शिमला।प्रदेश की जयराम सरकार की जुन्गा बटालियन में पुलिस के अधिकारियों ने कारनामा दिखा दिया है। चूंकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अभी प्रशासन पर पकड़ नहीं बनी है तो अधिकारी उसका पूरा लाभ उठाने में कोई चूक नहीं कर रहे है। जुन्गा बटालियन में कमांडेंट पुलिस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो गए तो वह बटालियन का प्रभार बटालियन में दो नबंर पर एएसपी स्तर के पुलिस अधिकारी को नहीं दे गए । वह तीसरे नंबर पर डीएसपी स्तर के अधिकारी को बटालियन का प्रभार दे गए। यह सेवा नियमों के खिलाफ था और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सीएमिशप के लिए खुली चुनौती है।
इसलिए कांग्रेसी आज भी कहते है कि भाजपा की जयराम सरकार सता में पुलिस महकमे में आज भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी अधिकारियों का जलवा बरकरार है।
कम से कम प्रदेश पुलिस की जुन्गा बटालियन के कमांडेट संजीव गांधी के आदेश तो यही साबित करते है। प्रदेश में पुलिस भर्तियों को लेकर हो रहे साक्षात्कार के लिए सरकार ने संजीव गांधी की डयूटी साक्षात्कार लेने के लिए लगा दी। यह साक्षात्कार एक मई से पांच मई तक आयोजित हो रहे। एक मई की उन्होंने दिलचस्प आदेश जारी
किया। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि उनकी गैरहाजिरी में बटालियन के कमांडेट का काम डीएसपी पदम दास देखेंगे। जबकि कायदे से यह प्रभार बटालियन में डीएसपी पदम दास के बजाय एएसपी भूपेंद्र नेगी को सौंपा जाना था।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एएसपी भूपेंद्र नेगी बटालियन में संजीव गांधी के बाद दूसरे नंबर पर है और डीएसपी पदम तीसरे नंबर है। कमांडेट संजीव गांधी ने अपने आदेशों की प्रति प्रदेश के डीजीपी और एडीजीपी आर्म्ड पुलिस और ट्रेनिंग को भी भेजी। कनिष्ठ अधिकारी के अधीन काम करने के बजाय इस आदेश के बाद भूपेंद्र नेगी मेडिकल लीव पर चले गए।
वीरभद्र सिंह के करीबी है संजीव गांधी और पदम
डीएसपी पदम दास कई सालों तक पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सुरक्षा अधिकारी रहे है। पिछल्ली सरकार में पुलिस विभाग में वह शिमला के तत्कालीन एसपी डोडुंप वांग्याल नेगी के बाद दूसरे सबसे ताकतवर अधिकारी थे। नेगी इन दिनों गुडिया मामले में कैथू जेल में है।
वीरभद्र और सुभाष आहलुवालिया के कारनामों की थी जांच नेगी ने
याद रहे कि भूपेंद्र सिंह नेगी पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार के दौरान केंद्रीय डेपुटेशन पर वित मंत्रालय के प्रवर्तन निदेशालय में तैनात थे। प्रदेश में जब इडी का कार्यालय खुला तो वह यहां पर बतौर सहायक निदेशक इडी तैनात हुए। उन्होंने इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनके प्रधान सचिव पूर्व आइएएस सुभाष आहलुवालिया के संपति व भ्र्रष्टाचार से जुड़े मामलों की तहकीकात की थी।
सूत्र बताते है कि तब पुलिस के एक आला अधिकारी ने जो अब बड़े ओहदे पर है ने उनसे वीरभद्र सिंह की मदद करने को कहा था। लेकिन वह ऐसा करने से मुकर गए। इसक बाद पूर्व सरकार में ही उन्हें केंद्र से वापस अपने मूल काडर में बुल लिया गया और चंबा तैनात कर दिया। नेगी उस समय पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबियों में गिने जाते थे।
उसके बाद प्रदेश में भाजपा सरकार सता में आई।लेकिन धूमल की जगह जयराम मुख्यमंत्री बन गए। बावजूद इसके उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें सहीं पोस्टिंग मिलेगी। उन्हें सीआईडी में एएसपी लगाया भी गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्हें जुन्गा बटालियन में भेज कर हाशिए पर धकेल दिया।
लेकिन अब वह वहां अपने से कनिष्ठ अधिकारी डीएसपी पदम दास के अधीन कर दिए गए है। दिलचस्प यह है कि कई साल पहले जब भूपेंद्र नेगी सीआइडी में हुआ करते थे तो उन्होंने पदम दास की ओर से दूसरी शादी करने को लेकर विभाग के पास आई शिकायत की जांच की थी।अब स्थिति दिलचस्प बनी हुई है।
संजीव गांधी भी डीजीपी सीताराम मरढ़ी व डीएसपी पदम दास की तरह ही वीरभद्र सिंह के करीबी अधिकारियों में गिने जाते रहे है। मरढ़ी तो पिछल्ली सरकार में ही डीजीपी बनते-बनते रहे थे। उन्होंने सलामी का इंतजाम भी करवा लिया था। जबकि संजीव गांधी प्रदेश के बड़े जिला कांगड़ा व ऊना के एसपी रहे थे। यहां महत्वपूर्ण यह है कि गृह विभाग मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खुद के पास है। उनके अपने ही विभाग अधिकारी कारगुजारियां करने में लगे है और मुख्यमंत्री को न तो पुलिस, सीआइडी और न ही गृह सचिव प्रबोध सक्सेना इस तरह की कारगुजारियां बताते हैं और न ही मुख्य सचिव विनीत चौधरी और उनकी प्रधान सचिव मनीषा नंदा।
त्रिलोक जम्वाल, शिशू धर्मा और महेंद्र धर्माणी को तो संभवत इन मसलों का पता भी नहीं है।
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