शिमला।सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तीर्थ सिंह ठाकुर ने एक बाद फिर दोहराया है कि देश की अदालतों में जजों के खाली पद राष्ट्रीय चुनौती है।उन्होंने खुलासा किया के देश के आठ राज्योंं की अदालतों में 80 फीसद मामले लंबित पड़ेे हैं।इन राज्यों में उतर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र,तमिलनाडुु,पश्चिमी बंगाल आदि राज्य शामिल है।उन्होंने कहा कि अदालतों को लंबित मामलों को निपटाना चाहिए व वो इस मामले को लगातार मोदी सरकार से उठा रहे है। जस्टिस ठाकुर के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी मोदी सरकार पर निशााना साधा था व कहा था किे मोदी सरकार कालेजियम की ओर से क्लीयर किए गए नामों को जज नियुक्त क्योंं नहीं करती है।सुप्रीम कोर्ट के जजों के कॉलेजियम ने दर्जनों जजों की नियुक्ति के लिए मोदी सरकार को नामों की फेहरिस्त एक अरसे से भेजी हुई है।
नरेंद्र मोदी के राजनीतिक दुश्मन अरविंद केजरीवाल ने तो यहां तक कहा था कि क्या मोदी सरकार बीजेपी से जुड़े वकीलों को जज लगवाना चाहती थी। केजरीवाल टवीट कर के बस कुछ कहते है।हालांकि जस्टिस ठाकुर की चिंताएं अलग है।
जस्टिस ठाकुर आज शिमला से करीब 22 किलोमीटर दूर घंडल में नेशनल कानून विवि के शिलान्यास के बाद मौजूद लोगों को संंबोधित कर रहे थे। याद रहे कि जस्टिस ठाकुर ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम भाषण पर निराशा जताई थी व कहा था कि प्रधानमंत्री ने अदालतों में खाली पड़े पदों को कहीं जिक्र नहीं किया।उन्होंने अपनी चिंता आज फिर दोहराई। जस्टिस ठाकुर हिमाचल के चार दिनों के दौरे पर है।इस दौरान वो जिला सिरमौर में अपने सुसराल भी गए।
हालांकि उन्होंने हिमाचल हाईकोर्ट में जजों की तादाद पर संतोष व्यक्त किया व जजों से आग्रह किया कि वो लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा करे। उन्होंने केरल व झारखंड की मिसाल देतेहुए कहा किजहां पर शिक्षा व जागरूकता का स्तर अधिक हैं वहां पर ज्यादा मुकदमें होंगे। उन्होंने कहा कि केरल में ज्यादा मुकदमें है जबकि झारखंड में कम मुकदमें है। इसकी वजह ये है कि केरल में लोग अपने अधिकारों को लेकर जागरूक है।
जस्टिस ठाकुर ने प्रदेश में खोली जा रही नेश्ानल लॉ यूनिवर्सिटी और ज्यूडिशियल अकादमी पर तीन अरब के करीब लागत आरही है अगर इन संस्थानों का सही इस्तेमाल नहीं किया गया तो ये अपराध की तरह होगा। जस्टिस ठाकुर ने इस मौके पर नसीहत दी कि न्यायिक अधिकारियोंं के अलावा अर्ध न्यायिक अधिकारियोंं को भी यहां पर ट्रेनिंग दी जाए और बाहरी राज्यों के न्यायिक अधिकारियोंं की ट्रेंनिंग का भी इंतजाम किया जाए।
जस्टिस ठाकुर ने चुटकी भी ली
जस्टिस ठाकुर के संबोधन से पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कि इन संस्थानों पर 300 करोड़ रुपए के करीब लागत आ रही है। ऐसे में केंद्र सरकार को हिमाचल की मदद करनी चाहिए। मुख्यमंत्री जस्टिस ठाकुर से आग्रह किया कि वो इस मामले में प्रदेश सरकार की मदद की।
इस पर जसिटस ठाकुर ने कहा कि वे ऐसा करने के लिए अधिकृत तो नहीं हैं लेकिन चूंकि हिमाचल में उनका ससुराल हैं तो वो प्रधानमंत्री व वित मंत्री से इस बावत जरूर आहवान करेंगे।इस मौके पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह,हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मंसूर अहमद मीर केअलावा हिमाचल हाईकोर्ट के सभी न्यायधीश व सरकार के आला अफसर मौजूद रहे।
जस्टिस ठाकुर शनिवार को हिमाचल विवि के दीक्षांत समारोह में शिरकत करेंगे।
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