शिमला। पिछले पांच सालों में प्रदेश में वाहनों के सडक से नीचे लुढक जाने की 3020 दुर्घटनाएं हुई है जिनमें 2633 लोगों की जानें गई है और 6792 लोग जख्मी् हुए हैं। राज्यं पुलिस के मुताबिक यह तमाम दुर्घटनांए सडकों के किनारे क्रैश बैरियर न होने की वजह से हुई है। यह दावा राज्य पुलिस ने पिछले पांच सालों में हुई विभिन्नि दुर्घटनाओं की वजहों का विश्लेषण करने के बाद किया है। पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी इन दुर्घटनाओं को लेकर जारी किए गए विश्लेाषण के मुताबिक प्रदेश में आए दिन यात्रियों से भरे छोटे –बडे वाहन सडकों से नीचे खाई व नदी- नालों में लुढकते रहे हैं।
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने इस विश्लेषण के आंकडे जारी करते हुए कहा है कि 2017 से 2021 तक पिछले पांच सालों में जिला शिमला में सबसे ज्याादा 973 वाहन सडक से नीचे लुढके हैं यह कुल ऐसी 3020 दुर्घटनाओं के 32 फीसद हैं। इसके बाद 425 वाहन मंडी जबकि चंबा व सिरमौर में 306 वाहन खाई में गिरे हैं। सबसे ज्यादा मौतें भी जिला शिमला में ही हुई हैं। जिला शिमला में869,मंडी में 331, और चंबा 284 मौतें हुई हैं।
इस अध्येयन में यह भी खुलासा हुआ है कि प्रदेश के ग्रामीणी इलाकों में 2881 वाहन सडक से नीचे गिरे है जो कुल मामलों का 85 फीसद है।
अध्य यन में यह भी पाया गया है कि सबसे ज्यादा वाहनों की लुढकने की घटनाएं शाम छह बजे से नौ बजे के बीच हुई हैं।
यही नहीं 1679 वाहन यानी 56 फीसद वाहन प्रदेश के संपर्क मार्गों पर लुढकर नीचे कहीं खाई, नाले, ढांक व नदी नालों में गए हैं। जबकि बाकी 1185 राष्ट्री य व राज्य उच्च मार्गों में नीचे चले गए । इस अध्ययन में यह भी सामने आया है कि सबसे ज्यादा 1264 वाहन तीव्र गति की वजह से सडक से नीचे गए हैं जबकि 641 वाहन खतरनाक ड्राइविंग की वजह से और 609 लापरवाही से मोड मोडने की वजह से सडक से नीचे लुढके हैं।
राज्य पुलिस के अध्य यन के मुताबिक पिछले पांच सालों में सबसे ज्याादा 1530 कारें सडक से नीचे गिरी है जबकि उसके बाद 592 पिकअप व जीपें जबकि 79 बसें सडक से लुढक कर खाई में गिरी हैं।
प्रदेश में सडकों की कुल लंबाई 38 हजार 35 किलोमीटर है जबकि 520 किलोमीटर सडकों पर ही क्रैश बैरियर लगाए गए है जो महज कुल लंबाई के 1.36 फीसद हैं।
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू न कहा कि बीते रोज कुल्लू की बस दुर्घटना के बाद उन्हों ने तमाम जिलों के पुलिस अधिकारियों को चालको की ओर से किए जाने वाले यातायात नियमों की उल्लं घना को रोकने के लिए वाहनों की चैकिंग बढाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा ब्लैंक स्पॉटस या ऐसे स्थलों, हिस्सों जहां पर अधिक दुर्घटनाएं हो सकती है का विवरण लोकनिर्माण विभाग से साझा करने के निर्देश दिए हैं। कुंडू ने कहा कि हर जिला में कम से कम दस ऐसे स्थ लों की सूची तैयार की जानी चाहिए।
आंकडों के मुताबिक पिछले पांच सालों में बददी में 34,बिलासपुर में 98, चंबा में 306, हमीरपुर में 62,, कांगडा में 151, किन्नौसर में 129, कुल्लू में 265, लाहुल स्पिति में 49, मंडी में 425, शिमला में 973, सिरमौर में 306, सोलन में 181 और ऊना में 41 वाहन सडक से नीचे लुढके हैं जिनमें 2633 लोगों की मौतें हुई हैं जबकि 6791 घायल हुए हें इनमें 1302 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। राज्य पुलिस की ओर से किए गए अध्ययन में 24 घंटों में किस समय कितनी दुर्घटनाएं हुई हैं यह खुलासा भी किया गया हैं। रात को 12 बजे से सुबह तीन बजे के बीच 260, तीन से छह बजे के बीच 147, छह से नौ बजे के बीच 296, नौ से बाहर बजे के बीच 397, 12 से तीन बजे के बीच 401, तीन से छह बजे के बीच 481, शाम छह से नौ बजे के बीच 587 और शाम नौ से रात बारह बजे के बीच 451 वाहन सडक से नीचे लुढके हैं।
इन पांच सालों में सबसे ज्यादा 1530 कारें, सात ऑटो रिकशा, 79 बसें, 32 निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाले भारी वाहन , 592 जीपें, चार मोपेड, 198 मोटर साइकिल और स्कू्टर, स्कूल बस एक, टैक्सी 88, टैंपू 45, ट्रैक्टर 122, टैंपू ट्रैवलर 11 और ट्रक 328 सडकों से नीचे लुढके हैं।
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