शिमला। इस साल के पद्म श्री पुरस्कार विजेता और शिरोमणि पंथ रत्न पुरस्कार से सम्मानित बाबा इकबाल सिंह का आज दोपहर बाद
जिला सिरमौर के बड़ू साहिब में 96 साल की उम्र में निधन हो गया । वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे व वेंटिलेटर पर थे।
बाबा इकबाल सिंह ने ग्रामीण भारत में मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने की दिशा में बेहतर काम किया। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि प्रत्येक ग्रामीण बच्चे को कम लागत वाली मूल्य आधारित शिक्षा प्राप्त हो सके। जिसमें नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा का जुड़ाव भी हो।
वह 1965 से कलगीधर ट्रस्ट के प्रभारी थे व 1987 में हिमाचल कृषि विभाग के निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए व 1965 से ही उन्होंने संगठन खड़ा किया । इस ट्रस्ट के बैनर तले अब सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध 129 अंग्रेजी माध्यम के स्कूल चलते है जिनमें 70 हजार से अधिक बच्चे शिक्षा हासिल कर पहे हैं। जिनमें से अधिकांश स्कूल पांच उत्तर भारतीय राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में है। शहरी परिवेश से बहुत दूर ये स्कूल समाज के हाशिए के वर्गों के बच्चों को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदानर कर रहे है।
उन्होंने बड़ु साहिब में अकाल अकादमी को एक कमरे में शुरू किया था और शुरू में केवल पांच बच्चे ही शिक्षा लेने आए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी पेंशन की रकम से पहले साल में स्कूल भवन का निर्माण किया
। बड़ू साहिब में जहां पर यह भन बनाया गया था वहां पर जंगल था। अगले वर्ष आसपास के जिलों के 70 से अधिक बच्चों ने इस अकादमी में प्रवेश लिया। उस साल ट्रस्ट की मदद के लिए कई परिवार भी आगे आए।
उन्होंने जल्द ही यह महसूस किया गया कि हिमाचल में एक स्कूल स्थापित करने से आसपास के जिलों में बच्चों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान नहीं होगा। ट्रस्ट ने इस प्रकार 1993 में मुक्तसर में अकाल अकादमी खोली व 1999 तक ट्रस्ट ने पूरे पंजाब में 19 अकादमियां खोल दी । जिसके तहत अब तक 129 स्कूलों की फेहरिस्त पंजाब, यूपी, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा में फैली हुए हैं। कई छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में टॉप किया है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में बाबा इकबाल सिंह ने खुद को केवल शिक्षा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रखा । वे सामुदायिक जीवन के हर पहलू में शामिल थे। उन्होंने स्कूलों के अलावा अस्पताल, कॉलेज, महिला सशक्तिकरण केंद्र , नशामुक्ति केंद्र भी खोले ।
बाबा इकबाल सिंह ने अपनी टीम के साथ बड़ू साहिब में अकाल चैरिटेबल अस्पताल की स्थापना की जो समाज के ग्रामीण गरीब वंचित वर्ग को निशुल्क चिकित्सा प्रदान करता है। यहां पर हर साल चिकित्सा शिविर स्थापित किए जाते हैं जहां मुंबई, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के प्रसिद्ध डॉक्टर भाग लेते हैं और ग्रामीण गरीब लोगों को मुफ्त सर्जरी सहित मुफ्त चिकित्सा देखभाल प्रदान करते हैं।
यही नहीं उन्होंने महिला अधिकारिता कार्यक्रम के तहत वंचित युवतियों का शिक्षा के माध्यम से पुनर्वास करने और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए रोजगार देने में भी अपनली भूमिका निभाई ।
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