शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार के 22 में से 11 निगम व बोर्ड घाटे में चल रहे है। ये घाटा भी कोई छोटा मोटा नहीं है बल्कि तीन हजार करोड़ का आंकड़ा पार गया है। सबसे ज्यादा घाटा बिजली बोर्ड का है और दूसरे नंबर पर एचआरटीसी का है।हैरानी की बात है कि कर्जा देने वाली संस्था प्रदेश वित निगम भी घाटे में है। ये खुलासा विधानसभा में भाजपा विधाायक सतपाल सती और गुलाब सिंह ठाकुर की ओर से पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में हुआ है।
मुख्यमंत्री की ओर से सदन में बताया गया कि बिजली बोर्ड का घाटा 1813 करोड़ 23 लाख 15 हजार रुपए का आंकड़ा पार कर घाटे में टॉप पर है। जबकि एचआरटीसी का घाटा 847 करोड़ 66 लाख 63 हजार रुपए का आंकड़ा पर कर गया है।उदयोगों को कर्जे देने वाले हिमाचल प्रदेश वितीय निगम का घाटा 143 करोड़ 921 लाख 78 हजार रुपए तक पहुंच गया है।
प्रदेश अनुसूचित जाति व जनजाति विकास निगम सोलन का घटा 10 करोड़ 80 लाख 34 हजार, एग्रो इंडस्ट्रीज का 17 करोड़ 97 लाख 31 हजार,एचपीएमसी का 70 करोड़ 42 लाख 86 हजार और राज्य वन विकास निगम का घाटा 48 करोड़ 65 लाख 61 हजार के पार पहुंच गया है।
इसके अलावा राज्य हस्तशिल्प व हथकरघा निगम का घाटा 17 करोड़ 55 लाख 69 हजार,पर्यटन विकास निगम का 23 करोड़ 34 लाख 81 हजार ,राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ का 22 करोड़ 36 लाख 81 हजार और अल्पसंख्यक वित व विकास निगम का घाटा पांच करोड़ 9 लाख 49 हजार रुपए तक पहुंच गया है।ये आंकड़ा 31 मार्च 2014 तक का है।
प्रदेश की आर्थिकी पहले ही संकट में चल रही है। उधर विपक्ष भाजपा एक अरसे से सरकार पर बोर्डों व निगमों में अध्यक्षों व उपाध्यक्षों की फौज खड़ी करने को साल उठाती रही है।
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