धर्मशाला/ तपोवन। प्रदेश विधानसभा के तीसरे दिन का सत्र जहां सतापक्ष व विपक्ष की तीखी नोकझोंक के बीच हंगामेंदार रहा वहींं उसका समापन भाजपा के तीन वरिष्ठ विधायक सुरेश भारद्वाज, राजीव बिंदल और रणधीर शर्मा के सत्र के शेष दो दिन के निलंबन के साथ समाप्त हुआ।
भाजपा सदस्यों की गैरमौजूदगी में सतापक्ष कांग्रेस को भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार को जो कि नंवबर आठ के नोटबंदी के फैसले के बाद विपक्ष के निशाने पर हैं,को घेरने का एक मौका मिला। नियम 130 के तहत कांग्रेस के विधायक संजय रत्न, कुलदीप कुमार, मोहन ब्राक्टा और अजय महाजन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव जो कि सर्वसम्मति से पारित हुआ ,उस पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जहां मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को जो कि कालेधन के खिलाफ हैैं,को ठीक बताया वहीं उन्होंने इस फैसले को आर्थिक आपातकाल की संज्ञा दी।
उन्होंने कहा कि ये जल्द बाजी में उठाया गया कदम हैं। हम कालेधन के खिलाफ है लेकिन ऐसा लगता है ये वाहवाही लूटने के लिए उठाया गया एक कदम हैं। कृपया करके इसका समाधान भी जल्दी निकाला जाए। भारत एक बहुत बड़ा देश है व ज्यादातर आबादी गांवों व दूर दराज के क्षेत्रों में बसती हैं। चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री ने अपने एक अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली में कुछ शॉपिंग कर रहा था जब वो भुगतान करने गए तो ,उनके पीछे खड़े शख्स ने उनसे आग्रह किया कि आप मुझे नकदी दें दे ,आपके बिल का भुगतान मैं अपने कार्ड से कर देता हूं। उन्होंने कहा कि ऐसी समस्या सब लोगों के साथ आ रही हैं।
इससे पहले विधानसभा में आज उस वक्त अजीब स्थिति पैदा हो गई जब सदन स्थगित होने के बाद फिर से शुरू होने वाला था। विधानसभा अध्यक्ष सदन में आ ही रहे थे कि सदन में पहले से मौजूद बीजेपी सदस्य सुरेश भारद्वाज अध्यक्ष की कुर्सी पर जाकर बैठ गए और वहां से सदन की कार्यवाही को कल तक के लिए स्थगित करने एलान कर गए। जब भाजपा विधायक स्पीकर की कुर्सी पर विराजमान थे तो इतने में स्पीकर बीबी बुटेल का मार्शल वहां पहुंचा व भारद्वाज से आग्रह किया कि स्पीकर सदन में आ चुके हैं इसलिए आप आसन छोड़ कर चले जाएं। कुछ देर के लिए सुरेश भारद्वाज भी सकते में आ गए और एक दम उठकर सदन में अपनी सीट की ओर चले गए। स्पीकर बुटेल भी ये देखकर हैरान रह गए । इतने में भाजपा के विधायक व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में नारेबाजी करने लगे व सदन से बाहर चले गए।
सदन के नेता वीरभद्र सिंह भी उस वक्त सदन में आ गए थे। वे भी यह देखकर हैरान रह गए। इसके बाद सदन के नेता वीरभद्र सिंह ने इस प्रकरण के दोषी को दंडित करने की मांग की।
विपक्षी सदस्यों के बाहर जाने के बाद सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनेे लंबे राजनीतिक जीवन में ऐसी बेहुदगी नहीं देखी , जैसी बीजेपी नेताओं और विधायक ने की। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता ने न केवल सदन की अवमानना की बल्कि विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य आसन के पास पुहंच गए थे और नेता प्रतिपक्ष भी वहां पहुंचे थे। यह शर्म की बात है।एक बार फिर उन्होंने धूमल को कोसते हुए कहा कि ये सब कुछ दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रेम कुमार धूमल की मौजूदगी और इशारे पर हुआ। सुरेश भारदवाज का जिक्र किए बगैर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह स्पीकर की ओर मुखातिब होकर कहा कि एक सदस्य आपके आसन पर बैठता हैं और ऐसी घटना मैने अपने विधानसभा व लोकसभा के राजनीतिक जीवन में नहीं देखी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रजातंत्र में विरोध होता है, लेकिन इसमें शालीनता होनी चाहिए। विरोध नियमों के मुताबिक होना चाहिए। इस तरह बहक जाना गलत है। उन्होंने इस प्रकरण की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण पर दोषी सदस्य को दंडित किया जाना चाहिएए ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौर सिंह ने कहा कि आज सदन में बीजेपी सदस्य ने जो किया, यह लोकतंत्र का मजाक है और जब स्पीकर आ रहे थे , उस वक्त बीजेपी सदस्य सुरेश भारद्वाज स्पीकर की सीट पर बैठ गए और वहां से सदन को स्थगित करने की बात कर गए। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है। इसकी उन्होंने घोर निंदा की। उन्होंने कहा कि सुरेश भारद्वाज खुद सेल्फ स्टाइल प्रिजाइंडिंग आफिसर बन गए।
विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने कहा कि कुछ सदस्य उनकी बात मानने को तैयार नहीं है। लगता है कि इनके लिए ओरिएंटेशन करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन में आज जो घटा वह दुर्भाग्यपूर्ण है। बुटेल ने कहा कि यह जगह ड्रामा करने के लिए नहीं है। यहां रूल्ज पर कार्य होता है। लेकिन जो घटा,उसकी वे निंदा करते हैं।उन्होंने कहा कि इस घटना को हलके में लेना गलत है।
इससे पहले जैसे ही विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन का सत्र शुरू हुआ विपक्ष ने फिर सदन में हंगामा किया। आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य महेंद्र सिंह ने बीते रोज का सिलेक्टिव बिजनेस आज शिफ्ट करने पर एतराज जताया। उन्होंने अध्यक्ष से पूछा कि नियम 130 के तहत नोटबंदी पर चर्चा को आज क्यों लगाया गया। उन्की राय थी कि जो चर्चा कल नहीं हो पाई उसको आज फिर से क्यों एजेंडे में रखा गया। जबकि नियमों के मुताबिक कल का बिजनेस आज के लिए नहीं लग सकता। उन्होंने कहा कि इस चर्चा को निरस्त किया जाए।
महेंद्र सिंह ने कहा कि यदि नोटबंदी पर सत्तापक्ष के सदस्य चर्चा चाहते हैं तो वे गैर सरकारी सदस्य संकल्प में हिस्सा ले सकते हैं जो उन्होंने रखा है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आज के लिए जो बिजनेस लगा है उस पर कार्य शुरू किया जाए। इस पर सदन में शोर शराबा होने लगा।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नोटबंदी को लेकर रखे गए दोनों विषय अलग.अलग हैं। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा कि वे भी आज रखी गई चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे नियमों के मुताबिक सदन चला रहे हैं। उधर, संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री अपनी सीट से उठे और बोले कि सत्तापक्ष सदन चलाना चाहता है और सभी सदस्य नियम 130 के तहत नोटबंदी पर रखी चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं। इस बीच स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने कहा कि पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी होती है कि सदन चलाया जाए। लेकिन जो रूलिंग अध्यक्ष ने दी है वह उसके मुताबिक सदन चलाया जाना चाहिए।
इस बीचए नेता प्रतिपक्ष प्रेमकुमार धूमल ने कहा कि जब अध्यक्ष ही सत्तापक्ष की तरफ से बोलेंगे तो क्या होगा। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष दोनों पक्षों के विश्वास के पात्र हैं और आप से अपेक्षा है कि निष्पक्ष रूलिंग दे। उन्होंने भी पूछा कि जब कल का एजेंडा सदन में दोबारा नहीं लाया जा सकता तो इसे आज क्यों लाया गया।
धूमल ने अध्यक्ष से कहा कि उन्हें नियमों की रक्षा के लिए बिठाया गया हैए नियमों को तोड़ने के लिए नहीं।
उधर बुटेल ने कहा कि वे नियमो को भी बदल भी सकते हैं ।धूमल ने इस पर स्पीकर के बचाव का प्रयास करते हुए ये कहा कि आपका सेंस ऑफ हयूमर बहुत अच्छा हैं।
धूमल ने फिर कहा कि कल को वे यह न कह दे कि वे भारत के संविधान को भी बदल सकते हैं। इस पर बुटेल फिर बोले कि मौका आया तो करूंगा। इस पर भी सदन में शोर होने लगा। इसके बाद बुटेल ने माहौल को शांत करने की कोशिश की और आग्रह किया कि प्रश्नकाल को चलने दिया जाए। इसके बाद बैठकर वे नियम 130 पर रखी चर्चा के मामले पर बात कर सकते हैं। लेकिन विपक्ष इस बात पर अड़ गया कि सदन को स्थगित कर पहले फैसला किया जाए लेकिन स्पीकर इस पर राजी नहीं हुए। वे प्रश्नकाल को शुरू करवाना चाहते थे। लेकिन फिर धूमल बोलने को उठे और कहा कि सत्तापक्ष के कुछ ”तत्व” नहीं चाहते कि सदन चले। उन्होंने कहा कि यदि हमारी बात न मानी गई तो हमारे पास प्रोटेस्ट करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। बुटेल ने फिर कहा कि वे रूल के मुताबिक सदन चलाना चाहते हैं।
इसके बाद विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए वैल में आए और बीते रोज की तरह स्पीकर के आसन के पास आकर नारेबाजी करने लगे। इस बीच बुटेल ने शोरशराबे में प्रश्नकाल शुरू करवाया और पूरा प्रशनकाल शोरगुल के बीच आखिर के बीस मिनट ही चला। इसके बाद की कार्यवाही भी शोरगुल में चली।
सदन में आज परिवहन मंत्री जी एस बाली सदन की आज की कार्यवाही खत्म होने से पहले जो कि पौने तीन बजे खत्म हुई उससे बीस मिनट पहले ही सदन में आए। इसी तरह कांग्रेस विधायिका आशा कुमारी भी इस सत्र में आज पहली बार आई व वो भी करीब डेढ बजे सदन में पहुंची।
सदन में बीते रोज मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जहां भााजपा के एक विधायक पर भाजपा सदस्यों की नारेबाजी पर भड़क गए थे वहीं आज जब भाजपा के विधायक नारेबाजी कर रहे थे और अध्यक्ष्ाा बुटेल ने सदन की कार्यवाही को पंद्रह मिनट के लिए स्थगित किया तभी वीरभद्र सिंह के सामने से भाजपा रिखी राम कौंडल दिखे व दोनों ने आपस में किसी बात पर मुस्कराए।
आज सदन में संसदीय कार्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सूझबूझ का परिचय देते हुए स्थिति को संभाल लिया जब प्रश्नकाल के दौरान आसन ने वन मंत्री को प्रश्न ााजवाब देने के लिए पुकारा लेकिन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी सदन में ही नहीं थे। अग्निहोत्री जो उनकी साथ वाली सीट पर बैठते हैं उन्होंने उस प्रश्न का जवाब मंत्री भरमौरी के कागजातों में खोजा व स्थिति को संभाल लिया। इतने में भरमौरी भी सदन भी आए और अग्निहोत्री ने तैयार जवाब को उनके समक्ष रख दिया। आज भाजपा सदस्य विपक्ष दीर्घा में अपनी सीटों पर होतेे तो इस बात सरकार की बहुत किरकरी होती। अग्निहोत्री ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक परिपक्कवता का परिचय दिखाया और जब मुख्ययमंत्री वीरभद्र सिंह भाजपा विधायक के स्पीकर पर बैठने के कृत्य पर भड़के हुए थे तो अग्निहोत्री जो कि संसदीय कार्यमंत्री भी हैं कभी स्पीकर तो कभी विधानसभा सचिव व कभी मुख्यमंत्री से मशविरा लेते रहें। जैसे ही नोटबंदी के कारण आम लोगों को हुई असुविधा पर लाए गए संकल्प जो कि जो भाजपा सदस्यों की गैरमौजूदगी में सर्वसम्मति सेे पारित हुआ तभी मुकेश अग्निहोत्री अपनी सीट पर उठे और सदन में प्रस्ताव लाए कि भाजपा के तीनों विधायकों को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया जाए।
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