दाड़ला/शिमला।मजदूरों को नौकरी से निकालने पर अंबुजा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय बीते रोज पुलिसिया ताकत के दम पर मजदूरों को अरेस्ट करने के बाद आज इन आंदोलन कर रहे मजदूरों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व अर्की से भाजपा के विधायक गोबिंद शर्मा को कटघरे में खड़ा कर दिया हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र समेत जहां सारे मंत्री व विधायक प्रदेश पूर्ण राज्यत्व को उत्सव मना रहे हैं वहीं दाड़ला में अंबुजा कंपनी के गेट पर नौकरी से निकाले मजदूर अपने हकों की जंग लड़ रहे हैं।
इन मजदूरों ने कहा कि आज उनका अपनेे हकों को लेकर आंदोलन 61वें दिन में प्रवेश कर गया हैं लेकिन न तो अंबुजा प्रबंधन और न ही स्थानीय प्रशासन और न ही वीरभद्र सिंह सरकार दखल दे रही हैं।
अबंजा सीमेंट वर्कर्स यूनियन के महासचिव प्रदीप शर्मा ने कहा कि 40 दिन पहले जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बिलासपुर की ओर जा रहे तो अंबुजा से निकाले गए भू मिहीन मजदूरों ने उन्हें अपनी बहाली को लेकर एक ज्ञापन सौंपा था और मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया था कि मजदूरों की मांगों पर गोर किया जाएगा । लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ हैं।
वामपंथी मजदूर यूनियन सीटू के बैनर तले आंदोलन कर रहे इन मजदूरों के हवालेे से यूनियन के कोषाध्यक्ष देवराज शर्मा ने स्थनीय भाजपा के विधायक गोबिंद शर्मा को भी कटघरे में खड़ा कर दिया।देवराज ने कहा कि स्थानीय विधायक गोबिंद शर्मा व दाड़ला पंचायत के प्रधान तक इस मामले से भाग रहे हैं। ये संगीन इल्जाम हैं। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने मजदूरों के बीच आकर उनसे बात करने तक की जहमत नहीं उठाई अगर चुनाव का समय होता तो ये मसला कभी का समाप्त हो जाता ।
हालांकि अर्की के कांग्रेसी नेताओं को लेकर अभी यूनियन खामोश हैं । कांग्रेस के नेताओं की तो वीरभद्र के दरबार ही नहीं सोनिया व राहुल के दरबार तक पहुंच हैं। प्रकाश करड़ की सोनिया राहुल के दरबार में सीधी एंट्री हैं । कांग्रेस व भाजपा को मजदूरों के इस मसले पर अपना स्टैंंड क्लीयर करना चाहिए। चूंकि अध्रिकतर निकाले गए मजदूर अर्की विधानसभा हलके के अलग-अलग गांवों के हैं ,ऐसे में आगामी चुनावों में ये मसला मायने रखेगा।इन मजदूरों की जमीनें अंबुजा के कारखाने के लिए अधिग्रहित की जा चुकी हैं व इनके पास एक -एक, दो -दो बीघा ही जमीन बची हैं ।कइयों के पास इससे भी कम जमीन हैं। बावजूद इसके इन्हें नौकरी से निकाला गया हैं।
ये हो सकता हैं कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत इन दोनों दलों के राज्य स्तर व लोकल नेताओं को आगामी चुनावों में चंदे की जरूरत हो व अंबुजा जेपी जैसे कारपोरेेट धरानों से इन दलों को चंदा जाता हैं,ऐसे में ये सारे नेता खामोश हो व प्रशासन को भी को खामोश रहने के आदेश दे दिए हो। मजदूरों को नौकरी से निकालने वाले अंबुजा सीमेंट के कर्ताधर्ताओं की रक्षा के लिए तो वीरभद्र सरकार तुरंत सरकारी खर्चे पर हथिरयारों से लैस पुलिस की लारियां मौके पर भेज देती हैैं।लेकिन लेबर कानूनों का उल्लंघन हुआ हैं , इसके लिए अभी तक कोई जांच नहीं बिठाई। जब से ये कारखाने यहां लगा हैं तब से लेबर कानूनों के उल्लंघना के मामलों की जांच के लिए कमेटी बिठा दी जाए तो अंबुजा ही नहीं प्रदेश में बाकी कारखानों में कया हो रहा हैं ,उसका भंडा फूट जाएगा।
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