शिमला। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी चंबा ने सड़क निर्माण करने वाले एक ठेकेदार को बैंकों की फर्जी गारंटियों के आधार पर लाखों रुपए बतौर अग्रिम वसूलने के मामले में दोषी ठहराते हुए उसे सात साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा उस पर 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। सीजेएम चंबा अभय मंडयाल ने साथ ही दोषी ठेकेदार को आदेश दिए है कि वह लोक निर्माण विभाग को पांच लाख रुपए जुर्माना अदा करे।
विजीलेंस के मुताबिक 15 मार्च 2007 को लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता भरमौर ने ठेकेदार अरविंद शर्मा को भरमौर में डाहली से साहन के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत एक करोड़ 99 लाख 30 हजार 722 रुपए का ठेका दिया था। ठेकेदार को यह काम 29 अक्तूबर 2008 तक पूरा करना था।
ठेका मिल जाने के बाद ठेकेदार ने ग्रामीण बैंक भजराड़ू से तीस लाख की बैंक गारंटी के दस्तावेज देकर मशीनरी की मोबलाइजेशन के लिए लोक निर्माण विभाग से 29 लाख 40 हजार रुपए अग्रिम ले लिए। इसी बैंक से इसी तरह बैंक गारंटी के आधार पर 27 लाख रुपए ले लिए। जबकि इसी तरह से स्टेट बैंक आॅफ इंडिया की बैंक गारंटी के आधार पर लोक निर्माण विभाग से 26 लाख रुपए हासिल कर लिए।
बाद में जब लोक निर्माण विभाग ने इन बैंक गारंटियों के दस्तावेजों की छानबीन की तो पता चला कि असल में किसी भी बैंक ने कोई भी भी गारंटी नहीं दी थी । सारे दस्तावेज जाली पाए गए।
इस पर विभाग के अधिकारियों ने मामला विजीलेंस को सौंप दिया। विजीलेंस ने शुरूआती छानबीन करने के बाद 6 फरवरी 2010 को विजीलेंस के चंबा थाने में धारा 420,467,468 और 471 के तहत मामला दर्ज कर दिया। मामले की जांच सब इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह को सौंपी गई। जांच के दौरान बैंक गारंटियो ंसे जुड़े तमाम कागजात जाली पाए गए।। विजीलेंस ने सीजेएम चंबा की अदालत में चालान पेश किया व सीजेएम चंबा अभय मंडयाल ने ठेकेदार अरविंद शर्मा को सात साल की सजा और 40 हजार का जुर्माना लगा दिया है। साथ ही सड़क निर्माण में देरी के लिए पांच लाख रुपए लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता भरमौर के खाते में बतौर मुआवजा जमा कराने के आदेश दिए। बाद में विभाग ने इस सड़क के दोबारा टेंडर किए व काम दूसरे ठेकेदार को दिया।
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