शिमला। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अधीनस्थ सेवाएं कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को आज भंग कर दिया है व आयोग के तमाम लंबित कामों को प्रदेश लोक सेवा आयोग के सुपुर्द कर दिया हैं। सुक्खू सरकार के सता में आने के बाद ही पेपर लीक मामला हो गया था व सरकार ने आयोग के कामकाज को निलंबित कर दिया था।
सुक्खू ने कहा कि सरकार आगामी नियुक्तियों को उन नियुक्ति एजेंसियों को जिनके जरिए राष्ट्रीय स्तर पर नियुक्तियां की जाती हैं , से कराने को लेकर भी विचार विमर्श किया जा रहा हैं।
राजधानी में दोपहर को मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद यह खुलासा किया। उन्होंने दावा किया कि पिछले तीन सालों से कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में पेपर लीक करने का धंधा चला हुआ था। पेपर बेचे जाते थे व कुछेक लोगों को पेपर मुहैया करा उन्हें सरकारी नौकरी में लगा दिया जाता था। उन्होंने कहा कि तीन सालों में हुई नियुक्तियों को लेकर वेरीफिकेशंस का काम चला हुआ हैं। पेपर लीक करके कोई लगा होगा तो उस बावत बाद में कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस मामले की शिक्षा सचिव अभिषेक जैन से जांच करवाई गई थी व जांच रपट सरकार को मिल गई हैं। इसके अलावा आइजी की अध्यक्षता में विजीलेंस ने भी जांच शुरू की थी और कुछ कर्मचारियों व आरोपियों को अरेस्ट किया गया था। विजीलेंस की जांच अभी भी जारी हैं।
पेपर लीक मामले में किसी राजनेता की संलिप्तता भी सामने आई हैं। सुक्खू ने इस मामले का कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
सुक्खू ने कहा कि आयोग ने जो पेपर कराने थे या परिणाम निकालना था व अन्य कोर्इं नियुक्ति प्रक्रिया करनी थी वह सब काम अब अगले विकल्प तक प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से किया जाएगा। इसके अलावा कर्मचारी चयन आयोग के कर्मचारियों को दूसरे विभागों में जाने के लिए विकल्प मांगे गए हैं।
लेकिन दिलचस्प तौर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू यह खुलासा नहीं कर पाए कि पिछले तीन सालों में जयराम सरकार में पेपर खरीद कर व पेपर लीक के जरिए कितनी नियुक्तियां हुई। हालांकि अभी जांच जारी हैं लेकिन साठ दिनों की जांच में कुछ तो आ ही जाना चाहिए था।
यादरहे सुक्खू सरकार के सत्ता में आने के बाद 23 दिसंंबर को यह पेपर लीक हो गया था व आयोग की गुप्त शाखा में तैनात उमा आजाद और उसके बेटे को विजीलेंस गिरफतार किया था।
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