शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में रैगिंग का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है। आइजीएमसी के हास्टल में बीती रात को एमबीबीएस के एक कनिष्ठ छात्र पर नशे में धुत वरिष्ठ छात्रों ने कहर बरपाया। कनिष्ठ छात्र ने लक्कड़ बाजार चौकी में जाकर अपनी दास्तां सुनाई और कहा कि नशे में धुत वरिष्ठ छात्रों ने उनकी रैंगिंग ली व मारपीट भी की।ये सब राजधानी में प्रदेश के सबसे पुराने मेडिकल कालेज के हास्टल में हुआ है। जिस छात्र को पीटा गया है वह एमबीबीएस तीसरे साल का छात्र है और पीटने वाले इंटरनशिप कर रहे है।ये मामला अपने आप हैरानी वाला है। अगर छात्र की शिकायत सही है तो हास्टल में शराब कैसे चल रही है इसे लेकर आइजीएमसी प्रशासन भी सवालों के घेरे में आ गया है।इस शिमला के नए नियुक्त एसपी मोहित चावला भी हैरान है।
पुलिस ने छात्र के बयान लेकर दोनों आरोपी छात्रों के खिलाफ रैगिंग निरोधक अधिनियम की धारा तीन और भारतीय दंड संहिता की धारा 323,व 324 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
एसपी शिमला मोहित चावला ने कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज से भी विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। अभी तक किसी भी छात्र को गिरफतार नहीं किया है।
चावला ने जोड़ा कि पुलिस मामले की पूरी तहकीकात करेगी और छात्रों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी पुलिस की है। ऐसी हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये पूछे जानेपर कि ये सब हास्टल में हुआ है तो वार्डन को लेकर भी जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि ये सब जांच में सामने आएगा कि किसकी क्या भूमिका है।ये पूछे जाने पर कि ये छात्र प्रदेश के हैं या बाहर के।चावला ने कहा कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक सये हिमाचल के ही हैं।
उधर,इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज के प्राधानाचार्य रजनीश पठानिया ने भी अपने स्तर इस मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी है।
याद रहे टांडा मेडिकल कालेज में कुछ साल पहले रैगिंग की वजह से एक छात्र अमन काचरू की मौत हो गई थी । इस मामले में छात्रों को दोषी भी ठहराया गया व सजा भी हुई थी। लेकिन तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने इन छात्रों को अपनी डिग्रियां पूरी करने को लेकर दायर याचिका का विरोध नहीं किया। जिससे ये एक कनिष्ठ छात्र का रैगिंग के जरिए कत्ल करने के बावजूद डाक्टरी की पढ़ाई करने में कामयाब हो गए थे। तब वीरभद्र सिंह सरकार के रवैये पर अमन काचरू के पिता राजेंद्र काचरू ने दुख जताया था ।उनहोंने कहा था कि जब सरकार ही दोषी छात्रों के पक्ष में खड़ी हो जाए तो कोई क्या कर सकता है। वह कुछ और पढ़ाई कर सकते थे। अब कल वह डाक्टरी करेंगे।
उन्होंने रैगिंग के खिलाफ जबरदस्त मुहिम छेड़ी थी। लेकिन प्रदेश के मेडिकल कालेजों के प्रशासन ने इस मौत के बाद कुछ भी सबक नहीं सीख है।
याद रहे हरेक छात्र को रैगिंग न करने को लेकर अब दाखिलें के दौरान शपथपत्र देना पड़ता है। लेकिन ये सब औपचारिकता ही रह गई है।
(4)