शिमला। जिला किन्नौर के विभिन्न संगठनों ने जिला के बेटसेरी और निगुलसरी में बीते दिनों आए भूस्खलन में हुई मौतों व पर्यावरण की तबाही को देखते हुए जिला में सतलुज नदी पर सभी प्रस्तावति पन बिजली परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग की है।
इस बावत आज दोहपर को किन्नौर के जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में स्थानीय संगठनों हिमलोक जागृति मंच, जिला वन अधिकार संघर्ष समिति, जंगी थोपन पोवारी प्रभावित संघर्ष समिति और हंगरंग संघर्ष समिति के संयुक्त तत्वावधान में हजारों जन जातीय आबादी के अस्तित्व को बचाने के आहवान के साथ रैली निकाली ।
जंगी संघर्ष समिति के संयोजक रोशन लाल नेगी ने कहा कि इस मौके पर कहा कि 780 मेगावाट की बनने वाली जंगी थोपन परियोजना का जमकर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक इन आपदाओं को लगातार कुदरती बताते हुए पन बिजली परियोजनाओं को क्लीन चिट देते आएं है। उन्होंने कहा कि उनकी प्रशासन, सरकार और वैज्ञानिकों से बातचीत हो चुकी है। अब और परियोजनाएं नहीं लगने दी जाएंगी।
उन्होंने कहा कि जंगी थोपन परियोजना से पूरा खदरा गांव खतरे में आ जाएगा। सतलुज नदी पर यह गांव मिटटी के पहाड़ पर बसा है। पहले यहां पर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाया जा रहा था। लेकिन लगातार भूस्खलन की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग का रास्ता बदलना पड़ा था और दूसरी लगा पुल लगाकर रास्ता बदला गया था। लेकिन इसी गांव से होकर अब जंगी थोपन परियोजना के लिए सुरंग प्रस्तावित है। जब राष्ट्रीय राजर्मा नहीं बन सका तो सुरंग कैसे बनेंगी। यह गांव तो पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आकर नीचे सतलुज में जा पहुंचेगा। ऐसे में इस क्षेत्र से किसी भी तरह की छेड़छाड़ करना इस इलाके व यहां की आबादी के लिए घातक साबित होगा।
हंगरंग संघर्ष समिति के अध्यक्ष शांता कुमार नेगी ने इस मौके पर कहा कि पन बिजली परियोजनाओं का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रविरोधी होने का इल्जाम चस्पां दिया जा रहा है और कंपनियां व प्रशासन मिल कर स्थानीय लोगों को डराना व उन्हें आपस में बांटने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वह लोकतंत्र में रहते है व संविधन में जन जातीय क्षेत्रों को खास अधिकार दिए गए है।
हिमधरा पर्यावरण समूह की मांशी आशर ने कहा कि मुनाफाखोर विकास की अंधी दौड़ में न केवल पर्यावरण का विनाश हुआ है बल्कि असमानतांए भी बढ़ी है। विकास के इस मॉडल में कंपनियों का दबदबा चलता है और राजनीतिक पार्टियां इन कंपनियों के लिए बिचौलियों का काम करती है।बड़े पैमानों पर संसाधनों के हो रहे निजीकरण से चंद कंपनियों का ही विकास हो रहा है और आम लोगों को अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ रहा है।हिमालयन नीति अभियान के गुमान सिंह ने कहा कि अगर आज सत्ता में बैठी में सरकार ने किन्नौर में बन रहे बांधों पर रोक नहीं लगाई तो उन्हें इतिहास में हत्यारा करार दिया जाएगा।
इस मौके पर जन जातीय क्षेत्रों में वनाधिकार कानून 2006 और नौतोड़ को लागू करने के सरकार के निराशाजनक रवैये पर भी सवाल उठे। जिला वन अधिकार समिति के अध्यक्ष ने प्रशासनिक अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें कानूनों के प्रावधानों का कोई ज्ञान नहीं है व इस तरह के दावों को वह ऊल जलूल आपतियां लगाकर लौटा रहे हैं ।
स्पिति सिविल सोसायटी के ताकपा तेंजिन और सोनम तारंगे ने कहा कि किन्नौर का यह संघर्ष पूरे जन जातीय क्षेत्र का आंदोलन है व लाहुल स्पिति के तमाम लोगों का इसके लिए पूरा समर्थन है व अब इस आंदोलन को बाकी जनजातीय क्षेत्रों में भी ले जाएंगे।
जंगी की जिला परिषद सदस्य प्रिया ने कहा कि किन्नौर का यह आंदोलन दलगत राजनीति से ऊपर उठकर किन्न्नौर के अस्तित्व के लिए लड़ा जाएगा। खदरा व रांरग संघर्ष समिति के संयोजक सुंदर नेगी ने मंच से एलान किया कि अगर सरकार ने लोगों की मांग को नहीं माना तो आने वाले चुनावों में किन्नौर की जनता सबक सिखा देगी। इस मौके पर इन संगठनों ने मुख्यमंत्री को एक सात सूत्रीय मांग पत्र भेजा।
(64)