शिमला। प्रदेश में चल रहे तबादला धंधें का पर्दाफाश प्रदेश हाईकोर्ट में हुआ है और इस धंधें में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी पाक साफ नहीं है। मंडी के एक चंद्रशेखर नामक नेता के डीओ पर प्रदेश में 400 के करीब कर्मचारियों के तबादले कर दिए गए। किसी को चंबा फेंका तो किसी को सिरमौर में ला पटक दिया । इस मामले में अहम ये कि जिन कर्मियों के तबादले किए गए उनके विभाग से पूछा तक नहीं गया। मुख्यमंत्री कार्यालय से फरमान निकला और इन फरमानों की पालना हो गई। तबादलों के इन आदेशों से परेशान मंडी के धर्मपुर से कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और खुद के लिए इंसाफ की मांग की।
मंडी के इस नेता के डीओ पर किए गए तबादलों पर हिमाचल हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए याचिकाकर्ताओं के तबादला आदेश रदद कर दिए और साथ ही तबादले किस तरह किए जाने है इस बारे में दिशा निर्देश जारी कर दिए।
हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर और जस्टिस कुलदीप कुमार ने साफ कर दिया है कि पार्टी वर्करों के कहने पर प्रदेश में तबादले नहीं होंगे। इन लोगों को सरकार में कोई रोल नहीं है। ये पब्लिक पॉलिसी के खिलाफ ही नहीं इनके पीछे की मंशा भी संदिग्ध है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इससे लोगों का भरोसा टूटता है और ये इंप्रैशन जाता है कि सता केंद्र सरकार के अलावा कहीं और है। साथ ही ये भी लगता है कि सरकार के बाहर किसी के कहने पर भी तबादले कराए जा सकते है। हाईकोर्ट ने कहा कि एक ही आदमी के कहने पर इतने सारे तबादले हो जाने अदालत की चेतना ही नहीं तक हिल उठी है बल्कि इन आदेशों की वैधता पर भी गैरकानूनी है। ये मात्र संयोग नहीं है बल्कि सोची समझी कारस्तानी है और ताकत की रंगीन मिजाजी का सबूत है।
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