शिमला। भ्रष्टाचार से लेकर गवर्नेंस समेत दर्जनोंमसलों पर बुरी तरह से घिरे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए अंबिका सोनी की तरह ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुशील कुमार शिंदे का प्रदेश प्रभारी बनाया जाना संकट में सहारे जैसा हैं लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू व उनके कुनबे पर इस नियुक्ति से खतरा जरूर मंडरा गया हैं।
वीरभद्र व उनके खेमे की एक अरसे से सुक्खू की कुर्सी पर नजर लगी हुई हैं।लेकिन उन्हें वो हटा नहीं पा रहे हैं ।अंबिका सोनी कोई बड़ा कदम नहीं उठा पा रही थी । ऐसे में विधानसभा चुनाव के बचे चंद महीनों से कुछ पहले पार्टी में बदलाव किए जानेकी जरूरत हैं।
2012 के बाद जब से सुक्खू पार्टी अध्यक्ष बने तब से कांग्रेस पार्टी प्रदेश में एक भी चुनाव नहीं जीत पाई। यहां तक कि नगर निगम शिमला जो कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, वहां भी चुनाव हार गई।
सरकार व पार्टी के बीच शुरू से ही तनातनी चली हुई हैं।पार्टी भ्रष्टाचार में घिरे मुख्यमंत्री को हटाने में कामयाब नहीं हो रही हैं तो मुख्यमंत्री पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने किसी लाडले को नहीं बिठा पाए हैं। ऐसे में दोनों के बीच टकराव के चलते पार्टी अब तक के सारे चुनाव हारती गई हैं।
चूंकि अब आगामी महीनों विधानसभा चुनाव होने है ऐसे में अगर पार्टी व सरकार के बीच ऐसी ही तनातनी रही तो कांग्रेस का हाल वही होगा जो लोकसभा चुनावों में हो चुका हैं।
संभ्वत: ऐसे में शिंदे जाहिरा तौर पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तरफदारी में खड़े होकर सरकार और पार्टी को एकलय करने की कोशिश करेंगे।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपने लाडले व युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य को भी पार्टी में सथापित करना हैं।वो उन्हें प्रदेश की राजनीति में स्थापित करने में पूरा जोर लगाए हुए हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओकओवर से वो युवा कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेस तक कर चुके हैं।
फरियादियों की गुहारें उन्हीं से होती हुई सीएम की मेज तक पहुंचती हैं। धूमल ने भी ऐसा ही किया था।दोनों के लिए परिवार पार्टी से उपर हैं।
वैसे भी पार्टी के सांगठनिक चुनाव चले हुए हैं। इंतजार इस बात का हैं कि प्रदेश के कांग्रेसी क्या करते हैं।
शिंदे को बीते रोज ही प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया था। महाराष्ट्र के ये कांग्रेसी नेता पिछली यूपीए सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं।
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