शिमला। भ्रष्टाचार के आरोप लगानेे पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुुमार धूमल, उनके बड़े बेटे भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और छोटे धूमल के नाम से मशहूर अरुण ठाकुर पर मानहानि का मुकदमा चलेगा या नहीं ये कल 25 नवंबर को शिमला की जिला अदालत में तय होगा। 25 नवंबर को यह मामलाा फैसले के लिए लगा है।
इस मामले में सबसे ज्यादा हैरानजनक व खास बात ये है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मोदी सरकार में वित मंत्री व वीरभद्र के दावों के मुताबिक उनके खिलाफ सीबीआई,इडी में चल रहे मुकदमों के लिए जिम्मेदार अरुण जेटली को बाहर कर दिया था।
अरुण जेटली ने दिल्ली में मीडिया से कहा था कि वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते रिश्वत ली थी ।इसके अलावा उन्होंने वक्कामूला कांड से लेकर स्कूटरों पर सेब ढोने तक के इल्जाम लगाए थे। इसी तरह के आरोप अलग -अलग समय में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमाार धूमल व उनके दोनों पुत्रों अनुराग ठाकुर व अरुण धूमल ने भी लगाए थे।
वीरभद्र सिंह ने इस बावत अरुण जेटली समेत इन सबके खिलाफ शिमला की सीजेएम की अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था। लेकिन इस बीच न जाने क्या हुआ कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के नाम को अपनी याचिका से वापस लेकर सबको हैरान कर दिया था।
उधर सीजेएम की अदालत ने मुकदमा चलाते हुए धूमल व उनके दोनों बेटों को सम्मन जारी कर दिया। धूमल ने सम्मन ले लिया था जबकि अनुराग व अरुण को सम्मन की तलबी नहीं करवाई जा जा सकी थी
वीरभद्र सिंह की ओर से जेटली का नाम वापस लेने के बाद धूमल ने जिला अदालत में सीजेएम की अदालत की ओर से जारी तलबी के सम्मन को जिला अदालत में चुनौती दे दी थी व अदालत ने इस पर स्टे दिया।धूमल की ओर से दलील दी गई कि इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस अरुण जेटली ने की थी व वही मानहानि के मुख्य आरोपी थे। लेकिन वीरभद्र सिंह ने अपनी याचिका से जेटली का नाम वापस ले लिया हैं,ऐसे में बिना मुख्य आरोपी के उन पर मुकदमा कैसे चल सकता है।अदालत में 25 नवंबर को इस मामले में फैसले के लिए तारीख लगी है।
इस मामले पर राजनीति में दखलरखने वाले सभी लोगों की निगाह लगी हुई है।
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