शिमला। कांग्रेस व भाजपा सरकार के कारनामों को उजागर करने वाली एचआरटीसी कंडक्टर भर्ती घोटाले में शिमला के सदर थाने में अदालत के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज कर दी गई हैं। सदर थाने में दर्ज एफ आईआर नंबर 55/17 में 420,120बी के अलावा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(i)(d)(ii लगाई गईं हैैं।इस मामलेे की जांच के लिए जिस अधिकारी को तैनात किया गया हैं उसने अपनी जुबान बंद कर ली हैैं। जांच डीएसपी सिटी राजिंदर शर्मा को सौंपी गई हैं।Reporterseye.com ने जांच अधिकारी से पूछा कि एफआईआर में अधिकारियों के नाम शामिल किए गए हैैं। उन्होंने कहा कि मेरी डयूटी तो विधानसभा में लगी हैं। एसपी से बात कर लें। समझा जा सकता हैं कि डीएसपी को सरकार का खाैैैफ होगा । तभी वो इतनी छोटी से बात को नहीं उगल पा रहे हैं।
ये एएफआईआर जिला बिलासपुर के गांंव साइ , डाकख्ााना सिकरोहा तहसील सदन के जय कुमार नामक व्यक्ति की शिकायत पर की गई हैं। जय कुमार को इस एफआईआर को दर्ज करने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी । उन्होंने सरकार को शिकायत की लेकिन सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने शिमला की सब जज नेहा शर्मा की अदालत में U/S 156(3) Cr.PC के तहत याचिका दायर कर दी व ढेर सारा रिकार्ड अदालत के सामने पेश कर दिया। शिमला की अदालत ने सदर थाने को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।
शिमला पुलिस यहां भी गेम बजाने से बाज नहीं आई और अदालत में लिख कर दे दिया कि ये विजीलेंस का मामला हैं व इसकी जांच इंस्पेक्टर स्तर का अफसर कर सकता हैं। आखिर में सदर थाने में एफआईआर दर्ज करनी ही पड़ी। जय कुमार ने अदालत में कहा था कि 2004 एचआरटीसी में 300 कंडक्टरों की भर्ती हुई थी जिसमें एचआरटीसी के अफसरों ने प्रक्रिया का पालन नहीं किया और न ही मेरिट लिस्ट ही बनाई। सिफारिशों के आधार पर पक्षपात कर ये भर्तियां की गई । शिकायत कर्ता ने अदालत में तत्कालीन एमडी दलजीत डोगरा,जीएम एच के गुप्ता,आर एम आर एस नेगी, डीएम एम डी शर्मा व एक अन्य अधिकारी एसपी चटर्जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।
बहर हाल ये भर्तियां पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के कायाकाल में हुई थी व तब जी एस बाली परिवहन मंत्री हुआ करते थे। वह आज भी परिवहन मंत्री हैं। सदन में धूमल ने बीते दिनों ये मामला उठाया तो परिवहन मंत्रीजी एस बाली ने तल्खी से जवाब देते हुए कहा कि दिसंबर 2007 में जब प्रदेश में भाजपा सरकार आईं थी तो पूरे पांच साल विఀजीलेंस से जांच कराई थी व बाद में क्लीन चिट भी दे दी थी। इस पर धूमल की जुबान बंद हो गई थी।
चूंकि अब शिमला की अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैं कि धूमल सरकार में विजीलेंस ने इस मामले में दागी जांच की थी व अब क्या शिमला पुलिस का जांच अधिकारी सही जांच कर पाएगा। जबकि जब ये भर्तियां हुई थी तब के मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री हैं वहीं हैं जो आज भी इन्हीं पदों पर हैं।
बड़ा सवाल हैं कि जिन अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं क्या उन्होंने अपने स्तर पर हीये भर्तियां कर दी थी या तब के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व परिवहन मंत्री जी एस बाली के कहने पर ये भर्तियां हुई थी। क्या ये भी कभी पकड़ में आएंगे,ये बड़ा सवाल हैं। भाजपा इस मसले पर राजनीतिक दांव खेलने का प्लान बना रही हैं। लेकिन क्लीन चिट भाजपा की धूमल सरकार ने ही दे रखी हैं।
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