शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने संदेहास्पद निष्ठा वाले अधिकारियों के खिलाफ लंबित जांच को दो महीने के भीतर पूरा करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने सरकार की ओर से दागी अधिकारियों के मामलो के स्टेटस को लेकर अदालत को सौंपी चिटठी गौर करने के बाद दिए। सरकार की ओर से प्रधान सचिव विजीलेंस ने अदालत में चिटठी सौंपी थी । इस चिटठी के साथ पांच दिसंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के अध्यक्षता में विभागीय जांच की समीक्षा को लेकर हुई बैठक की रिपोर्ट भी संलग्न थी।
इन कार्यवाहियों के मुताबिक सात मार्च 2018 तक प्रदेश के विभिन्न विभागों में 66 अधिकारी ऐसे थे जिनकी निष्ठाएं संदेहास्पद थी। इनमें से 19 अधिकारी संवेदनशील व महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान थे। इन 66 अधिकारियों में 54 के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चली हुई थी जबकि शेष बचे 12 अधिकारियों के खिलाफ विजीलेंस व पुलिस की ओर से दर्ज मामलों में ट्रायल का सामना कर रहे थे।
सरकार ने अदालत को बताया कि 54 अधिकारियों के खिलाफ चल रही विभागीय जांचों में से 28 पूरी हो चुकी है जबकि 26 मामलों में जांच जारी हैं। इन 26 मामलों में से 16 आयुक्त विभागीय जांच के पास लंबित है व बाकी दस मामले विभिन्न विभागों के पास लंबित हैं।
सरकार ने अदालत को बताया कि संदेहास्पद निष्ठा को लेकर भारत सरकार की ओर से जारी नए दिशा निर्देशों को 17 दिसंबर को मंजूर व जारी कर दिया गया हैं।
खंडपीठ ने आदेश दिए कि इन तमाम लंबित जांचों को दो महीने के भीतर पूरा किया जाए।
इसके अलावा जिन अधिकारियों के मामले में चालान अदलत में दायर कर दिया हैं,उनमें अधिकारियों के खिलाफ आरोप निर्धारित हो गए है या नहीं और किन अदालतों में लंबित हैं, इसका पूरा विवरण अदालत को सौंपे। ताकि निचली अदालतों को इन मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए दिशा निर्देश दिए जा सके।
अदालत ने साथ ही कहा कि जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की निष्ठा संदेह के घेरे में हैं,उन्हें संवेदनशील व प्रशासनिक पोस्ट पर नहीं बिठाया जाना चाहिए। इसके अलाव यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों को दस्तावेजों से छठेड़छाड़ करने का मौका न मिले और गवाहों को प्रभावित न कर सके।
खंडपीठ ने निर्देश दिए कि सरकार को संदेहास्पद निष्ठा की वजह से बोझ बन चुके ऐसे
अधिकारियों व कर्मचारियों को जनहित में समय से पहले सेवानिवृत करने की अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करना होगा। अदालत ने इस बावत अगली सुनवाई को कार्रवाई रिपोर्ट तलब कर ली हैं। मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च 2019 को तय की गई हैं।
(0)