शिमला।प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने संगीन इल्जाम लगाते हुए कहा कि पूर्व की जयराम सरकार में कर्मचारी चयन आयोग भ्रष्टाचार का अडडा बन गया था।
महासंघ के अध्यक्ष अध्यक्ष विनोद कुमार ने मीडिया को जारी ब्यान में दावा किया कि आयोग में मेरिट और योग्यताओं को दरकिनार कर बिचौलियों के जरिए सरकारी नौकरियां बेची जाती थी । नतीजतन आज एक अच्छे संस्थान को भंग करना पडा। उन्होंने कहा कि इस बावत पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
उन्होंने सुक्खू सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह की मुहिम चलाने का समर्थन करते हुए
सरकारी अमले को आगाह किया कि उसे समझ लेना चाहिए कि अब प्रशासनिक व्यवस्था में अनाचार,भ्रष्टाचार और लुंज-पुंजवाली कार्यप्रणाली प्रदेश में मंजूर नहीं होगी।
उन्होंने इल्जाम लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ने हर संस्था को भ्रष्टाचार के दलदल में धकेला जहां नियमों व वैधानिक प्रक्रियाओं की धज्जियां उडती रही व इन संस्थाओं में अराजकता का माहौल तैयार हो गया। उन्होंने भ्रष्ट मंत्रियों व अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया।
विनोद कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार तो लोकसेवा आयोग में भी हुआ हें जहां व्यक्तिगत इच्छाओं के चलते राजनीतिक नियुक्तियां हुई है, ऐसे में ऐसी नियुक्तियों को हासिल किए उन सभी को खुद ही आयोग से त्याग पत्र दे देना चाहिए। नैतिकता का भी यही तकाजा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि सरकारी विभागों, निगमों व बोर्डों समेत कहीं भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त न किया जाए और काली भेडों का पता लगा कर उनको भी नेस्तनाबूद किया जाए। इसके अलावा काबिल और ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों की सरकार बिना किसी भेदभाव के उचित पदों पर तैनाती दें और विभागों के मुख्यालयों में रोटेशन तबादला नीति लागू करे।
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