शिमला। 22 अगस्त से शुरू हो रहे चार दिवसीय विधानसभा के मानसून सत्र में नडडा व धूमल धड़ों में बंटी भाजपा के तेवरों पर निगाह रहने वाली हैं।ये इस विधानसभा का आखिरी सत्र हैं और इस सत्र में आगामी विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों की टोन क्या रहने वाली ये तय हो जाएगा।ये महत्वपूर्ण सत्र 25 अगस्त तक चलेगा।
चूंकि इस बार भाजपा में सीएम के पद के दो–दो दावेदार हैं ऐसे में ये महत्वपूर्ण होगा कि बतौर नेता प्रतिपक्ष धूमल सदन में क्या रवैया अख्तियार करते हैं। अगर भाजपा उन्हें सीएम पद का प्रत्याशी घोषित कर देती तो वो कांग्रेस की ओर से सबसे बड़ी चुनौती सीएम वीरभद्र सिंह पर तीखा हमला करते। लेकिन वो एक अरसे से सीएम वीरभद्र को लेकर नरम पड़े हुए हैं।
चूंकि इस बार भाजपा ने नडडा को मैदान में उतारने की अघोषित घोषणा कर रखी हैं तो धूमल भी चाहेंगे की अटैक भी नडडा ही करे।वो इस नीति पर चल भी पड़े हैं।धूमल के नरम तेवरों को देखते हुए बीते दिनों पार्टी में उनसे हिसाब किताब पूरा करने की मंशा पाले वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने लीड ली और वीरभद्र सिंह पर हमला बोला। नडडा भी सीएम को लेकर अग्रेसिव रह रहें हैं।
ये शिफ्टिंग दिलचस्प हैं।
चूंकि मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार का मसला केंद्रीय एजेंसियों के सपुर्द हैं, ऐसे में सदन में इस मसले पर भी ज्यादा शोर-शराबा नहीं होता हैं।
लेकिन इस बार कानून-व्यवस्था को लेकर भाजपा के पास सरकार को घेरने का जबरदस्त मौका हैं।कोटखाई का गुडिया गैंगरेप व मर्डर का मामला हो या तीसा में तनाव। फारेस्ट गार्ड होशियार सिंह की रहस्यमयी मौत हो या तारा देवी में मिली बेहोश महिला की आइजीएमसी में मौत का मामला हो।
तिलकराज रिश्वत कांड से लेकर भ्रष्टाचार के दर्जनों मामलें हैं जिन पर सरकार की घेरेबंदी होनी हैं। लेकिन देखना यही हैं कि बतौर नेता प्रतिपक्ष धूमल क्या रुख अपनाते हैं । उनका रवैया महत्वपूर्ण होगा व आगामी चुनावों में वो क्या करने वाले हैं इसका भी संकेत मिल जाएगा। इससे भाजपा को अपनी रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
देखना ये भी है कि नेता प्रतिपक्ष धूमल और बाकी भाजपा विधायक सदन में एका रखते हैं या बंटवारा नजर आता हैं।भाजपा के वरिष्ठ विधायक जय राम ठाकुर, महेंद्र सिंह आदि अपना स्वतंत्र मत भी रखते हैं और ये सदन में झलकता भी रहा हैं।
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