शिमला। वाटरमैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर राजेंद्र सिंह ने कहा कि सूखे की 60 फीसद वजह मनुष्य निर्मित हैं,सूखे के लिए प्रकृति तो केवल 40 फीसद ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि हरित क्रांति ने देश का सबसे बड़ा नुकसान ये किया कि उसमें रसायिनक खादों,कीटनाशकों का इस्तेमाल हुआ जो पर्यावरण के लिए घातक साबित हुआ। उन्होंने दावा किया कि उन्हीं राज्यों में किसानों ने आत्महत्याएं की है जहां पर खेती के लिए रसायनिक खादों व कीटनाशकों का इस्तेमाल हुआ है ।वो कर्ज नहीं लौटा पाए। जहां पर आर्गेनिेक खेती हो रही हैं वहां एक भी आत्महत्या नहीं हुई हैं। मैग्सेसे अवार्डी सिंह ने कहा कि पानी के मामले में हम ग्लोबल गुरू थे।अब हम पानी की संभाल क्यों नहीं कर सकते। हिमाचल को लेकर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को जल साक्षरता अभियान चलाना चाहिए।प्रदेश में पानी की संभाल नहीं हुई तो संकट झेलना पड़ सकता हैं।
राजेंद्र सिंह राजधनी शिमला में ‘कनेक्टिंग पीपल टू नेचर’ विषय पर विज्ञान,प्रौद्योगिकी और पयार्वरण राज्य परिषद की ओर से आयोजित व्ख्यानमाला के तहत अपना व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मध्य एशिया और अफ्रीका में बारिश कम नहीं हुई हैं वहां ये बेमौसमी हो रही हैं। रेन पैटर्न के हिसाब क्रॉप पैटर्न को अपनाना होगा।
डा. सिंह ने कहा कि हिमाचल के लोग तो भगवान के लाडले बेटी व बेटियां हैं, हम (राजसथान) सौतेले हैं। राजसथान के लोगों को बादल थोड़ा पानी देते हैं जबकि हिमाचल के लोगों को बादल साल में डेढ मीटर पानी देते हैं । आप देने वाले हो आप बड़े हो । लेकिन ऐसे दो कि आपके पास कमी न आए ,पानी हमेशा आपके पास रहे । प्रकृति की हरियाली हमेशा रहे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पानी चोरी सूरज बहुत करता हैं। हिमाचल में बहुत कम करता हैं।
उन्होंने कहा कि तकनीक ने विकास के मॉडल को बदल दिया हैं। अब बड़ा वो जो सबसे बड़ा शोषणकर्ता हैं।जबकि पहला वो बड़ा होता था जो अपने लिए सबसे कम लेता था। आज अमेरिका सबसे बड़ा हैं। वो सबसे ज्यादा पानी इस्तेमाल करता हैं।कॉमन प्रापर्टी को हड़पने वाला हैं।सबसे ज्यादा प्रदूषण पैदा करता हैं और सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी हैं। तभी वो सबसे बड़ा हैं। उन्होंने कहा कि अनपढ़ व आदिवासी लोग नेचर से लेते कम है और देते बहुत ज्यादा हैं। इसी तरह इंडस्ट्री ने संसाधनों को लूटा और और वो बड़े हो गए।
उन्होंने कहा कि पहले पानी का प्रबंधन समाज के हाथ था लेकिन अब पानी के सारे काम राज्य ने अपने हाथ ले लिए हैं।राज्य पानी का काम नहीं कर सकता। आज की बिडंबंना ये है कि जो पानी का सबसे ज्यादा काम करता है उसे पानी पीने के लिए भी मुश्किल से मिलता हैं। जो पानी के लिए कुछ काम नहीं करता उसके बाथरूम में सबसे ज्यादा पानी बर्बाद होता हैं। इसे बदलना होगा जो पानी के लिए काम करेगा उसे ज्यादा पानी मिलना चाहिए।
पानी के काम को समाज को अपने हाथ में लेना होगा। उनहोंने कहा कि पिछले 34 सालों में राजस्थान में उन्होंने समाज के सहयोग से सात मरी हुई नदियां जिंदा कर दी। बिना सरकारी व किसी संस्था की मदद के 11800 छोटे बांध बनाएं,जिससे 1200 गांवों में अढाई लाख कुंए रीचार्ज हो गए।
वाटरमैन ऑफ इंडिया ने कहा कि मौजूदा समय में 13 राज्यों के 327 जिले सूखे की चपेट में हैं। देश का 54 फीसद एरिया पानी की कमी से जूझ रहा हैं।
शिमला में पानी के मसले पर उन्होंने कहा कि शिमला का पानी का जो पुराना ज्ञान है उसके बारे में शिमला के हर बच्चे में समझ आए इसके डॉयलॉग शुरू करना चाहिए। कम्यूनिटी को आगे लाया जाना चाहिए। शिमला की कम्यूनिटी डिस्इंटेग्रेट हो गई हैं इसे इंटेग्रेट करने जरूरत हैं तब पानी की कमी नहीं रहेगी।
इस मौके पर राज्य परिषद के संयुक्त सदस्य सचिव,कुणाल सत्यार्थी, निदेशक अर्चना शर्मा समेत राजधानी के कई स्कूलों के बच्चों ने शिरक्त की।
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