शिमला। प्रदेश बिजली बोर्ड में किसी समय 43 हजार का स्टाफ हुआ करता था जिसमें अब कुल 13 हजार 800 कर्मचारियों का स्टाफ बचा हुआ है। विधानसभा में ही सरकारों की ओर से अलग-अलग समय में जवाब दिया जातर रहा है कि बिजली बोर्ड में आठ से नौ हजार कर्मियों के पद खाली पड़े है।
ऐसी स्थिति होने के बावजूद सरकार के सलाहकारों ने बिजली बोर्ड से चार से पांच हजार का स्टाफ कम करने के लिए सर्वे कराया है। इस बावत बिजली बोर्ड प्रशासन ने सरकार को रपट भी भेज दी है।
अब स्टाफ की कमी से जूझ रहे बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने सरकार की इस मुहिम का जमकर विरोध किया है और फरवरी महीने में महापंचायत बुलाने का एलान कर दिया है।
यूनियप का कहना है कि बोर्ड के कर्मचारी प्रदेश के 30 लाख उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं देती है। स्टाफ की पहले ही कमी है। जहां पहले ब्रांच में 25 कर्मचारी होते है वहां छह कर्मचारी काम कर रहे है। यही हाल फील्ड का है।
जानकारी के मुताबिक बिजली बोर्ड से बैठकर अधिकारियों ने फील्ड के अधिकारियों से रपट मांगी की ये लिख कर दे दिया जाए कि उन्हें इतने ही लोगों की जरूरत है। कहा जाता है कि जब फील्ड से 40 कर्मचारियों का आंकड़ा भेजा गया तो उन्हें 40 की जगह 15 कर्मियों का आंकड़ा भेजने के लिए कहा गया । इस तरह रपट तैयार कर सरकार को भेज दी गई है।
उधर, बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन इस छंटनी के विरोध में उतर गई है। यूनयिन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने कहा है कि ये सर्वे कमरे में बैठ कर किया गया और सात दिन के भीतर रपट सरकार को भेज दी गई है। ये सर्वे जमीन हकीकत से कोसों दूर है।
इस बावत वर्मा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को एक चिटठी भी लिखी है।
ये रही चिटठी -:
माननीय मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश,
विषय: एचपीएसईबीएल में युक्तिकरण की आड़ में कर्मचारियों की कटौती के संबंध में।
आदरणीय महोदय,
मैं आपका ध्यान हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड में प्रबंधन स्तर पर युक्तिकरण की आड़ में कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने की जल्दबाजी में की जा रही प्रक्रिया की ओर आकर्षित करना चाहता हूं तथा यह कहना चाहता हूं कि प्रबंधन द्वारा एकतरफा ढंग से संशोधित मानदण्डों का मसौदा तैयार किया गया है, जिससे हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के मौजूदा कर्मचारियों की कार्य स्थितियों पर बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा।
इस संदर्भ में यह कहना है कि किसी भी महकमे के मानदंड उसकी संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं इसमे फेरबदल का व्यापक असर सीधे तौर पर उसकी कार्यप्रणाली और उसके कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर पड़ता हैं। इसलिए, मानदंड में किसी भी तरह के बदलाव के लिए उस महकमे का व्यापक अनुभव रखने वाले व मानवसंसाधन विशेषज्ञ लोगो की टीम ही उचित रहती है क्योंकि यह ऐसी प्रक्रिया है जो 20-30 वर्ष में एक बार की जाती है। इसके अलावा, एजेंडे पर काम करने वाली टीम को महकमे के साथ-साथ जमीनी स्तर तक के कर्मचारियों के ऊपर काम के दबाव का भी गहन अध्ययन करना जरूरी होता है और निर्णय लेने के लिए स्टैक होल्डर्स से इनपुट अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
यह देखा गया है कि एचपीएसईबीएल में यह कार्य जल्दबाजी में किया जा रहा है तथा प्रबंधन द्वारा फील्ड इकाइयों पर अपनी रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत करने के लिए अनुचित दबाव बनाया जा रहा है जिसमें कर्मचारियों के स्वीकृत पदों की संख्या आधे करने की बात कही जस रही है।
हालांकि, एचपीएसईबी लिमिटेड पहले से ही कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहा है और इसके कर्मचारी भारी दबाव में काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप लाइनों पर दुर्घटनाओं की दर कई गुना बढ़ गई है। यह प्रस्तुत करना प्रासंगिक होगा कि अतीत में भी वर्ष 2017 में सीई (ओपी) सीजेड मंडी की अध्यक्षता में यार्डस्टिक्स/मानदंडों को संशोधित करने के लिए कुछ समितियों का गठन किया गया था और उन्होंने मैराथन अभ्यास किया था और विस्तृत अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें पदों को बढ़ाने की बात कही गई थी।
महोदय, यह रिपोर्ट अनुचित/पूर्वाग्रहपूर्ण है और प्रबंधन द्वारा फील्ड ऑफिसों पर अनुचित दबाव बनाने के बाद तैयार की जा रही है। यूनियन युक्तिकरण के खिलाफ नहीं है, लेकिन यह कर्मचारियों के परामर्श से बाहरी एजेंसी द्वारा निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए ताकि यह कर्मचारियों की कार्य स्थितियों और पदोन्नति के अवसरों को प्रभावित न करे।
एचपीएसईबीएल के प्रबंधन द्वारा एक प्रस्तुति के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किया जा रहा डेटा तथ्यों पर आधारित नहीं है और इसे गैर-पेशेवर/अनुभवी टीम द्वारा तैयार किया गया है। हालाँकि, युक्तिकरण के लिए विशेषज्ञों से व्यापक अध्ययन की आवश्यकता है और इसके कर्मचारियों के परामर्श से किया जाना चाहिए। जबकि, इस मामले में यूनियनों/एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया है।
इसलिए, अनुरोध है कि जो आंकडे प्रवंधन द्वारा आप तक पेश किए जा रहे है पर भरोसा न किया जाए और प्रबंधन को निर्देश दिया जाए कि वे इस तरह के अध्ययन के लिए बिजली बोर्ड़ के अनुभवी व मानव संसाधन विशेषज्ञ टीम का गठन कर करवाये जो फील्ड यूनिट में जाकर अध्ययन करने के बाद ही अपनी रिपोर्ट पेश कर कर्मचारी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर ही इसे अन्तिम रूप दे।
सस्नेह।
आपका विश्वासी,
(हीरा लाल वर्मा) महासचिव
(499)