शिमला। केंद्र की मोदी सरकार किस तरह से जनता के खजाने पर हाथ डालने का काम कर रही है ये बीते दिनों राजधानी में केंद्र सरकार के एक मंत्री के कार्यक्रम से साफ हो जाता हैं। वाकया 26अप्रैल का है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार के अदारों में नौकरी हासिल करने चाले युवाओं व युवतियों को नियुक्त पत्र बांटने का कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित किया।
प्रधानमंत्री ने करीब 51 हजार नियुक्त्िा पत्र आनलाइन बांटे जबकि देश के विभिन्न राज्यों में मंत्रियों को भेजा गया और इस सबका खर्च जनता के खजाने से किया गया। इस तरह नियुक्ति पत्रों को बांटने के लिए रोजगार मेल का नाम दिया गया और देश भर में 47 जगहों पर ऐसे रोजगार मेले लगाए गए।
केंद्र सरकार के ये रोजगार मेले कितने अजीब व हैरतअंगेज ककरने वाले है अपनी मेहनत के बूते तमाम तरह की परीक्षाओं को पास कर नौकरी हासिल करने वालों को नियुक्ति पत्र बांटने के काम को रोजगार मेले का नाम दे दिया गया हैं। सही ही हैं, मोदी हैं तो मुमकिन हैं।
इस कड़ी में राजधानी शिमला में 26 अप्रैल को सीपीआरआइ यानी केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, बेम्लोइ में ये कार्यक्रम आयोजित हुआ और इसमें नियुक्ति पत्र बांटने के लिए केंद्रीय कोयला व खनन राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे दिल्ली से शिमला पहुंचे।
इसके अलावा इस मौके पर केंद्र सरकार के शिमला में तमाम आला अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए । दुबे ने इतनी दूर से आकर लाखों खर्च कर महज 25 के करीब केंद्रीय नौकरी हासिल करने वाले युवाओं व युवतियों को नियुक्ति पत्र बांटे जबकि बाकियों को हिमाचल में तैनात संयुक्त आयकर आयुक्त शिमला राजा घोष ने ये नियुक्ति पत्र बांटें। हैरानी की बात है की कुल 61 युवाओं व युवतियों को ये नियुक्ति पत्र बांटे गए और इतना बड़ा कार्यक्रम जनता के पैसों पर आयोजित कर दिया गया।
नौकरी हासिल करने वाले सभी युवाओं व युवतियों को राजधानी बुलाया गया। इन्हें सरकारी खर्चें पर बुलाया गया ये अभी साफ नहीं हुआ हैं। लेकिन आनलाइन के इस जमाने में जनता के पैसे को इस तरह उड़ाने को कोई औचित्य समझ नहीं आ रहा हैं।
याद रहे पहले नियुक्ति पत्र डाक से या मेल के जरिए अभ्यर्थियों को दिए जाते रहे है और वो अपने-अपने संबधित कार्यालय में नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं। इसमें जनता के पैसे भी बचते है।
लेकिन मोदी सरकार का एजेंडा अपनी ही तरह से चलता है। लेकिन ये एजेंडा जनता के पैसे के दम पर चलता हैं, आपति इसी बात पर है।
बहरहाल सीपीआरआइ में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में मंत्री के अलावा तमाम आलाअधिकारियों ने शिरक्त की और जाहिर सी बात है कि लाखों रुपए बेवजह ही खर्च भी कर लिए गए होंगे। महत 61 नियक्ति पत्रों को बांटने के लिए शिमला आना समझ से परे हैं।
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