शिमला। पंजाब के वित व योजना मंत्री मनप्रीत बादल ने मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कि अनाज माफिया व मोदी सरकार के बीच सांठगांठ हैं।आलम ये है कि रोजाना 35 किसान खुदकशी कर रहे हैं।मोदी सरकार में ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा हैं।2014 में 12360 किसानों व किसान मजदूरों ने आत्महत्या की। 2016 में विशेषज्ञों के शुरूआती अनुमानों के मुताबिक ये आंकड़ा 14 हजार तक पहुंच गया हैं। मनप्रीत बादल शिमला में मोदी सरकार के सता में तीन साल पूरे होने पर देश में मोदी सरकार के दावों के विपरीत मुल्क के किसानों की बदहाली उजागर कर रहे थे।
रेवाड़ी में सरकार बनने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता से वादा किया था कि सरकार के सता में आने पर एमएस स्वामीनाथन कमिशन की सिफारिशों को लागू करेंगी। जिसके तहत किसानेां को किसानी की लागत व 50 फीसद आय किसानों को सुनिश्चित कराने का भरोसा था। इस वादे को भाजपा के घोषणापत्र में भी शामिल किया गया। लेकिन सता में आने के बाद मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी सरकार इन सिफारिशों को लागू नहीं कर सकती। कर्ज माफी आर्थिकी का सही तरीका नहीं हैं।जबकि मोदी सरकार ने कारोबारी घरानों के 1लाख 54 करोड़ के कर्जमाफ कर दिए।उन्होंने कहा स्वामीनाथन कमिशन की सिफारिशें राज्य सरकारें लागू नहीं कर सकती,उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अचछी नहीं हैं। इन्हें मोदी सरकार को लागू करना चाहिए।क्योंकि ये वादा मोदी सरकार ने ही किया था कांगेस ने कभी भी स्वामीनाथन कमिशन की सिफारिशों को लागू करने की बात नहीं की। उन्होंने कहा कि देश के किसानों की स्थिति काबिले रहम हैं।
उन्होंने कहा कि 2015 -16 में सरकार ने 44 रुपए प्रतिकिलो दालें आयात की और यहां लाकर 230 रुपए में
उन्होंने खुलासा किया कि 2016 में खरीफ की फसल का निजी बीमा कंपनियों ने 17184.79 करोड़ रुपए प्रीमियम वसूला इसमें से किसानों को मुआवजा केवल 6808.48 करोड़ रुपए दिया गया। प्राइवेट निजी कंपनियों ने 10376. 31 करोड़ रुपएका मुनाफा कमाया।ये गलत हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार अब फसल बीमा योजना खुद शुरू करेगी व बीमा से होने वाले मुनाफे से किसानों को आत्महत्या पर जो अभी छह लाख रुपए मुआवजा दिया जा रहा है उसे 25 से 30 लाख रुपए दिया जाएगा।उनके बच्चों को कौशल इसके अलावा किसानों को और भी सुविधाएं दी जाएंगी। पूरे साल में रबी और खरीफ की फसल पर प्राइवेट बीमा कंपनियों को 20 हजार करोड़ रुपए का मुनाफा पहुंचाया गया।
यूपी की योगी सरकार की किसानों की कर्जा माफी के दावों को लेकर कहा कि यूपी के सवा दो करोड़ किसानों के कर्जों को माफ करने की घोषणा की गई हैं।वहां पर केवल 86 लाख 68 हजार किसान ही बैंकिंग सिस्टम हैं।1करोड़ 28 लाख किसान,जिन्होंने महाजनों से कर्जा लिया हैं ,उनका कर्जा माफ नहीं हो पाएगा। योगी सरकार की कलई खोलते हुए मनप्रीत बादल ने कहा 4 अप्रैल 2017 को योगी सरकार ने दावा किया कि उसने 31 मार्च 2016 तक के 30 हजार करोड़ के कर्जें माफ कर दिए हैं।लेकिन उसने ये छिपा दिया कि किसानों ने 31 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 तक कितना कर्जा लौटा दिया था।
उन्होंने खुलासा किया कि असल में कृषि कर्जा एक साल में दो बार रबी और खरीफ की फसलों को दिया जाता हैं। किसान हर फसल का कर्जा वापस करते है तभी उन्हें नए सिरे से कर्जा लेने को पात्र होते हैं। उन्होंने योगी सरकार से इस मसले पर श्वेतपत्र लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि योगी सरकार दीर्घ कालिक कर्ज माफ न करने की वजह क्यों नहीं बता रही हैं।
बादल ने इल्जाम लगाया कि मोदी सरकार किसानों से गेंहू व चावल की कम मात्रा खरीद रही हैं और दूसरी और गेंहू पर आयात डयूटी 25 से कम करके जीरों कर दी हैं।
यही नहीं मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण की योजना में भी फंडिंग में भारी कटौती की हैं।नेश्नल फूड सिक्योरिटी मिशन को 2014-15 में1799करोड़जारी किए गए 2015-16 में इसे घटा कर 10670 2016-17में 998 करोड़ कर दिया गया।
इसीतरह राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को 2014-15 में 8363,2015-16 में 3918करोड़ व 2016-17 में 3559 करोड़ जारी किए गए।
नेश्नल हॉर्टिकल्चर मिशन के तहत 2014-15 में 1068 करोड़,2015-16 में770 करोड़ और 2016-17 में 915 करोड़ जारी किए।
बड़ा सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की केबिनेट में कोई भी मंत्री ऐसा नहीं हैं जो किसानों का चैंपियन रहा हो। जबकि अब तक कि जितनी भी सरकारे रही उन सबमें कोई कृषि मंत्री वही होता था किसानों को चैंपियन रहा हो । उन्होंने मोदी सरकार से आहवान किया कि वो बाकी बचे दो सालों में किसी ऐसे व्यक्ति को कृषि मंत्री बनाएं जिसका खेती से वास्ता रहा हो।
मनप्रीत ने ये भी कहा कि जो समाज चोर व चौकीदार,शराब व शरबत,कातिल और मकतल में अंतर नहीं कर पाता उस समाज को घाटे में रहना पड़ता हैं।
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