शिमला। बुजुर्ग मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अनाडेल मैदान को सेना के पास ही रहने देने का भरोसा देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके लाडले पुत्र भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर पर आड़ से हमला किया है।
उन्होंने दोनों पिता-पुत्र पर हमला करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ” खेल और चालों ”के लिए अनदेखा नहीं की जा सकती है। क्योंकि क्रिकेट मैदान और स्टेडियम का प्रस्ताव इस मैदान की हरियाली को नष्ट कर देगा तथा यह एक कंकरीट के जंगल में तबदील हो जाएगा। वैसे भी यह मैदान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रणनीतिक दृष्टि को ध्यान में रखते हुए सेना को प्रदान किया गया था और केवल यही एक स्थान है जहां आपातकालीन स्थिति में हेलीकाॅप्टर उतारे जा सकते हैं, इसलिए यह मैदान सेना अभ्यासों के उददेश्यों के लिए सेना के पास ही रहेगा।
वीरभद्र सिंह ने इससे पहले भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर पर ये कह कर हमला बोला था कि उनकी बीसीसीआई से छुटटी होने वाली हैं इसलिए उन्हें हमीरपुर में अपनी दुकान खोल लेनी चाहिए।इस पर अनुराग ठाकुर ने पलटवार किया हैं।
वीरभद्र ने कहा कि पूर्व इस मैदान को हथियाने के कई असफल प्रयास किए गए, लेकिन हम यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हालांकि सरकारें बदलती रहती हैं पर इस मैदान का अधिकार उचित देखभाल के लिए सदा सेना के पास ही रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस उददेश्य को सुनिश्चित बनाने के लिए इस मैदान के आसपास किसी भी प्रकार की ऊंची ईमारतों का निर्माण नहीं किया जाएगा।गौरतलब हो कि धूमल सरकार के दौरान जब केंद्र में एनडीए सरकार थी तो अनाडेल मैदान को एचपीसीए को देने का खेल खुरू हुआ था। तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्डानींस के अलावा तत्कालीन सेना के अफसरों को भी आइने में उतारने का इंतजाम हुआ था। लेकिन विरोध के चलते यह मुहिम सिरे नहीं चढ़ पाई थी।
वीरभद्र सिंह ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित पश्चिमी कमान में आयोजित सिविल मिलिट्री लाॅयज़न कांफ्रेस के अवसर पर कहा कि रणनीतिक उद्देश्यों तथा आपदा राहत और प्रबन्धन के अभ्यासों के लिए उचित एवं खुले स्थान की दृष्टि से शिमला स्थित अनाडेल मैदान को सेना के अधीन रखा जाएगा।
चूंकि चुनावों का साल शुरू होने वाला है तो मोदी सरकार की तरह सेना के लिए वीरभद्र सिंह सरकार का लाड भी उमड़ पड़ा हैं।उन्होंने कहा कि सरकार सेना द्वारा ऊना तथा बिलासपुर जिलों के साथ लगती भूमि पर मिलिटरी स्टेशनों को स्थापित करने में विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के प्रयासों में पूरा सहयोग देगी, क्योंकि यह कदम सुरक्षा की दृष्टि से जनहित में है। सरकार विभिन्न स्तरों पर इन प्रमाण पत्रों को लेने के अलावा अन्य मंजूरियों को प्राप्त करने में भी सेना को पूर्ण सहयोग देगी।
बिलासपुर में कुछ एकड़ भूमि के अलावा ऊना जिले में 1053.46 एकड़ भूमि को इस उददेश्य के लिए चिन्हित किया गया है। बिलासपुर के उपायुक्त ने वन भूमि के हस्तांतरण के लिए वन मंजूरी (एफसीए) में आवश्यक प्रमाण पत्र भी सौंप दिए हैं।
वीरभद्र ने गोलाबारूद स्थल के लिए जनजातीय जिला किन्नौर में भारत.तिब्बत राष्ट्रीय उच्च मार्ग के साथ लगती भूमि प्रदान करने की मंजूरी भी दी। सेना ने यह मांग भी रखी थी कि गोलाबारूद स्थल को पोआरी से किन्नौर में पुनःस्थापित किया जाएगाए क्योंकि कड़छम जल विद्युत परियोजना ष्सेना की जिम्मेदारी (एरिया आॅफ रिस्पांसिबिलिटी) स्थापित किया जा रहा है। यह भी तय हुआ है कि सरकार आपसी सहमति से सीमा क्षेत्र की ओर राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर अन्य किसी स्थान पर गोलाबारूद स्थलध्डिपो के शीघ्र पुनस्र्थापन को सरल बनाएगी ताकि जल विद्युत परियोजना निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया जा सके।
यह भी निर्णय लिया गया कि सेना भूमि पर अतिक्रमण या अधिग्रहण जैसे मामलों पर राज्य स्तरीय समन्वय समिति में चर्चा की जाएगी।
सेना अधिकारियों ने सरकार से नूरपुर, शाहपुर, ज्वाली, भरवाईं और ऊना में नागरिक एजेंसियों द्वारा पांच कैंपिंग मैदानों पर अतिक्रमण को ध्यान में रखते हुए समान अनुपात तथा मूल्य वाली भूमि का आवंटन करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस ओर हर संभव कदम उठाएगी और सेना के साथ रहकर मौजूदा रिश्तों को और सुदृढ़ बनाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में 1.10 लाख भूतपूर्व सैनिक हैं, लगभग 1050 युद्ध विधवाएं तथा लगभग 400 अन्य विधवाएं हैं और राज्य सरकार सेवारत और भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री का सेना के पश्चिमी कमान के कमांडर ले. जनरल सुरिन्द्र सिंह ने गर्मजोशी से स्वागत किया। ले. जनरल ने कहा कि सेना के सेवानिवृत सैनिकों के कल्याण के लिए सूचीगत स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सा देखभाल की सुविधा घरद्वार पर सुनिश्चित बनाने के लिए और सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीमाक्षेत्रों के समीप और अधिक सेना की तैनाती की प्रतिबद्धता को पूर्ण करने के लिए रणनीतिक दृष्टि को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों में अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता है। उन्होंने लंबे समय से अतिक्रमित या नागरिक अधिकारियों द्वारा कब्जे में रखी गई भूमि मामलों को शीघ्र सुलझाने का मामला भी उठाया। उन्होंने इसके एवज़ में किसी ओर स्थान पर भूमि प्रदान करने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि ऊना में सीएसडी का मामला सेना मुख्यालयों में फिर से उठाया जाएगा ताकि इसे निकटतम भविष्य में स्थापित किया जा सके।
उन्होंने राज्य में सेवारत तथा भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण से सम्बन्धित अन्य मामलों को भी उठाया और कहा कि सेना अपने सेवानिवृत सैनिकों के लिए प्रतिबद्ध है और आपदाओं के निवारण के प्रयास में राज्य सरकार का सहयोग करेगी।
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