शिमला।भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार और जयराम सरकार के मंत्रियों को लेकर वायरल हुई अनाम कार्यककर्ता चिटठी पर प्रदेश में राजनीति गर्मा गई है। जयराम सरकार की पुलिस ने इस मामले में बाकियों के अलावा पूर्व मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता रविंद्र रवि को जांच के दायरे में ला दिया है। रविंद रवि के मोबाइल को कब्जे में ले लिया जा चुका है व आगामी कार्यवाही की जा रही है। राजनीतिक जमा घटाव के चलते उन्हें गिरफतार शायद ही किया जाए।पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के इस खासमखास नेता पर शिकंजा कसने का दबाव पूरा है।
जयराम सरकार क्या करती है क्या नहीं, यह बड़ा सवाल नहीं है, धूमल के बेटे अनुराग की इडी क्या करती है ये बड़ा सवाल है। अगर जांच एजेंसी शांताकुमार के करीबी व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के इन दिनों लाडले बने हुए मुख्यमंत्री जयराम के पास है तो रविंद्र रवि के दुखहंता धूमल के पुत्र अनुराग के पास भी तो जांच एजेंसी है। बहरहाल अभी तक धूमल सार्वजिनक तौर पर चुप है।अंदरखाते कुछ कर रहे होंगे यह जयराम की खुफियां एजेंसियां ही जानती होगी।
याद रहे बीते दिनों शांता कुमार , व जयराम सरकार में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के विभाग को लेकर एक चिटठी वायरल हुई थी।(यह चिटठी आखिर में दी गई है।) इस चिटठी के बाद बवाल मच गया था और पुलिस को एफआइआर तक दर्ज करनी पड़ी थी। हालांकि ये मजेदार है कि जिसने चिटठी लिखी उसके खिलाफ जयराम की पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। चिटठी में जो इल्जाम है उन पर सरकार खामोश है। अपना पक्ष तो रख ही सकती थी। मुख्यमंत्री कार्यालय क्या कर रहा है,किसी को मालूम नहीं है। जब से सरकार सत्ता में आई है,मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका अजीब रही है।
यह दीगर है कि कांगड़ा से भाजपा के कई नेता है जो मंत्री बनना चाहते है व इसके लिए कई हथकंडे अपना रहे है। उन्हें लगता है कि कांगड़ा के मंत्रियों को विवादास्पद कर डालो अगर कोई इस्तीफा देना जैसी गलती कर बैठता है तो उनका नंबर आ सकता है। उन्हें यह भी मालूम है कि मंत्री जयराम तभी बनाएंगे जब शांता कुमार हामी भरेंगे।
उधर, इस मसले पर भाजपा अध्यक्ष सतपाल सती ने मीडिया से कहा कि इस मामले की जांच चल रही है। पुलिस को स्वतंत्र जांच करने के लिए मुख्यमंत्री ने कहा है। ऐसे में जांच तो सरकार व पुलिस को ही करनी है। कोई निर्दोष न पकड़ा जाए। ऐसे में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। सती ने कहा कि अगर कोई कार्यकर्ता व नेता दुष्प्रचार के इस मामले में दोषी पाया जाता है तो उसमें सरकार को ही पहले कार्रवाई करनी है। पार्टी उसके बाद आगे की कार्यवाही को लेकर सोचेगी। वह इस मसले पर ऊना में मीडिया की ओर से पूछे सवालों का जवाब दे रहे थे।
कांग्रेस के हिमराल का निशाना पर बड़े नेता खामोश
उधर,कांग्रेस पार्टी ने जयराम सरकार व भाजपा पर निशाना साधाते हुए कहा कि जांच पत्र लिखने वाले कि नहीं उस में लिखे आरोपों की होनी चाहिए।उन्होंने कहा है कि पत्र में आरोप बड़े संगीन है इसलिए सच सब के सामने आना चाहिए।
पार्टी के सचिव हरी कृष्ण हिमराल ने कहा कि भाजपा की अंदरूनी कलह सामने आ गई है व इसके नेताओं की असलियत लोगों के सामने आएगी। प्रदेश में होने वाले दो उपचुनावों के बाद प्रदेश भाजपा में नए राजनैतिक समीकरण पैदा होंगे। हिमराल ने कहा है कि भाजपा में अभी तो कथित तौर पर एक पत्र को लेकर ही घमासान चला है,चुनावों के बाद तो भाजपा में और भी घमासान चलेंगे। वर्तमान में एक पत्र ने ही प्रदेश सरकार की कारगुजारियों की पोल खोली गई है,इसे लेकर भाजपा के नेताओं में जो होहल्ला हो रहा है,उससे साफ है कि इसमें कुछ काला है,जिसे छिपाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
हिमराल ने कहा है कि भाजपा सरकार की कारगुजारी की पोल खोलने वाले इस पत्र की पुलिस एफ आइ आर और इसकी जांच की ऐसी हायतोबा भाजपा के नेताओं द्वारा मचाई जा रही है मानों जैसे यह पत्र नहीं कोई ऐसा बम था जो फट कर देश व प्रदेश को कोई नुकसान होने वाला था।
लेकिन दिलचस्प ये है कि हालीलाज से लेकर नादौन तक और नादौन से होकर नगरोटा बगावं और ऊना तक कांग्रेस के तमाम बड़े आका मौन है। जिस तरह से भ्रष्टाचार के इल्जाम चिटठी में लगे है, उन्हें देखते हुए अब तक कांग्रेस पूरे कांगड़ा में ही नहीं प्रदेश भर में सड़कों पर उतर जाती। लेकिन कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की भाजपाइयों के साथ सांगठगांठ इतनी गहरी है कि वह आंदोलन का सोच तक नहीं सकती। ऐसे में कांग्रेस के साथ खड़ा होना भी कौन चाहेगा।कांग्रेस विधायकों की तो भते बढ़ाने में ज्यादा रुचि है।सुक्खू ने तो अखबार में भतों को लेकर व विधायकों की गरीबी पर लेख तक लिख डाला। बेहतर होता व कर्ज और 32 लाख सीमांत व छोटे किसानों की गुजर बसर कैसे होती है इस पर कुछ लिखते।
यहां है ये चिटठी जो किसी अनाम कार्यकर्ता ने भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार के नाम लिखी है। हालांकि शांता कुमार इसका जवाब चिटठी लिखकर ही दे सकते थे।हो सकता है कि चिटठी के तथ्य झूठ हो। पर सच भी तो हो सकते है। ये चिटठी किसने लिखी होगी इसका अंदाजा निश्चित तौर पर उन्हें तो होगा ही। यहां पढ़े वायरल हुई चिटठी-
आदरणीय शांत कुमार जी,
प्रणाम,
“हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और” इस कहावत का असली मतलब तब समझ आया जब मैंने आपकी लिखित पुस्तक “भ्रष्टाचार का कड़वा सच” को पढ़ा।
क्या वह किताब केवल गत भाजपा सरकार को रिपीट न होने देने के उद्देश्य से लिखी गयी थी या फिर आप सच मे ही देश और प्रदेश की जनता को सरकारों में पनपते भ्रष्टाचार के प्रति जागरूक करना चाहते थे ? अगर आप वास्तव में ही भ्रष्टाचार के खिलाफ थे और आज भी हैं तो आज जो आपके नाक के तले हो रहा है उसके प्रति आप चुप क्यों हो ? क्यों जानबूझ कर गांधारी की तरह आंखों में पट्टी बांध रखी है ? क्या आप भ्रष्टाचार के हो रहे नंगे खेल से अवगत नही हैं ? या फिर जानबूझ कर केवल मात्र
इसलिए अनजान बने हुए हैं कि इस भ्रष्टाचार करने वाले कोई और नहीं बल्कि आपके अपने हैं
इसमें कोई दो राय नही कि प्रदेश की जनता में आपकी छवि एक ईमानदार नेता की रही है पर आज ये तथाकथित ईमानदार आवाज ने अपने मुंह को क्यों सिल लिया है।
शांता जी, आपने जेनेरिक दवाईयों के नाम पर लंबी लड़ाई लड़ी । जनता जानना चाहती है क्या वह लड़ाई मात्र इसलिए थी कि सत्ता में आने आपका प्रिय शिष्य स्वास्थ्य मंत्री बनते ही अपने मित्रों को सरकारी अस्पतालों में उन दवाईयों की सप्लाई का आर्डर दे। और उनके प्रिय मित्र दवाईयों के नाम पर जो “भस्म भबूत” मैडीकल कॉलेज सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में सप्लाई कर रहे हैं उससे गरीबों की जो हाय लगेगी उससे तो शायद ही भगवान उनको बचाएगा। पर आपकी शाख को लगा बट्टा शायद ही मिट पायेगा। अगर आपको विश्वाश नही है तो अपने सामने पड़े फ़ोन से प्रदेश के किसी भी प्रसिद्ध डॉक्टर को वर्तमान में सप्लाई हो रही तथाकथित जेनेरिक दवाईयों की क्वालिटी के बारे में पूछें ?
क्या यह भ्रष्टाचार नही की स्वास्थ्यमंत्री और मुख्यमंत्री का एक करीबी सरकार बनने के बाद 35 करोड़ की दवाइयां सप्लाई कर चुका है और स्वास्थ्य विभाग की एक गाड़ी हमेशा उसके घर के बाहर खड़ी मिलती है। और विभिन्न सी एम ओ को बाकायदा फोन करके उनसे दवाईयां खरीदने का दबाब डाला जाता है।
प्रिय शांता जी,
आयुर्वेद विभाग में मंहगी खरीद में आईएएस भटनागर को दोषी मानकर उस पर दिखावे के लिए छोटी सी कार्यवाही करके जनता की आंखों में झूल तो झोंक दी परन्तु जिस विपिन परमार के आदेश पर यह खरीद हुई उनके खिलाफ कौन कार्यवाही करेगा? क्या इस पर भी आपको भ्रष्टाचार नही दिखाई देता है?
पिछले डेढ़ वर्षों में कई दवाईयों के सैंपल फेल हुए पर आज तक कोई कंपनी ब्लैक लिस्ट नही हुई ? आखिर क्यों ? और आप इसलिए चुप है क्योंकि विपन परमार आपके खर्चे उठाते हैं ?
मन्डी में एक डॉक्टर ने अपने ही बेटे से 2 रुपये की दवाई 16 रुपये में खरीद ली। पर अब आप क्यों बोलेंगे?
हर दूसरे दिन अखबारों में छपा मिलता है कि सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवाईयां महंगी खरीदी जा रही है और ओपन मार्किट में सस्ती मिल रही है इसका जिम्मेदार कौन है कभी सोचा आपने?
चंद मित्रों ने सिविल सप्लाई की दुकानों से सीधे सीधे कमीशन वसूल रहे है आप सब जानते हुए भी चुप हैं।आप सिर्फ इतना पता कर लीजिए कि पालमपुर हॉस्पिटल की सिविल सप्लाई की दुकान किसके फोन से आवंटित हुई है?
पंजाब में 290 रुपये में बिकने वाला सीमेंट हिमाचल में 390 रुपये में बिक रहा है और सबको मालूम है कि पिछले डेढ़ वर्षों में इसकी कीमत 90 से 100 रुपये बढ़ी है और कीमतों में वृद्धि का कारण मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री की सीमेन्ट कंपनियों के साथ सांठगांठ है। फिर भी आज आपको भ्रष्टाचार नही दिखाई देता।
धारा 118 के तहत कांग्रेस के 1081 स्वीकृतियों के मुकाबले हमने 1 वर्ष में ही 590 दे दी और इसी रफ्तार से चले रहे तो पांच वर्षों में आधा हिमाचल बिक जाएगा। पर आप क्यों बोलेंगे। क्योंकि अब आपके शिष्य सत्ता में हैं। अब आपको भ्रष्टाचार नही सुशासन दिखाई दे रहा है।
प्रदेश में सबको मालूम है कि पिछले एक वर्ष से पर्यटन विभाग के होटलों को लीज पर देने के लिए सरकार तैयारी कर रही थी और इसके बावत कई बार अखबारों में ख़बरें भी छपी। और अब जब इन प्रोपर्टी को सेल पर लगाने की आलोचना हुई तो सरकार ने एक निर्दोष अधिकारी को ही दांव पर लगा दिया अपनी खाल बचाने के लिए। जिस हिमाचल को आप स्विट्जरलैंड बनाने की बात करते थे वो आज बिकाऊ हो गया है।जिन सम्पतियों को हिमाचलियों ने अपने खून पसीने से सींचा था उन्हें आज लूटने की कोशिश की जा रही है।
शांता जी हर दूसरे महीने 500 करोड़ रुपये का कर्जा लिया जा रहा है।और उनमें से पैसा सिर्फ सराज विधानसभा को सजाने संवारने में लगाया जा रहा है बाकी हिमाचल के तो जैसे वो मुख्यमंत्री ही नही है। कभी आपने पूछा कि कांगड़ा और चम्बा के विकास के लिए पिछले डेढ़ साल में क्या किया? कब तक आप आँखें बंद रखेंगे? कर्जे की यही हालत रही तो हिमाचल के वजूद पर ही संकट आ जायेगा।
शांता जी,
अपनी पीढ़ी के आप और वीरभद्र मात्र दो नेता बचे हैं वीरभद्र अपने केसों से बचने के लिए सरकार के साथ खड़े हो गए हैं परन्तु आप ने जो अपने जीवन भर की कमाई की है वह इन डेढ़ वर्षों में गंवाने के कगार पर आ चुके हैं
आज कोई मुंह से न कहे पर प्रदेश का प्रत्येक कार्यकर्ता कह रहा है कि यह सरकार भाजपा की नही केवल चंद मित्रों की सरकार बन कर रह गयी है। उन मित्रों को यह लगता है कि पता नही किस्मत से मिला यह मौका दूसरी बार आएगा कि नही। इसलिये जितना हो सके दोनों हाथों से लूट लो। आज कांग्रेस कमजोर है इसलिये वो चुप है पर जनता सब देख रही है।कार्यकर्ताओं ने भी खुल कर कहना शुरू कर दिया है की अफसरों पर पकड़ नही कुछ अधिकारी सरकार चला रहे हैं और आप इसलिए चुप हैं कि आपका लूट के माल का एक हिस्सा आप तक भी पहुंचता है इसलिए आप ने भी आंखों पर पट्टी बांध ली है।
इएलिये आपसे विनम्र आग्रह है कि कृप्या आगे से ऐसी कोई किताब न लिखे जिसकी वजह से आपको शर्मिन्दगी उठानी पड़े। केवल वही लिखें जो वास्तव में आप हो।
जो ” अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और था”
एक कार्यकर्ता
जो आपको आदर्श मानता था।
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