शिमला।केंद्र व राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम सतलुज जल विदयुत निगम ने अगले पांच सालों में प्रदेश में व बाहर 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने का एलान किया है। इससे तीन हजार मेगावाट बिजली पैदा की जाएगी। निगम के अध्युक्ष नंदलाल शर्मा ने राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सतलुज जल विदयुत निगम में लाहुल स्पिति के काजा में एक हजार मेगावाट का सौर पार्क भी स्थापित करने जा रही है।ये पूछे जाने पर कि सौर पार्क लगाने के लिए अधिकांश उपकरण चीन से आयात किए जाते है मौजूदा स्थिति में क्या ये उपकरण चीन से आयात किए जाएंगे। नदलाल ने कहा कि भारत ने चीन से इस तरह के तमाम उपकरणों के आयात पर पाबंदी लगा दी है। ऐसे उपकरणों के लिए अन्य विकल्प तलाशे जाएंगे व इस दिशा में भारत में भी कांम हो रहा है।
उन्होने कहा कि निगम को 210 मेगावाट की लूहरी पन विदयुत परियोजना के पहले चरण और 66 मेगावाट के धाला सिद्ध पन विदयुत परियोजना के लिए निवेश की मंजूरी मिल गई है। लूहरी परियोजना के लिए 1810 करोड़ की निवेश की मंजूरी मिली है।उन्होने कहा कि इन दोनों परियोजना से बनने वाली बिजली की कीमत चार रुपए छह पैसे व चार रुपए 46 पैसे प्रति यूनिट पड़ेगी। प्रति यूनिट ज्यादा लागत आने की वजह से ये दोनों परियोजनाएं लटक गई थी। लेकिन निगम ने केंद्र व राज्य सरकार का दरवाजा खटखटाया। केंद्र सरकार ने 50 फीसद जीएसटी लौटाने का आग्रह मान लिया व राज्य् सरकार को पहले दस सालों में 12 फीसद की जगह चार फीसद,11 से 25 साल के बीच 8 फीसद और 25 से 40 साल की अवधि के बीच 12 फीसद मुफत बिजली देने का प्रस्ताव दिया व इसी के साथ 40 साल से लेकर जब तक परियोजना से बिजली पैदा होती है उसमें से राज्य को 25 फीसद मुफत बिजली देने का प्रस्ताव भेजा। इसे प्रदेश सरकार ने मान लिया व इससे प्रति यूनिट बिजली की दर कम हो गई और इन परियोजनाओं को लगाने का रास्ताा साफ हो गया।
66 मेगावाट के धौला सिद्ध परियोजना में भूमि अधिग्रहण की वजह से प्रति यूनिट दर बहुत ज्यदा बढ़ रही थी। इसके लिए प्रभावित परिवारों से बात की गई व उन्होंने भरोसा दिया कि उनकी जमीन की जिस कीमत पर परियोजना संभव हो रही है उन्हें वही कीमत मंजूर है। नंदलाल ने कहा कि इससे यह परियोजना संभव हो गई व अब निगम इन दोनों परियोजनाओं को अगले पांच सालों में तैयार कर देगा। उनहोंने कहा कि निगम की नौ परियोजनाएं निर्माणाधीन है।
उन्होंने कहा कि कोविड के कारण एक पल के लिए भी बिजली बनना बंद नहीं हुआ और बिजली लगातार मुहैया कराई जाती रही लेकिन परियोजना निर्माण में जरूर कुछ दिक्कतें आई। लेकिन इससे निपट लिया जाएगा।
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