शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के सखा व हाल ही में क्रास वोटिंग करने वाले सुजानपुर से कांग्रेस विधायक रहे राजेंद्र राणा का राजनीतिक उभार राजधानी के वुडविला कांड के बाद ही उभरा था। लेकिन अब वह पंचकूला के ललित होटल में फंस गए हैं। वह बाकी नेताओं जैसे होशियार सिंह, रवि ठाकुर, सुधीर शर्मा , के एल ठाकुर समेत वहां 27 तारीख के बाद की सारी रातें वहीं काट रहे हैं।
आइएएस अधिकारी के पुत्र चैतन्य शर्मा और दूसरे नेता देवेंद्र भुटटो तो चलो अभी युवा हैं। आज सात मार्च हो गया है। ये सब घर नहीं आ रहे हैं। होटल में ये क्या कर रहे हैं ये किसी को पता नहीं हैं। इन्होंने मंदिर की तस्वीरें तो साझा की थी लेकिन होटल के भीतर की तस्वीरें साझा नहीं की है। शायद वह भाजपा वाले जब मौका आएगा तो साझा करेंगे। पंचकूला के नजदीक ही मोरनी है। मोरनी तो मोरनी ही हैं। खूब मशहूर हैं। ये विधायक जितना दिन महंगे होटलों में ठहरेंगे उतनी ज्यादा बातें प्रदेश में फैलेंगी। भला ऐसे कोई होटलों में ठहरता भी हैं।
बहरहाल जिक्र वुडविला होटल का हो रहा था। धूमल सरकार में वहां पर दो लड़कियों के साथ कुछ लोगों को पकड़ा गया था। तब कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ने तत्कालीन विदया स्टोक्स ने धूमल को इसकी जानकारी दी थी व कुछ बड़ा होता पुलिस ने सब कुछ संभाल लिया था। तब राजेंद्र राणा भी उसी होटल में थे।
दिसंबर 2012 में वीरभद्र सिंह की सरकार के सत्ता में आने के बाद लोकसभा चुनावों के दौरान राणा ने यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि अगर वो वुडविला कॉलगर्ल कांड का राज खोल देते है तो भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को अपनी बीवी का सामना करना मुश्किल हो जाएगा। बस तभी से वीरभद्र सिंह उनके मुरीद हो गए थे। उन्हें अपने पाले में कर दिया था आपदा प्रबंधन बोर्ड में ओहदेदारी दी गई । इसके बाद वीरभद्र सिंह ने राणा को आसमान पर पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। वीरभद्र सिंह को किसी भी तरह धूमल को चारों खाने चित करना था।
वह भाजपा के एक खेमे का साथ ले कर इस अभियान में एक हद तक सफल भी हुए। लेकिन धूमल व उनके पुत्रों ने वीरभद्र सिंह को चैन से सोने नहीं दिया। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के सहारे उनने वीरभद्र सिंह के तमाम भ्रष्टाचार के मामलों को सीबीआइ से लेकर ईडी के दरवाजे तक पहुंचा दिए। लेकिन राणा के मजे लगे रहे हैं। वह हालीलाज कांग्रेस की छतरी के नीचे आराम फरमाते रहे व सफलता की सीढि़या भी चढ़ते रहें। वुडविला कांड के राजदार वह थे ही।अब भी हैं। सबसे दिलचस्प यह था कि वुडविला कॉलगर्ल्ज कांड कांग्रेस की चार्जशीट में शामिल था लेकिन जब राणा कांग्रेस में आए तो यह मामला खुला ही नहीं ।अगर खुलता तो शायद राणा भी चपेट में आ जाते।
लेकिन जैसे ही सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता संभाली तो वह हाशिए पर धकेले जाने की राजनीति की आंच से झुलसने लगे। हालीलाज कांग्रेस ने कोई मौका नहीं छोड़ा और उन्हें क्रास वोटिंग कराने के लिए मना लिया। कांग्रेस के भीतरी सूत्र बताते है कि ऊना से देवेंद्र भुटटो और चैतन्य शर्मा को टिकट दिलवाने में राणा ने ही मदद की थी। वोटिंग के मामले में वह भी साथ हो लिए।
राणा अरसे से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व धूमल परिवार के राजनीतिक दुश्मन जगत प्रकाश नडडा के संपर्क में रहे है ऐसा उनके करीबी एक अरसे से दावा करते रहे हैं। इस खेमे में जयराम भी पूरी तरह से शामिल हैं। नडडा राजनीतिक तौर पर धूमल परिवार को तबाह करने का सपना पाले हुए हैं।पुराना हिसाब जो चुकता करना हैं।
ऐसे में बिसात बिछी और क्रास वोटिंग के बाद सरकार का गिराने का पूरा इंतजाम हो गया। 28 फरवरी की सुबह ही जिस दिन बजट पास होना था हालीलाज कांग्रेस के युवराज विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर सरकार के गिरने को लगभग तय ही कर दिया था। लेकिन स्पीकर पठानिया ने जैसे -कैसे सरकार बचा ली।
अब राणा ललित होटल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसपूरे प्रकरण पर धूमल परिवार की नजर नहीं हैं। ललित होटल के भंवर में राणा को डूबोने के लिए वो भी तैयार बैठे हैं। शायद राणा को मालूम नहीं कि भाजपा के जो विधायक विक्रम सिंह ठाकुर है वह धूमल खेमे से हैं। अगर राणा ने कहीं कोई ऊंच नीच कर दी तो राणा को महंगे होटल के भंवर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। उनकी राजनीति का उभार एक होटल से शुरू हुआ था व अब कहीं अवसान भी किसी होटल से ही शुरू न हो। इंतजार तो रहेगा ही।
(157)