शिमला।इसे खुदा का करिश्मा कहे या कुछ और हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अफसर विनीत चौधरी ने कभी एम्स के पूर्व सीवीओ व मैग्ससे अवार्डी आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी से एक-एक करके काम छीन लिया था लेकिन आज वो खुद बिना काम के हैं और वीरभद्र सिंह सरकार से काम मांग रहे हैं। चौधरी ने हाल ही में वीरभद्र सिंह सरकार को एक नोट लिखा हैं कि व सरकार से जानना चाहा है कि उनका काम क्या हैं।बताते है इस नोट को वीरभद्र सिंह सरकार ने दबा दिया है और इस अभी तक कोई जवाब नहीं दिया हैं।
उनके खिलाफ एम्स में रहते किए कारनामों को लेकर दी गई चेतावनियां व जांचे आड़े आ रही हैैं।विनीत चौधरी के खिलाफ पूर्व की यूपीए सरकार में ही नहीं मौजूदा मोदी सरकार के राज में भी वार्निंग दी गई थी। इसके अलावा एक मामले में सीबीआई ने भी उनके खिलाफ मेजर डिपार्टमेंटल एक्शन की भी सिफारिश की थी ।
यूं भी वीरभद्र सरकार उन्हें बिना काम से रखने के लिए बहाने ढूंढ रहीं हैं व इन चेतावनियों व जांचों को आड़ बना रही हैं। एक चेतावनी तो उन्हें उनके बेहद करीबी व मोदी सरकार में ताकतवर मंत्री जगत प्रकाश नडडा के स्वास्थ्य मंत्री के रहते भी मिली थी।ये चेतावनी आश्चर्यजनक हैं। यूपीए सरकार में माना जा रहा था कि यूपीए सरकार चौधरी के खिलाफ हो। तब नडडा देश भर के एकमात्र ऐसे सांसद थे जो एम्स के घोटालों को उजागर करने वाले एम्स के पूर्व सीवीओ व चर्चित आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी की नियुक्ति को लेकर मोर्चा खोले हुए थे। लेकिन जब खुद वो मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने तो उनके राज में भी वर्दी खरीद मामले में चौधरी को चेतावनी दी गई।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे व प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह की टीम की महत्वपूर्ण कड़ी नडडा ने यहां पर भी तरकीब निकाली और फाइल पर लिख दिया कि वो चौधरी के मामले से खुद को अलग करते हैं। तत्कालीन स्वास्थ्य राज्यमंत्री फगन कुलस्ते ने मोर्चा संभाला व इस खरीद मामले में चौधरी को चेतावनी देकर मामले से बाहर कर दिया। ये रही दो पेज की चेतावनी वाली वो चिटठी-:
मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा के करीबी वरिष्ठ आईएएस अफसर व प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी बनने के लिए कैट के दरवाजे पर पहुंचे विनीत चौधरी ने बीते दिनों में वीरभद्र सरकार को एक नोट लिखा हैं कि उन्हें उनका काम बताया जाए। चौधरी को सलाहकार शिकायत निवारण बनाया गया हैं लेकिन उनके पास कोई काम नहीं हैं।वो चाहते हैं कि उन्हें पंजाब सरकार में जिस तरह से स्पेशल चीफ सेक्रेटरी को विभाग दिए गए हैं,उन्हें भी उसी तरह से कोई विभाग आवंटित किया जाए।
वीरभद्र सिंह ने मई 2016 से चीफ सेक्रेटरी के पद पर चौधरी से जूनियर आईएएस अफसर वीसी फारका को चीफ सेक्रेटरी बना दिया था। इस पर उन्होंने ,उनकी बीवी उमपा चौधरी व दीपक सानन ने फारका को रिपोर्ट करने से इंकार कर दिया था।ये सब अफसर फारका से वरिष्ठ थे। अब दीपक सानन रिटायर हो गए हैं और विनीत चौधरी 30 सितंबर 2 018 में रिटायर होने हैं और वो फारका को चीफ सेक्रेटरी बनाने के खिलाफ कैट में हैं।
लेकिन उनके खिलाफ एम्स में रहते किए कारनामों को लेकर दी गई चेतावनियां व सीबआई की सिफारिशें मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। सीबीआई ने2009-10 में भी उनके खिलाफ एक मामले में मेजर विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की थी । ये रही सीबीआई की सिफारिश वाली चिटठी-:
विभागीय कार्रवाई हुई या नहीं ये किसी को पता नहीं हैं लेकिन ये सिफारिशें चौधरी का पीछा किए हुए हैं।हालांकि चौध्ारी ने भी फारका के खिलाफ शिकायतों की प्रतियां कैट में लगाई हैं। ये शिकायतें पर्यटन निगम के पूर्व कर्मचारी नेता ओम प्रकाश गोयल ने फारका के खिलाफ लगाए थे।गोयल ने ये शिकायतें सीबीआई को भी भेजी थी व सीबीआई ने एक चिटठी के साथ शिकायतों को प्रदेश विजीलेंस को भेज दिया था। समझा जा रहा है कि चौधरी ने सीबीआई की ये चिटठी भी कैट को दिए अपने जवाब में संलग्न की हैं। सरकार ने कैट में स्टैंड लिया था कि चौधरी के खिलाफ एम्स में हुई अनियमितताओं को लेकर शिकायते लंबित हैं।इसी के जवाब में चौधरी ने गोयल की ओर की गई शिकायतें कैट में दिए जवाब में शामिल की थी ।
इसके अलावा चौधरी के खिलाफ 2012 में भी जब यूपीए सरकार केंद्र में सता में थी तब भी उनके खिलाफ चेतावनी दी गई थी। ये रही चेतावनी की वो चिटठी-:
चूंकि अब चौधरी ने वीरभद्र सिंह सरकार से काम को लेकर नोट लिखा हैं तो वो जरूर कोई न कोई ऐसा अड़ंगा डालेगी कि चौधरी को कोई काम न दिया जाए। उधर, ये भी सही हैं कैट में चीफ सेक्रेटरी फारका की स्थिति कानूनन कमजोर हैं और एसीएस पर्सनल तरुण श्रीधर भी लपेटे में आ जाए इसकी कोई गारंटी नहीं हैं।ऐसे में ये चेतावनियां व सिफारिशें चौधरी की राह में रोड़ा डाल सकती हैं।
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