शिमला।हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दर्शन को समझाती ‘द विजनरी’ नामक किताब ने प्रदेश की सियासत में तूफान खडा कर रखा है। विपक्ष लगातार इस किताब पर सवाल उठा रहा है तो हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. राजेश शर्मा की भूमिका को भी कटघरे में खडा कर रहा है।
इस किताब को लेकर लगातार विपक्ष के हमलावर रुख के बीच सामने आते हुए डा. राजेश शर्मा ने भाजपाइयों का आहवान करते हुए कहा है कि नेहरू कांग्रेस के नहीं बल्कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, विपक्ष को भी उनकी नीतियों के प्रचार-प्रसार का करना चाहिए। डा. राजेश शर्मा ने विपक्ष से आग्रह किया है कि वह बुधवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले शिक्षा बोर्ड के धर्मशाला स्थित कार्यालय में आए,वहां बैठकर उनके साथ नेहरू पर जारी हुई किताब को समझने का प्रयास करे।
डा. राजेश शर्मा ने कहा है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, इस नाते उनसे जुड़ी हर बात एक अलग मायने रखती है,उन्हीं के चलते आज हम खुले में आजादी की सांसे ले रहे हैं। नेहरू अपने आप में एक विचारधारा है, उस विचारधारा को मिटाने के पिछले कुछ वर्षों से जो प्रयास हो रहे हैं, ऐसे में वो नेहरू की विचारधारा को जिंदा रखने की बात कर रहे है।
शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि रही बात कांग्रेसी विचारधारा की तो जब नेहरू का नाम आता है तो कांग्रेस का नाम अपने आप ही जुडने लगता है। हालांकि,इसमें कुछ गलत नहीं है,नेहरू के विजन उनकी फिलोसाॅफी से अगर बच्चों को अवगत करवाने में भी विपक्ष को दिक्कत है तो कांग्रेस इसमें क्या कर सकती हैं। विपक्ष को इन बातों का विरोध करने के बजाए नेहरू को समझना चाहिए,पढ़ना चाहिए,युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का बीड़ा उठाना चाहिए। विपक्ष को तो और ज्यादा जिम्मेदारी से काम लेते हुए नेहरू की नीतियों के प्रचार-प्रसार का काम करना चाहिए,चूंकि नेहरू कांग्रेस के नहीं देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
शर्मा ने कहा है कि दूसरी बात ये है कि ‘द विजनरी’ नामक किताब से विपक्ष को किस बात की दिक्कत है। अगर इस किताब को बोर्ड प्रबंधन ने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के मार्फत युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का लक्ष्य हमने रखा तो उससे बोर्ड की आमदन भी बढेगी। चूंकि इस किताब का पचास रुपए मूल्य भी निर्धारित किया गया है। विपक्ष को चाहिए कि इस किताब के प्रचार-प्रसार में मदद करे। इसके भीतर पूरी सामग्री जवाहरलाल नेहरू फाउंडेशन से बाकायदा अनुमति के साथ बोर्ड के कॉपीराइट के तहत प्रकाशित हुई है।
उन्होंने कहा कि जहां तक बात किताब के भीतर छपे संदेश की है तो उसमें बुरा ही क्या है। अगर विपक्ष को लगता है कि इसमें देश के शिक्षा मंत्री का भी संदेश होना चाहिए तो वह उस संदेश को बोर्ड प्रशासन तक पहुंचाने में हमारी मदद करे। बोर्ड उसे भी प्रकाशित करने से गुरेज नहीं करेगा।
डाॅ राजेश ने कहा है कि उनका विपक्ष से आग्रह है कि अगर हिमाचल प्रदेश से चिट्टा को मिटाना चाहते हैं तो इस किताब का विरोध नहीं बल्कि इसके समर्थन में आगे आकर इस किताब को थाम ले,ताकि हम अपनी युवा पीढ़ी का ध्यान दूसरी तरफ लगा सके। इस किताब के दो फायदे होंगे,एक तो हमारी युवा पीढ़ी का ध्यान नकारात्मक चीजों से हटेगा दूसरा मोबाइल से उसे दूर ले जाने में भी कहीं ना कहीं मदद होगी। इससे कही ना कही चिट्टा के चंगुल में फंस रही युवा पीढ़ी को बचाने में भी हम मिलकर मदद कर सकेंगे।
उन्होंने भाजपा विधायकों से आग्रह किया कि वह धर्मशाला में रहते हुए स्कूल शिक्षा बोर्ड के कार्यालय में आए और इस किताब को उनके साथ बैठकर समझने का प्रयास करे। राजेश शर्मा ने विपक्ष से इस किताब पर विवाद खडा करने के बजाए सहयोग करने का आग्रह किया है।
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