शिमला।मोदी सरकार को तीन कृषि कानूनों की वजह से आर्थिक कंगाली से जूझ रही प्रदेश की जयराम सरकार को ही 20 से 22 करोड रुपए की आय से हाथ धोना पडा है। लेकिन जयराम सरकार ने इस बावत अब तक कहीं भी मुंह नहीं खोला है। इसमें से जयराम सरकार को अकेले सेब सीजन के दौरान सेब के कारोबार से ही जिला शिमला व किन्नौर और कुल्लू में ही दस करोड की आय से हाथ धोना पडा है।यह नुकसान सुप्रीम कोर्ट की ओर से इन कानूनों पर रोक लगाने से पहले का है। राज्य विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी ने कहा कि कम से कम 20 से 22 करोड रुपए की आय से हाथ धोना पडा है।
एपीएमसी सूत्रों के मुताबिक 2019में एपीएमसी कुललू को सेब के कारोबार के दौरान तीन करोड से ज्यादा की आय हुई थी जबकि शिमला एपीएमसी की आय 25 करोड सालाना है।इस बार इस आय के 15 से 18 करोड रुपए रहने का अनुमान है। सीधा आठ से दस करोड का नुकसान हो रहा है। इसके से सेब से मिलने वाली आय का हिस्सा ही आठ करोड के आसपास है।
सूत्रों के मुताबिक इन तीनों कृषि कानूनों के लागू होने के बाद सेब सीजन के दौरान एपीएमसी शिमला व किन्नौर की ओर से प्रदेश से बाहर जाने वाले सेब को लेकर शोघी,कुडडु और नेरी पुल में बेरियर लगाए जाते थे । सेब लेकर जो भी वाहन यहां से गुजरता था उससे फीस व अन्य प्रभार वसूले जाते थे। ट्रा
इन तीन कृषि कानूनों के लागू होने से एपीएमसी शिमला व किन्नौर को अपने ये बेरियर हट्राने पडे । ऐसे में सेब से लदे तमाम वाहन बिना फीस और अन्य प्रभार दिए बगैर बाहर चले गए। इससे इन बेरियर से एपीएमसी को आने वाले करीब साढे चार करोड की आय आना बंद हो गया। बेशक सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर रोक लगा दी है लेकिन जो वाहन चले गए उनसे तो वसूली नहीं ही हो सकती।
इन बेरियरों के अलावा बाकी जगह हुई खरीद फरोख्त से भी आय नहीं हुई। इसके अलावा एपीएमसी यूजर्ज चार्जिज भी वसूलती थी। इस तरह करीब आठ करोड के करीब की आय से एपीएमसी शिमला व किन्नौर को ही हाथ धोना पडा है।
इसके अलावा जिला शिमला में देवभूमि,अदाणी, जेसीओ व अन्य बडे कारोबारियों के समूहों की ओर से किए जा रहे कारोबार से भी जो फीस व प्रभार एपीएमसी को मिलने थे वह भी नहीं मिले है।देश के बडे कारोबारी अदाणी समूह से 2019 में 73 लाख रुपए के करीब आय हुई थी। लेकिन अभी तक अदाणी की ओर से कोई ब्योरा एपीएमसी शिमला व किन्नौर को नहीं दिया गया है। इसके अलावा जेसीओ, डोगरा और देवभूमि जैसे कारोबारी समूहों की ओर से भी सेब का कारोबार किया गया है। उनकी ओर से भी ब्योरा आना है। कृषि कानूनों के लागू हो जाने से इनसे भी अभी वसूली नहीं हो पाई है। सरकार के खजाने को यह वसूली हो पाएगी या नहीं इस बावत संशय बना हुआ है।
एपीएमसी शिमला व किन्नौर के सचिव ओमप्रकाश बंसल ने सरकार के आदेशों के बाद उन्हें तीनों बेरियर बंद करने पडे थे। इससे आय का आना बंद हो गया।
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