी की हालत में जा रहे थे। ऐसे में प्रदेश सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण से भी इस मामले को हल करने के लिए लगातार प्रयास किए।
सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार का स्पष्ट मानना है कि ट्रक ऑपरेटर्ज के साथ-साथ वहां कार्य कर रहे कर्मचारियों तथा अप्रत्यक्ष तौर पर फैक्ट्री के आसपास रोजगार में लगे लोगों के परिवारों के हितों की रक्षा की जाए। साथ ही प्रदेश सरकार फैक्ट्री प्रबंधन को भी नुकसान के पक्ष में नहीं थी।
बैठक में मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार मीडिया नरेश चौहान, बिलासपुर ट्रक ऑपरेटर यूनियन के अध्यक्ष राकेश ठाकुर तथा अन्य प्रतिनिधि और सोलन जिला से ट्रक ऑपरेटर यूनियन के अध्यक्ष जयदेव कौंडल तथा अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए। अडानी समूह की ओर से मनोज जिंदल और संजय वशिष्ट ने बैठक में भाग लिया।
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