शिमला। हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पैरों तले रौंदने वाली नीति के खिलाफ प्रदेश में विद्रोह का डंका बजा दिया हैं। आलम ये हैं कि 2014 के बाद अब तक जिन भी राज्यों में राज्यों में चुनाव हुए वहां मोदी-शाह की जोड़ी के फैसलों के खिलाफ कहीं भी किसी ने ऊफ तक नहीं की लेकिन हिमाचल में कई मंडलों ने प्रस्ताव पारित कर दिए हैं तो कई प्रत्याशियों की टिकटों की सूची जारी होने से पहले ही नामांकन भर कर मोदी –शाह के तानाशाह पूर्ण रवैये के खिलाफ विद्रोह का डंका बजा दिया हैं। कईयों ने आजाद प्रत्याशी लड़ने का एलान कर दिया है। ऐसा नहीं है कि आलाकमान के खिलाफ विद्रोह पहले नहीं हुआ हैं लेकिन मोदी-शाह की जोडी के खिलाफ जैसा विद्रोह हिमाचल में दिखा हैं वैसा 2014 के बाद किसी अन्य राज्य में नहीं हुआ।
ये विद्रोह क्या गुल खिलाएगा ये 18 दिसंबर को ही पता चलेगा । भारी विरोध के बीच मोदी –शाह की जोड़ी हिमाचल जैसे छोटे राज्य में प्रत्याशियों की सूची को फाइनल नही कर पाई हैं। नाराज होकर पार्टी के बड़े नेता प्रेम कुमार धूमल व बाकी बीते रोज दिल्ली से वापस लौट आए। धूमल को मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित नहीं किया गया । यहीं नहीं उनकी इच्छा के खिलाफ उनका चुनावी हलका भी बदल दिया।हमीरपुर के बजाए उन्हें सुजानपुर से चुनाव लड़ने का आदेश दिया गया हैं व वो इसका विरोध तक नहीं कर पाए।ये दीगर है कि बीती शाम को वो हमीरपुर में एक सभा में रो जरूर पड़े।इसी तरह कांगड़ा में शांता खेमे के सिपाही किशन कपूर भी टिकट कटने से आहत हो गए व वो भी रो पड़े। वो धर्मशाला से संभवत: आजाद उम्मीदवार लड़े।
पिछले 15 सालों से धूमल ने प्रदेश भाजपा पर अपना कब्जा किया हुआ था या यूं कह ले कि पार्टी को उन्होंने अपना बंधुआ बना रखा था। हर जगह अपने खेमे के लोगों को प्लेसमेंट दी गई थी। 2012 के विधानसभा चुनावों से पहले उनकी वजह से कई दिग्गजों को पार्टी से बाहर जाना पड़ा था। महेश्वर सिंह ,राजन सुशांत समेत कई बागी हो गए थे। नतीजतन पार्टी चुनाव हार गई थी।
इस बार स्थिति ये है कि धूमल अपना ही चुनावी हलका तय नहीं कर पाए।
उधर , मंडी के धर्मपुर से अपना टिकट कट जाने की अटकलों के बीच महेंद्र सिंह ठाकुर ने अपना नामांकन भर दिया हैं।
मंडी से भ्रष्टाचार में सजायाफ्ता सुखराम जैसे नगीने को भाजपा के मुकुट में जड़ देने जैसा कारनामा कर देने वाली मोदी -शाह की जोड़ी भ्रष्टाचार के बोल कैसी बोलेंगी ये आगमी एक हीने में देखा जाना हैं। सुखराम ,वीरभद्र सिंह केबिनेट के मंत्री अनिल शर्मा व उनके बेटे आश्रय को भाजपा में शामिल करने के विरोध में भाजपा के मंडी मंडल ने विद्रोह कर दिया हैं। कांगड़ा में मोदी के धुर विरोधी शांता कुमार के घर पर पालमपुर से खड़ी होने वाले प्रधानमंत्रीमोदी की बेहद करीबी व महिला मोर्चा की अध्यक्षा इंदु गोस्वामी के खिलाफ नारेबाजी हो गई हैं। कसुम्प्टी मंडल ने भी प्रस्ताव पास कर दिया हैं कि अगर बाहर से प्रत्याशी थोपा गया तो पूरा मंडल इस्तीफा दे देगा।इस तरह के प्रस्ताव पास ही नहीं किए गए बलिक मीडिया को जारी भी किए गए हैं। हालांकिकहा जा रहा है कि जब मोदी –शाह की जोड़ी ने धूमल –शाता व बाकियों को दिल्ली से बेरंग लौटा दिया तो इस तरह की लाइन लेने का फैसला किया गया हैं।
जब दिलली में चुनाव समिति की बैठकों में टिकटों पर सहमति नहीं बनी या यूं कहे कि मोदी –शाह की जोड़ी के डिकटेट को सरेआस चुनौती दे दी गई तो महिलाओं प्रत्याशियों को टिकट देने का पैंतरा चल दिया गया । भाजपा कार्यालय से करीब 10 -12 महिलाओं के बायोडाटा मंगवाएं गए। इस बावत अभी फैसला नहीं हुआ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई सालों तक हिमाचल के प्रभारी रहे थे ।उस दौरान उन्होने कई नेत्रियों की राजनीति में जगह बनवाई थी। उन करीबियों की वजह से उन्हें टिकट देने का पैंतरा चल विद्रोह को काटने की काशिश की गई हैं।हालांकि इससे भाजपा के नेता ही ज्यादा खुश नहीं हैं व तरह -तरह की बातें अंदरखाते शुरू हो गई हैं।बहरहाल,ये कोई नई बात भी नहीं हैं।
पिछले चार दिनों से टिकटों के फाइनल न होने से भाजपा नेताओं व कैडर में मायूसी छाई हुई हैं जो 15 दिन पहले तक उछल रहे हैं व मुंह नहीं दिखा पा रहे हैं।जिस तरह की स्थिति भाजपा में बनी हुई हैं वो चुनाव के वक्त मे अच्छे संकेत नहीं हैं।भाजपा के पक्ष में एक ही बात है कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का बुरा हाल हैं।उम्रदराज मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दूसरों के सहारे चलते हैं।भ्रष्टाचार के आरोपों में वो बुरी तरह से घिरे हुए हैं।पार्टी अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुख्खू कमजोर अध्यक्ष हैं । उनकी अध्यक्षता में 2014 से लेकरअब तक जितने भी चुनाव लड़े गए सब कांग्रेस सब हार गई। ये आखिरी चुनाव होगा।
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