शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रदेश कांग्रेस पार्टी पर हमला करने से खफा उन्हीं के चुनावी हलके शिमला ग्रामीण से कांग्रेस पार्टी के दो सचिवों प्रदीप वर्मा व कुसुम वर्मा ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इन दोनोंं युवा सचिवों ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ओर बंदूक तानते हुए कहा कि वो सार्वजनिक सभाओं में सरेआम एलान कर रहे है कि रहे है कि उन्हीं के चुनावी हलके में ऐसे सचिव तैनात कर रखे हैं जो प्रधान का चुनाव जीतने के काबिल नहीं है। वो तो उनको जानते तक नहीं है। कांग्रेस पार्टी की एक सचिव कुसुम वर्मा का दावा है कि वो तो वीरभद्र सिंह की ही वफादार है और उनकी करीबी भी है । इसके बावजूद अगर वो ये कहते है कि वो सचिवों को नहीं जानते तो फिर पद रहना नहीं चाहिए। जबकि प्रदीप वर्मा ने कहा कि वो 25 सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे है। उन्हें ये पद ऐसे ही नहीं मिला है।
कुसुम वर्मा व प्रदीप वर्मा ने मीडिया को जारी साझे बयान में कहा वीरभद्र सिंह ने सिरमौर की जनसभा में कांग्रेस के सचिवों पर जो टिप्पणी की उससे दुख हुआ है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ठाकुर सुखविन्दर सिंह सिंह सुक्खू ने पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए उन्हें पार्टी में बतौर सचिव कार्य करने का मौका दिया बिना किसी टीए ,डीए व मानदेय के लगातार दिन-रात पार्टी की मजबूती के लिए कार्य कर हैं।
प्रदीप वर्मा ने कहा कि वह कांग्रेस समर्पित कार्यकर्ता है व 25 सालो से कांग्रेस पार्टी की में हैं।सेवा करता आया हूं। आठ से दस साल तक एनएसयूआई में रहाा। इतने ही साल युवा कांग्रेस में रहा व पांच सालों में ब्लॉक कांग्रेस में रहा हूं। इसके अलावा मौौजूदा समय में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अनुमति से उन्हेंप्रदेश कांग्रेस कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया है। उन्होंनें कहा कि उन्हें पार्टी में सचिव का ये पद ऐसे ही प्राप्त नही हुआ है।प्रदीप वर्मा वरिष्ठ वकील जीडी वर्मा के बेटे है व पिछली बार वो शिमला ग्रामीण से विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी भी थे।लेकिन बाद में इस हलके से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिेंह ने खुद चुनाव लड़ा।
कुसुम वर्मा ने खुद को वीरभ्ज्ञद्र सिंह का वफादार होने का दावा करते हुए कहा कि पिछले 3 सालों से हाईकमान द्वारा नियुक्त बतौर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव पद पर पार्टी की मजबूती के लिए पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ कार्य कर रही है और इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पार्टी द्वारा जो भी जिम्मेदारी मुझें सौंपी गई है उसे मैनें पूरी लगन के साथ निभाया है।
इन्होंनें कहा कि जब 2012 में मुख्यमंत्री ने विधानसभा क्षेत्र शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ा था तो इन्होंनें इस विधानसभा व इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों के समय ईमानदारी व पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया बावजूद इसके मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया ये बयान कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में बनाये गये पीसीसी सचिवों को मैं जनता तक नही जानकर बहुत दुख हुआ और गहरा आघात लगा।
इन्होंनें कहा कि आज पार्टी के प्रति हमारी निष्ठा व ईमानदारी पर उन लोगो द्वारा उंगली उठाई जा रही है जिनका उन्होंने पूरा सहयोग दिया और पार्टी के प्रति निष्ठावान व ईमानदार कार्यकर्ता होने के बावजूद भी हमें इस तरह की जिल्लत सहन करनी पड़ रही है, जहां पार्टी को सींचने पर भी कोई पहचान नही है।
इन्होंनें कहा कि इन सब बातो से हमें बेहद दुख हुआ है और हम नैतिक आधार पर कांग्रेस पार्टी के सचिव पद से अपना इस्तीफा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को सौंपतें है।
अब कांग्रेस पार्टी में घमासान मच गया है । मुख्यमंत्री की पार्टी अध्यक्ष सुुक्खू के लिए ये खुली चुनौती दे दी गई है व वीरभद्र सिंह ने सुक्खू की राजनीतिक समझ पर भी सवाल उठा दिए है। हालांकि वीरभद्र सिंह बुजुर्ग हो गए है व वो एक दिन सुक्खू पर हमला बोलते है और दूसरे दिन उनकी सराहना कर देते है।अफसरोंं के मामले में भी वह इसी तरह की हरकतें करते है। पहले दिन अफसरों को बदलते है और तीसरे दिन तबादले को रदद कर देते है। अंदर की कहानियां तो और भी है।
वीरभद्र सिंह अपने बेटे विक्रमादित्य को किसी भी तरह राजनीति में फिट करनाा चाहते है व संगठन में हर जगह अपने लोगों को फिट करना चाहते है। उधर,मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का पूूरा परिवार सीबीआई व इडी के शिकंजे में फंसा हैं या यू कहिए कि धूमल परिवार के शिकंजे में है, ऐसे में वो अब पार्टी पर कब्जा करना चाहते है ताकि विधानसभा चुनावों में कुछ किया जा सके। बहरहाल अब कांग्रेस पार्टी में हलचल मच गई है और निश्चित तौर पर आलाकमान तक इन इस्तीफों की गूंज पहुंचेगी।
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