शिमला। चार वामपंथियों के जाल में फंसी भाजपा शिमला नगर निगम के चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनकी जुडंली पर भरोसा करने के बजाय मोदी सरकार में मंत्री व आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार जगत प्रकाश नडडा को उतार दिया हैं।निगम चुनावों के प्रचार व पार्षदों को जीताने का जिम्मा प्रदेश में भाजपा के मौजूदा समय में सबसे बड़े नेता प्रेम कुमार धूमल को नहीं दिया गया हैं। धूमल की टीम शुरूआती दौर में चुनाव के कामकाज से बाहर हैं।नडडा छोटी से छोटी मीटिंग भी नहीं छोड़ रहे हैं।
ये चुनाव इसलिए दिलचस्प हो गए हैं कि भाजपा देश से वामपंथियों को नेस्तनाबूद करना चाहती है लेकिन पिछले पांच सालों में शिमला नगर निगम में चार वामपंथियों ने राज किया और कांग्रेस व भाजपा दोनों को बेहतर परफार्म करने की चुनौती दे डाली हैं। वामपंथियों ने पानी,स्मार्ट सिटी,क्रप्शन से लेकर हर मसले पर इन दोनों स्थापित दलों को जवाब देने के लिए बुरी तरह से बाध्य कर रखा हैं।वामपंथियों का शहर में इन दोनों दलों से ज्यादा मजबूत काडर नहीं हैं। फिर भाजपा को चैलेंज वामपंथियों से मिल रहा हैं। पिछले निगम में मेयर व डिप्टी के अलावा माकपा की दो महिला पार्षद थी। उतर भारत के किसी भी नगर निगम में केवल चार वामपंथियों का पांच साल तक राज करना हैरानी वाला हैं।
दूसरी ओर धूमल का शिमला से भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज से अंदर खाते छत्तीस का आंकड़ा चला हुआ हैं।ऐसे में लगा कि धूमल कहीं भीतरघात न करे सो उन्हें सीन से बाहर रखने का इंतजाम कर नडडा को मैदान में उतार दिया गया।नडडा की सबसे बड़ी ताकत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दोस्ती हैं।कांग्रेस ने पहले ही अपने पते कमजोर रखे हैं।
ऐसे में सारा कामकाज बीजेपी से सीएम पद के अघोषित दावेदार जगत प्रकाश नडडा व उनकी टीम ने अपने हाथ में ले लिया हैं।धूमल विरोधी खेमे के विधायक महेंद्र सिंह ठाकुर,शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज, अर्की के विधायक गोबिंद राम शर्मा, सिरमौर व सोलन जिला के नेता राजीव बिंदल मैदान में उतार दिए गए हैं। मंडी से ही भाजपा विधायक भी जयराम ठाकुर भी नडडा खेमे के साथ दीवार की तरह खड़े हैं।
धूमल खेमे से नरेंद्र बरागटा ने कमान संभाली हैं।गणेश दत जो शिमला से विधायक का टिकट लेने के लिए मौजूदा विधायक सुरेश भारद्वाज की काट में लगे रहते हैं, को भी ज्यादा भाव नहीं दिए जा रहे हैं। धूमल खेमे को बीच में आना पड़ रहा हैं।
पार्टी के सूत्र बताते है कि धूमल खुद को इन चुनावों से अलग नहीं रख सकते हैं।वो दो एक दिनों में शिमला में आने के लिए मजबूर हो जाएंगे। उनके बेटे अनुराग ठाकुर की एचपीसीए से जुड़े दो लोगों की बीवियां पार्षद का चुनाव लड़ रही हैं। इसके अलावा उनके खेमे के पांच छह और प्रत्याशी हैं जिन्हें धूमल व अनुराग ठाकुर किसी भी कीमत पर निगम में पहुंचाना चाहेंगे। धूमल के बेटे व भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने पहले ही एचपीसीए के दम पर अपनी एक बड़ी जुंडली शहर में खड़ी की हुई हैं। भाजपा मुख्यालय में जो आईटी सेल है वहां भी धूमल खेमे का वर्चस्व हैं। नडडा की खबरें व तस्वीरें भाजपा मुख्यालय से कम ही आती हैं।ऐसे में नडडा का छोटे से शहर के निकाय चुनावों में उतरना पार्टीमें मची खलबली को उजागर कर रहा हैं।
दूसरी ओर शिमला से भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज इन चुनावों में पार्टी की भीतरी जंग में फंस गए थे। कई टिकट उनके मुताबिक नहीं दिए गए। इसके अलावा उन्हें ये भी खतरा था कि उनके शहर में अगर धूमल खेमे के ज्यादा पार्षद जीत गए तो उन्हें विधायकी का चुनाव जीतने के लिए धूमल के आगे झुकना पड़ सकता हैं। वो ये कतई नहीं चाहते हैं। बताते है कि ऐसे में इस छोटे से चुनाव में मोदी-शाह जुंडली के ताकतवर इक्के को चुनाव का जिम्मा सौंपा गया हैं। शुरूआती दौर में धूमल को बाहर रख कर उनकी फजीहत करने का इंतजाम कर दिया गया हैं। बताते है कि अब गणेश दत और बरागटा धूमल व उनके खेमे की वकालत कर उन्हें इन चुनावों में शिरक्त् दिलाएंगे। ये दिलचस्प हैं ।
चूंकि निगम चुनावों में वामपंथी मुकाबले में हैं ऐसे में मोदी–शाह जुंडली हिमाचल के भाजपाइयों को कभी माफ नहीं करेगी अगर उन्होंने इन चुनावों में कुछ सफलता हासिल कर ली।
नडडा ने आज शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन भी किया और दिलचस्प दावा किया कि शिमला शहर स्मार्ट सिटी की सूची से कांग्रेस व वामपंथियों की वजह से बाहर रही ।जबकि इस मसले पर वामपंथी हाईकोर्ट गए थे। वामपंथियों ने ही ये खुलासा किया था कि आंकड़ों के साथ हेर फेर किया गया हैं। उन्होंने एफआईआर दर्ज कराने की धमकी भी दी थी। वामपंथियों की ओर से बीते दिन ही दावा किया गया कि हाईकोर्ट में मोदी सरकार व वीरभद्र सरकार ने शपथपत्र दे रखा है कि शिमला स्मार्ट सिटी की पात्रता पूरी नहीं करता हैं। बहरहाल ये दावे- प्रतिदावे हैं। चूंकि नडडा केंद्र की सरकार में ताकतवर मंत्री हैं ऐसे में स्थानीय बीजेपी नेता उनके मुंह से जो भी बुलवाए व सटीक होना चाहिए। अन्यथा उनकी विश्वसनीयता का संकट खड़ा हो जाएगा। धूमल खेमा पहले से ही उनकी छवि ‘गोली’देने वाले नेता की बनाते रहे हैं। जब वो धूमल सरकार में मंत्री थे तो भी उनको लेकर कई हंसाई वाली कहानियां चलाई जाती थी।
नडडा व भाजपा के आगे बड़ी चुनौती शिमला नगर निगम में भगवा लहराने की तो है ही इसके अलावा लाल झंडे को भी नेस्तनाबूद करने की हें। अगर उन्होंने कोई कुप्रचार किया तो वामपंथी उन्हें घेरने से छोड़ेंगे नहीं। निगम चुनावों में जो होगा उसका असर आगमी विधानसभा चुनावों में भी जरूर पड़ेगा। इन चुनावों में उतर भारत में शिमला में पनप रहे वामपंथी नेस्तनाबूद हो जाएंगे ये देखना तो दिलचस्प रहेगा ही साथ ही धूमल -नडडा खेमे की भिडंत भी मजेदार रहेगी। निगम चुनावों का नतीजा 17 जून को आएगा जबकि वोटिंग 16 जून को होगी।
भाजपा की मुश्किल ये है कि शहर मे उसका मेयर कभी भी नहीं रहा हैं जबकि उतर भारत जो भाजपा व कांग्रेस का गढ़ हैं में वामपंथियों ने जगह बना रखी हैं।उधर, जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं उससे इस बार भी माकपा व कांग्रेस मिलकर मेयर व डिप्टी मेयर बना ले, हैरानी नहीं होगी। लेंगे। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व माकपा नेता सीतीराम येचूरी में पहले से ही याराना हैं।
राजीव –बिंदल व महेंद्र सिंह ठाकुर चुनाव जीताने के मामले में बेहतर रणनीतिकार माने जाते रहे हैं। खासकर महेंद्र सिंह ठाकुर की वर्किंग हैरान करने वाली हैं।इसी तरह की वर्किंग नडडा की भी हैं।
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