शिमला। दरक रहे शिमला में प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार बड़ा कांड करने जा रही हैं। हिमुडा की ओर से विकासनगर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्यालय और विकासनगर में पेट्रोल पंप के बीच की दस बीघा जमीन पर 12-12 मंजिलें दो कमर्शियल टावर खड़े करने की योजना हैं।
इनका निर्माण हो जाने के बाद इनमें से कुछ को पटटे पर दे दिया जाएगा और कुछ बेच दिया जाएगा। इस तरह सरकार के खाते के लिए पैसा कमाने का इंतजाम करने की मुहिम चलाई जा रही हैं।
हिमुडा के अधिकारियों ने आज इस बावत पूरा खाका मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने रखा। ये दो टावर 150 करोड़ रपए की लागत से बनाए जाएंगे। प्रोजेक्ट का खाका देखकर मुख्यमंत्री सुक्खू गदगद हो गए हैं।
याद रहे सुक्खू सरकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल शिमला विकास योजना यानी शिमला डवलपमेंट प्लान में कहा है कि सरकार शिमला में चार मंजिला से ज्यादा के भवन नहीं बनाएगी। इसके अलावा दर्जनों हरित पटिटयां भी अधिसूचित कर दी गई हैं। दरक रहे शिमला में निर्माण को लेकर परहेज करने का पर्यावरण विज्ञानियों का मत रहा है। हरित पंचाट ने तो ढाई मंजिल तक के निर्माण की शर्त लगा दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलट दिया था और सुक्खू सरकार के शिमला डवलपमेंट प्लान को मंजूर कर लिया था।उसमें भी चार मंजिलों के निर्माण से ज्यादा का प्रावधान नहीं हैं।
शिमला डवलपमेंट प्लान के तहत तो इतने बड़े कॉम्प्लैक्स शिमला में बन ही नहीं सकते। लेकिन जब अपनी सरकार है तो कोई गम ही नहीं हैं।
इन वाणिज्यिक परिसरों के निर्माण के लिए शिमला डवलपमेंट प्लान के तहत नहीं बल्कि कैबिनेट से विशेष मंजूरी के दम पर खड़ा किया जाएगा। जाहिर है सरकार पर इल्जाम लगेंगे कि वो ये सब बिल्डर लॉबी के लिए कर रही है और सुक्खू सरकार इन इल्जामों को बर्दाश्त करने के तैयार नजर आ रही हैं।
हिमुडा के उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा ने https://reporterseye.com से कहा कि जिस तरह से आइजीएमसी और हाईकोर्ट के बहुमंजिली इमारतों को कैबिनेट की विशेष मंजूरी के तहत खड़ा किया गया है उसी तर्ज पर इन टावरों को भी खड़ा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें पार्किंग से लेकर शापिंग मॉल तक सब कुछ होगा। टावर के कुछ हिस्सों को बेचा भी जाएगा।इसमें होटल भी होंगे।
उन्होंने दावा किया कि इन टावरों को खड़ा करने के लिए हिमुडा ने प्रारंभिक मंजूरियां ले ली हैं। क्या पर्यावरण विज्ञानियों व संस्थानों से भी सलाह ली गई है, उन्होंने कहा ये आगे की प्रक्रिया हैं।
इस मौके पर नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी,सीपीएस संजय अवस्थी, विधायक हरीश जनारथा समेत कई लोग मौजूद रहें।
याद रहे शिमला जगह –जगह से दरक रहा है। वह निर्माण का बोझ झेलने की स्थिति में नहीं हैं। बरसात में पिछले साल समरहिल में जमीन धंसने से बीस लोगों की मौत हो चुकी हैं। टूटीकंडी और कृष्णानगर में भी मौतें हो चुकी हैं।अब दस बीघा में बनने वाले इन टावरों के लिए होने वाले खुदाई से निकलने वाले मलबे को कहां ठिकाने लगाया जाएगा । ये किसी को पता नहीं हैं। पूरा कार्ट रोड़ सड़क के किनारे तमाम बड़े प्रोजेक्टों के लिए खोद दिया गया है। ऐसे में शहर दरकेगा नहीं इसकी गारंटी कौन देगा। सुक्खू सरकार और कांग्रेस की गारंटियां तो दम तोड़ चुकी हैं। बिल्डर्स लॉबी के लिए कुदरत से खिलवाड़ खतरनाक ही नहीं आत्मघाती भी हैं।
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