शिमला। मोदी सरकार की ओर से प्रदेश की विभिन्न योजनाओं के 3000 करोड़ रुपए रोक देने पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र से ने कहा कि 2016-17 के लिये योजना बोर्ड ने राज्य की सालाना योजना 5200 करोड़ रुपये मंजूर की है। यह योजना वर्ष 2015-16 की वार्षिक योजना के आकार से 8.33 प्रतिशत अधिक है।
योजना बोर्डग् की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने मोदी सरकार पर निशाना साधा व इस बात पर चिंता जताई कि केन्द्र सरकार ने प्रदेश सरकार को साधारण और विशेष केन्द्रीय सहायता तथा विशेष योजना सहायता के तहत प्राप्त होने वाली 3000 करोड़ रुपये की वार्षिक सहायता को बंद कर दिया है। राज्य सरकार विशेष श्रेणी राज्यों, जिसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल है की केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में केन्द्रीय हिस्सेदारी में कटौती न करने तथा सभी केन्द्रीय योजनाओं की तर्ज पर 90:10 की हिस्सेदारी को बनाए रखने के लिए केन्द्र सरकार और नीति आयोग के समक्ष लगातार मामला उठाती रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य योजनाएं, जो राष्ट्रीय विकास एजेंडे का हिस्सा हैं, 90:10 के केन्द्र-राज्य के हिस्से के रूप में वहन की जाएगी, लेकिन मुख्यमंत्रियों के उप-समूह द्वारा नीति आयोग की बैठक में की गई सिफारिशों के आधार पर विभिन्न वैकल्पिक योजनाओं के हिस्सेदारी की पद्धति को 80:20 की हिस्सेदारी के अनुरूप स्वीकृत की जाएगी। जबकि केन्द्रीय हिस्सेदारी में अब काफी कटौती कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश का सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार का अनुपात 28 प्रतिशत है जो अन्य पड़ोसी राज्यों के मुकाबले काफी अधिक है। पंजाब में यह अनुपात 11 प्रतिशत, बिहार में 12 प्रतिशत, हरियाणा में 14 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 10 प्रतिशत है।
सरकार को सड़कों अथवा अन्य परियोजनाओं के निर्माण एवं रख रखाव के अनुबंध में जिम्मेवारी/दंड की धारा को शामिल करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने सड़कों के दोनों ओर अंधाधुंध केबल बिछाने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि ठेके मेरिट के आधार पर दिए जाने चाहिए।
राज्य की कुल वार्षिक योजना में अनुसूचित जाति की आबादी को लाभान्वित करने के लिए अनुसूचित जाति उप-योजना के अन्तर्गत 1309.88 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जो कुल योजना आकार का 25.19 प्रतिशत है। इसी प्रकार जनजातीय क्षेत्र उप-योजना तथा पिछड़ा क्षेत्र उपयोजना के लिए 468 करोड़ रुपये रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जो योजना आकार का 9 प्रतिशत है। कृषि, बागवानी, पशु पालन, वन, सिंचाई, सड़कें, शिक्षा व स्वास्थ्य इत्यादि विकास शीर्षों के लिए 65 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि वार्षिक योजना 2016-17 में सामाजिक सेवा क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान करते हुए इस क्षेत्र को 1992 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है जो कुल योजना आकार का 38.31 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राथमिकता के क्रम में परिवहन एवं संचार सेवाओं के लिए 979.04 करोड़ रुपये प्रस्तावित है, जो वार्षिक योजना का 18.83 प्रतिशत है। ऊर्जा क्षेत्र उनकी प्राथमिकताओं में एक है और इसके लिए 683 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है, जिसमें राज्य ऊर्जा निगम और हि.प्र. ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि. द्वारा कार्यान्वित एशियन विकास बैंक की वित्तपोषित परियोजनाओं की ऋण एवं हिस्सेदारी भी शामिल है। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए 586 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तावित है, जो कुल योजना का 11.26 प्रतिशत है। इसमें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत बाह्य सहायता परियोजनाएं तथा योजनाएं शामिल हैं।
युवाओं को कौशल विकास योजना के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 640 करोड़ रुपये धनराशि स्वीकृत की है।
सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स, स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, परिवहन मंत्री जी.एस. बाली, कृषि एवं बहुद्देशीय ऊर्जा मंत्री सुजान सिंह पठानिया, शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा, आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी, समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. कर्नल धनीराम शांडिल, सहकारिता मंत्री कर्ण सिंह, मुख्य संसदीय सचिव, विधायक, योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष जी.आर. मुसाफिर, विभिन्न बोर्डों एवं निगमों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी योजना बोर्ड की इस बैठक में उपस्थित थे।
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