मंडी/शिमला।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अप्रत्याशित तौर पर मंडी में आयोजित भाजपा की परिवर्तन रैली में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के राजनीतिक दुश्मन लेकिन अपने(मोदी के) दोस्त प्रदेश केे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर उनके भ्रष्टाचार के कारनामों का जिक्र किए वगैर व्यंग्यात्मक हमला बोला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मंगलवार को मंडी के पडडल ग्राउंड में भाजपा की परिवर्तन रैली में बोल रहे थे।मोदी ने आज तीन बिजली प्रोजेक्टों एनटीपीसी के 800 मेगावाट के कोल डैम हाइडल प्रोजेक्ट, एनएचपीसी के520मेगावाट के पार्वती हाइडल प्रोजेक्ट और एसजेवीएनएल के412 मेगावाट के रामपुर हाइड्रोप्रोजेक्ट का पडडडल ग्राउंड से बटन दबाकर उदघाटन किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर सीधा निशाना साधने से बचते रहे लेकिन उन्होंने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार को प्रदेश की जनता पानी के मुख्यमंत्री के नाम से जानती है।(हालांकि ये अलग कहानी है कि शांता कुमार को मोदी ने कोई तरजीह नहीं दे रखी है। दोनों के बीच पुरानी दुश्मनी है)। धूमल को जनता सड़कों का जाल बिछाने वाले मुख्यमंत्री के रूप जानती है। फिर मोदी ने रैली में आए भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर सवाल उछाला और बोले आपको पता है मौजूदा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह किस चीज के लिए जाने जाते है। इस एक लाइन के अलावा मोदी ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ कुछ ज्यादा नहीं बोला। गौरतलब हो कि मोदी व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह में पुरानी यारी है।
मोदी ने अपनी सरकार की कई योजनाओं का बखान किया व कहा कि जब से नई सरकार दिल्ली में बैठी है तब से 14वें वितायोग की अोर से प्रदेश को 72 हजार करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं। जबकि पहले 21 हजार करोड़ ही मिलता है। उन्होंने कहा कि केंद्र से प्रदेश को मिले पैसे का हिसाब किताब जनता मांगेगी।
इस मसले को मोदी से पहले धूमल ने उठाया था कि केंद्र से प्रदेश को मिल रही मदद का हिसाब किताब दिया जाना चाहिए। मोदी ने इस पर ये नहीं कहा कि केंद्र एक -एक पैसे का हिसाब लेंगे।हलकासा जिक्र किया कि जनता हिसाब मांगेगी।
इससे पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई की और उन्होंने मोदी को हरी टोपी पहनाई लेकिन इसे बाद राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उतराकर उन्हें कुल्लवी टोपी पहना दी।मोदी ने वसन रैंक वन पैंशन,प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना,स्वच्छता अभियान समेत कई योजनाएं गिनाई ।
इस मौके पर आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री की रेस में मोदी सरकार में मंत्री जे पी नडडा व धूमल मौजूद रहे व अपने अपन तरीके से एक दूसरेे से शह मात खेलते रहे। रैली में भाजपा ने सवा लाख लोगों की भीड़ जुटाने का दावा किया था लेकिन इतने लोग तो नहीं थे लेकिन रैली करीब करीब सफल रही।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मांग पत्र थमाया। ये रहा पूर मांग पत्र-:
1000 करोड़ रुपये का विशेष क्षतिपूर्ति अनुदान प्रदान करने का आग्रहः
हिमाचल प्रदेश को हरित आवरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने तथा पर्वतीय राज्यों में वनों के संरक्षण के लिये बहुमूल्य पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकीय सेवाएं प्रदान करने के लिये प्रदेश को प्रति वर्ष कम से कम 1000 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति अनुदान प्रदान करना। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से समूचे भारत को व्यापक लाभ पहुंचा हैए हालांकि इससे प्रदेश के लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। तत्कालीन योजना आयोग द्वारा श्री बीण् केण् चतुर्वेदी की अध्यक्षता में ष्अधोसंरचना के सृजनए जीवनयापन तथा मानव विकास पर विशेष रूप से केन्द्रित ष्वन भूमि प्रबंधन से पर्वतीय राज्यों में विकासष् के लिये गठित एक समिति ने संस्तुति की थी कि पर्वतीय राज्यों को सकल बजटीय सहयोग के दो प्रतिशत के बराबर वार्षिक विशेष अनुदान प्रदान किया जाए। प्रदेश द्वारा क्षतिपूर्ति अनुदान की मांग इसी समिति की सिफारिशों पर आधारित है। मुख्यमंत्री द्वारा केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को 1000 करोड़ रुपये की विशेष क्षतिपूर्ति अनुदान प्रदान करने की मांग की गई।
त्वरित पर्यावरण स्वीकृतियां प्रदान कर जल विद्युत परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान करने में आ रही देरी को दूर करनाः
हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा निर्धारित कुल भौगोलिक क्षेत्र के 33 प्रतिशत क्षेत्र में वन क्षेत्र होने की शर्त को पूरा करता है तथा प्रदेश में 66.5 प्रतिशत क्षेत्र को वन परिक्षेत्र वर्गीकृत किया गया हैए अतः केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को प्रदेश के केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में लम्बित जल विद्युत परियोजनाओं के त्वरित स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिएए क्योंकि हिमाचल प्रदेश पहले ही भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदण्डों को पूरा करता है।
हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों को सड़क निर्माणए पेयजल तथा जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिये वन भूमि के हस्तांतरण की सीमा को मौजूदा एक हेक्टेयर से बढ़ाकर 10 हेक्टेयर करने की शक्ति प्रदान करने का आग्रह।
शिमला हवाई अड्डे से व्यावसायिक उड़ानेंः
शिमला देश के बहुत कम राज्यों की राजधानियों में हैं, जहां कोई भी हवाई सुविधा नहीं है। शिमला हवाई अड्डे की अधोसंरचनात्मक सुविधाओं का भी स्त्तरोन्यन किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि वह केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा अन्य संबंधित संगठनों को शिमला हवाई अड्डे से व्यावसायिक हवाई सुविधाएं बहाल करने के निर्देश जारी करें।
सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा अतिरिक्त भूमि को इंजीनियरिंग कालेज कोटला ज्यूरी के उपयोग के लिये हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित की जाए। यह भूमि राज्य सरकार द्वारा 1980 के दशक में सतलुज जल विद्युत निगम को कार्यालय एवं आवासीय कॉलोनियों के निर्माण हेतु दी गई थी तथा वर्तमान में यह सरपल्स है। ज्यूरी अथवा कोटला स्थित इस परियोजना की भूमि का कोई भी उपयोग नहीं हो रहा है। यहां तक कि सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने भी इस सरपल्स भूमि को कोटला में इंजीनियरिंग कालेज के निर्माण के लिये प्रदेश सरकार को हस्तांतरित करने की सिफारिश की है। इस अनुपयोगी भूमि जिसमें निर्मित क्षेत्र भी शामिल हैए का उपयोग कालेज की स्थापना के लिये किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने तथा सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधिकारियों को शीघ्रातिशीघ्र इस भूमि को प्रदेश सरकार को हस्तांतरित करने का आग्रह किया गया।
हिमाचल प्रदेश को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के पूर्ण कालीन सदस्य के रूप में शामिल करने का आग्रहः
वर्तमान में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के प्रबंधन में पंजाब तथा हरियाणा दो ही राज्य हैं, क्योंकि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड की परियाजनाएं हिमाचल प्रदेश राज्य की प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र में आती हैए अतः यह हिमाचल प्रदेश का कानूनी अधिकार है कि उसे प्रबंधन में पूर्ण कालीन सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व दिया जाएए क्योंकि भाखड़ा परियोजना के कारण प्रदेश की 103425 एकड़ उपजाऊ भूमि तथा ब्यास परियाजनाओं ;डैहर तथा पौंगद्ध के कारण 65563 एकड़ भूमि के जलगमन होने के कारण हिमाचल प्रदेश को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
भारत सरकार के दिनांक 16 अगस्त 1983 के पत्र व्यवहार के दिशानिर्देशानुसार 19 व 20 जनवरीए 1987 को आयोजित बीबीएमबी की 124वीं बैठक में हिमाचल प्रदेश को बीबीएमबी परियोजनाओं में पूर्व प्रभावी तिथि से सहयोगी राज्य का दर्जा दिया गया थाए परन्तु मामले को अभी भी मूर्तरूप प्रदान नहीं किया गया। माननीय सर्वाच्च न्यायालय ने 27ण्9ण्2011 के अपने फैसले में हिमाचल प्रदेश की 7ण्19 प्रतिशत की हिस्सेदारी को मान्यता दी थी।
माननीय प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करने तथा यदि आवश्यक हुआ तो पंजाब पुनर्गठन अधिनियमए 1966 में संशोधन कर हिमाचल प्रदेश को पूर्ण कालीन सदस्य के रूप में शामिल करने का आग्रह किया गया तथा हिमाचल प्रदेश को बीबीएमबी में सहयोगी राज्य अधिसूचित किया जाएए ताकि प्रदेश को इन परियोजनाओं में न्यायोचित हक मिल सके।
हिमाचल परिक्षेत्र में बीबीएमबी परियोजनाओं से जलापूर्ति के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र की शर्त को समाप्त करनाः
भाखड़ा नंगल समझौता 1959 तथा 31दिसंबर 1998 के अंतरराजीय समझौते के अनुसार हिमाचल प्रदेश को सतलुज तथा रावी व ब्यास से पानी का कोई आबंटन नहीं किया गया है। सतलुजए ब्यास तथा रावी नदियों से हिमाचल प्रदेश के जल उपयोग अधिकारों को देखते हुएए हिमाचल प्रदेश के लिये भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्डध्मंत्रालयोंध्विभागों से जलापूर्ति योजनाओं तथा परियोजना से लगते प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की जलापूर्ति के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री को अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की शर्त को समाप्त करने का आग्रह किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार हिमाचल प्रदेश राज्य को विद्युत एरियर दावों का भुगतान किया जाएः
हिमाचल प्रदेश राज्य ने पंजाब तथा हरियाणा राज्यों के विरूद्ध बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन में 3957 करोड़ रुपये के विद्युत एरियर दावों को 5जुलाई 2011 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप प्रस्तुत किया था। भारत सरकार ने यद्यपि अलग से एनएफएल दरों की संस्तुति की थी, जो हिमाचल प्रदेश को मान्य नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश के दावों को केवल राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटिड की दरों तक सीमित रखना न केवल घोर अन्याय हैए बल्कि सहभागी राज्यों की भावनाओं के विरूद्व भी है क्योंकि एनएफएल की दरों को रियायती दरें माना जाता है तथा रियायती दरें कभी भी समझौते की दरें नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के शुद्ध वर्तमान मूल्य का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाएः
एफसीएए 1980 के अंतर्गत प्रदेश को सड़कों के निर्माण के लिये वन भूमि के उपयोग के एवज़ में सीए तथा एनपीवी जमा करना होता हैए जो अनिवार्य है। गत तीन वर्षों में प्रदेश ने विभिन्न प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाओं की सड़कों के लिये सीए तथा एनपीवी के रूप में लगभग 60 करोड़ रुपये जमा किए हैं। निकट भविष्य में स्थिति और गंभीर होने वाली हैए क्योंकि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आने वाली लगभग सभी सड़कें वन क्षेत्र से गुजरती हैं। प्रदेश की कठिन वित्तीय स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया कि प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाओं की एनपीवी केन्द्र सरकार द्वारा वहन की जाए।
केन्द्रीय क्षेत्र त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (आईबीपी) तथा बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी):
प्रधानमंत्री से भारत सरकार द्वारा एआईबीपी तथा एफएमपी के अंतर्गत पूर्व स्वीकृत योजनाओं के लिये धनराशि जारी करने का आग्रह किया गया।
अधिकांश ऐसी परियोजनाओं के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा निजी संसाधनों से ही भारी धनराशि व्यय की जा चुकी है तथा इसका भुगतान करना केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा अभी भी शेष है।
11ण्मनरेगा के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के लिये उपयोगी और अधिक गतिविधियों को शामिल किया जाएः
भांग के पौधे हिमाचल प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में प्राकृतिक तौर पर उगते हैं। यह एक गंभीर सामाजिक खतरा बन जाता है। प्रदेश सरकार ने आग्रह किया है भांग के पौधों को उखाड़ना भी मनरेगा की पात्र गतिविधि शामिल किया जाए। ग्रामीण विकास विभाग ने पहले ही 22 अगस्तए 2016 से 5 सितम्बर, 2016 तक भांगध्अफीम उन्मूलन अभियान शुरू किया था तथा इस अभियान के अंतर्गत 2145.79 हेक्टेयर क्षेत्र से भांग उखाड़ी गई।
प्रदेश में छोटे तथा मझौले किसानों द्वारा चाय की खेती की जाती हैए न कि असम एवं पश्चिम बंगाल राज्यों की तरह जहां बड़े किसान इस व्यवसाय से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि चाय बागानों के पुनर्जीवन को भी मनरेगा गतिविधि में शामिल किया जाए।
हिमालयन सर्किट ;स्वदेश दर्शन योजनाद्ध के अंतर्गत धनराशि जारी करनाः
प्रदेश सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत हिमालयन सर्किट के तहत 100 करोड़ रुपये की परियोजनाऐं केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय को वित्त पोषण हेतु सौंपी हैं।
मुख्यमंत्री ने हिमालयन सर्किट योजना के अंतर्गत धनराशि जारी करने के लिये भी केन्द्र सरकार से आग्रह किया।
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