शिमला/अर्की।स्वेच्छिक संस्था मांगल विकास परिषद, मांगल ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मांग की हैं कि जिला सोलन के बागा व भलग में जेपी कंपनी के लिए अधिग्रहित की गई 200 बीघा से ज्यादा व दाड़ला में अंबुजा सीमेंट कंपनी के लिए अधिग्रहित 100 बीघा के करीब जमीन के अधिग्रहण को सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के मुताबिक रदद माना जाए।उन्होंने मांग कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पालना करने को लेकर सरकारी मशीनरी को जरूरी कार्यवाही करने के आदेश दें। परिषद ने कहा कि जे पी कंपनी व अंबुजा ही नहीं इस फैसले को पूरे प्रदेश में लागू किया जाए।
परिषद के महासचिव व हाईकोर्ट के एडवोकेट नंद लाल चौहान ने ‘द वर्किंग फ्रैंडस कोआपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी लिमिटेड बनाम स्टेट ऑफ पंजाब व अन्य’ और रतन सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि राइट टू फेयर कंपनसेंशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्यूजेशन रिहेबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट-2013 से पहले जिन किसानों की जमीनों का जबरन अधिग्रहण हो चुका है व पांच व पांच साल से ज्यादा किसानों के कब्जे में हैं,उस जमीन की अधिग्रहण प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट ने रदद करार दे दिया है।
चौहान ने कहा कि जे पी कंपनी के लिए आठ साल व अंबुजा कंपनी के लिए 12 साल पहले जमीनें अधिग्रहित की गई थी ।किसान इन खेती योग्य जमीनों को कंपनी के लिए नहीं देना चाहते थे। लेकिन सरकार ने कंपनी के लिए जबरन अधिग्रहण कर दिया और मुआवजा ट्रेजरी में जमा करा दिया। लेकिन इन किसानों ने विरोधस्वरूप अपनी जमीनों का ये मुआवजा नहीं लिया और जमीन अपने कब्जे में ही रखी।इन जमीनों में किसान आज भी खेती कर रहे हैं।जबकि सरकार ने इन कंपनियों के दबाव व मिलीभगत से सरकारी दस्तावेजों में किसानों की सहमति के बिना इन जमीनों का इंतकाल कंपनियों के नाम कर दिया।जबकि असल में कब्जा इन्हीं किसानों के पास है।
चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी स्थितिमें की गई अधिग्रहण प्रक्रिया को अवैध माना है।इसलिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूरे प्रदेश में लागू करना चाहिए ताकि किसानों को तकलीफों का सामना न करना पड़े ।
चौहान ने कहा कि इस फैसले के लागू न होने की सूरत में किसानों को इन जमीनों पर न तो किसान क्रेडिट कार्ड पर बैंकों से कर्ज मिल रहा हैं और न ही ग्रीन हाउस, पानी के टैंकों व किसानों के लिए मिलने वाली बाकी सब्सिडी इन किसानों को मिल पा रही है।
जिससे इन किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा हैं व किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से भी वचिंत रहना पड़ रहा हैं।
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