नई दिल्ली/शिमला।राष्ट्रीय स्वयं संघ की पृष्ठभूमि व हिमाचल केडर के 1982 बैच के आईएएस अफसर अजय मितल मोदी सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के सचिव नियुक्त किया गया है। दिसंबर 2012 में सता में आई हिमाचल की वीरभद्र सिंह सरकार की ओर से अढाई साल तक हाशिए पर रखे वरिष्ठ आईएसस अफसर अजय मितल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के राजनीतिक शत्रु सूचना व प्रसारण मंत्री अरुण जेटली के मंत्रालय के सचिव बनने से वीरभद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती है।ये सवाल खड़ा हो गया है।
1982 बैच के आईएएस अफसर अजय मितल दिसबंर 2007 से दिसंबर 2012 तक सता में रही धूमल सरकार के शुरूआती दिनों में धूमल के बेहद लाडले अफसरों में गिने जाते थे। यहां तक कि उन्होंने वीरभद्र सिंह सरकार में 2006-7 में ब्रेकल इनवो नामक कंपनी को किन्नौर में अाावंटित किए 960 मेगावाट के दो पावर प्रोजेक्ट हासिल करने में ब्रेकल की कारगुजारियोंं को उजागर किया था।ब्रेकल में गौतम अदानी की कंपनी के पैसे लगे थे।
इस आवंटन में धूूमल सरकार नेे बाद ब्रेकल को ही ये प्रोजेक्ट दे दिया था।जिस पर अंबानी की कंपनी इस आवंटन के खिलाफ अदालत में चली गई थी। ये आवंटन अदालत ने रदद कर दिया था लेकिन तबकि धूमल सरकार और बाद में वीरभद्र सिंह सरकार ने इसे अंबानी की रिलायंस कंपनी को आवंटित नहीं किया।
अब जाकर अक्तूबर 2015 में वीरभद्र सिंह सरकार ने इस 9000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को रिलायंस पावर को आवंटित कर दिया है।
मितल हिमाचल प्रदेश में भी लोक सपंर्क विभाग के सचिव रह चुके है। वीरभद्र सिंह ने उन्हेंं बाद में कई विभाग दिए लेकिन विश्वसनीयता का सवाल बना ही रहा।
मई में मौजूदा मुख्य सचिव पी मित्ररा रिटायर होने वाले है। उनके बाद प्रदेश में सबसे वरिष्ठ अफसर दीपक सानन है। जिन्हें सरकार ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की एचपीसीए के एक मामलों में चार्जशीट किया हुआ है।ऐसे में दीपक सानन का मुख्य सचिव बनना मुश्किल है। उनके बाद मितल का नंबर था लेकिन वो भांप चुके थे कि जब तक वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री है तब क वो मुख्य सचिव की कुर्सी नहीं हासिल कर पाएंगे। ऐसे में उन्होंने मोदी सरकार में जाने की योजना बनाई। वो अच्छी पोस्टिंग की तलाश में थे। अरुण जेटली के मंत्रालय में उन्हें सचिव की पोस्टिंग मिल गई है।
अब देखना है कि वो वीरभद्र सिंह से स्कोर सेटल करते हैै या चुपचाप रहते है।कहा जा रहा है कि पहले धूमल भी उनसे नाखुश्ाा थे। लेकिन धूमल परिवार खुद भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे हुए हैं।ऐसे में उन्हें मितल से उम्मीद होगी कि वो जेटली से मिलकर वीरभद्र सिंह को लपेटने में मदद करेंगे ।हालांकि जब तक कहींं कुछ होता नहीं है तब तक इंतजार करना ही होगा।
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