शिमला।मनाली से रोहतांग तक पर्यटन गतिविधियों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से लगाई रोक के आदेशों को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एनजीटी का ओवर रिएक्शन करार देकर अजीब स्टैंड लिया है।मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि जो जनता का पक्ष है वही सरकार का पक्ष है।अगर जरूरत पड़ी तो सरकार देश के टॉप वकीलों में से किसी को पैरवी के लिए नियुक्त करेगी और अगर एनजीटी से मनमाफिक फैसला नहीं आता है तो सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह नियम 62 के तहत मनाली से भाजपा विधायक गोबिंद ठाकुर,हिलोपा विधायक कुल्लू से महेश्वर सिंह और सिराज से भाजपा विधायक जयराम ठाकुर की ओर से सदन में लाए प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने गोबिंद ठाकुर के उन आरोपों को जिनमें सरकार पर इस क्षेत्र के लोेगों के हितों को देखते हुए एनजीटी में सही से पक्ष न रखने का दावा किया था, को गलत करार दिया। उन्होंने इस बावत सदन में एनजीटी में जुलाई 2014 को दिए शपथपत्र को भी सदन के पटल पर रखा।सीएम ने सदन में कहा कि सरकार ने एनजीटी में राहत व पुनर्वास नीति को दायर कर दिया है।
इससे पहले मनाली से भाजपा विधायक गोबिंद ठाकुर ने प्रश्नकाल के बाद इस मसले को संजीदगी से उठाते हुए कहा कि एनजीटी के बैन से करीब 10 हजार लोगों का रोजगार तबाह हो गया है। 600 ड्राइवर पलायन कर मुबंई चले गए है। सारे लोगों का रोजगार तबाह हो गया है। करीब तीस हजार के करीब लोग इस बैन से प्रभावित हुए है। उन्होंने जेएनयू के प्रोफेसर मिलाप चंद की स्टडी के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर कोई ग्लेशियर ही नहीं था। उन्होंने एनजीटी के उस 19 फरवरी 2015 के आदेश का हवाला भी सदन में दिया जिसमें एनजीटी ने एक महीने में राहत व पुनर्वास नीति बनाने का आदेश दिया था।एनजीटी ने इको फ्रैंडली मार्किट बनाने के आदेश भी सरकार को दिए थे लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया।
इस मसले पर चर्चा के दौरान परिवहन मंत्री जी उस बाली ने कहा कि विभाग ने सीएनजी बसों का ट्रायल किया था व विभाग ने एनजीटी में मजबूती से पक्ष रखा है।
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