शिमला। वामंपथी विधायक राकेश सिंघा व नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री समेत तमाम कांग्रेस विधायकों की ओर से कडा विरोध करने और वाकआउट करने के बावजूद सरकार ने बहुमत के बल पर नगर निगम चुनावों को पार्टी के चुनाव चिन्हों पर कराने को लेकर लाए गए नगर निगम संशोधन विधेयक को पारित कर दिया। फिलहाल अब अगले आगमी दिनों में होने वाले चार नगर निगमों के चुनावों को पार्टीं चिन्हों पर कराने का रास्ता साफ हो गया है। अब राज्यपाल को इस पर दस्तख्त करने है।
कांग्रेस पार्टी के विधायक जगत सिंह नेगी और वामपंथी विधायक राकेश सिंघा की ओर कई बिंदुओं पर आपति जताई गई। सिंघा ने यहां तक कहा कि अगर इस विधेयक को इस रूप में पारित कर दिया जाता है तो वह ही इसके खिलाफ अदालत में चुनौती दे देंगे।
जबकि जगत सिंह नेगी ने अन्य बिंदुओं का मसला उठाते के अलावा प्रक्रियाओं के पालन को लेकर भी सवाल उठाए। उनकी ओर से प्रक्रियाओं को लेकर पीठाध्यक्ष से व्यवस्था की मांग करने पर सरकार सदन में असहज भी हो गई।
नेगी ने कुछ संशोधन दिए थे लेकिन उन्हें मंजूर नहीं किया गया। नेगी ने कहा कि संशेधन देने के लिए एक दिन का समय दिया जाता है। विधानसभा की ओर से यह समय कब दिया गया यह बताया जाए। विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि पांच मार्च को दोनेां पक्षों की लॉबी में इस बावत सूचना रख दी गई थी। इस पर नेगी ने सीसीटीवी फुटेज निकालने की मांग कर डाली।
इस बीच सिंघा ने कहा कि नेगी और उनकी ओर से दिए जा रहे संशोधनों को वह आज मंजूर कर लें इन पर चर्चा हो सकती है। लेकिन इन्हें मंजूर नहीं किया गया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी कहा कि इन संशोधनों को ले लिया जाए व विधेयक को कल या परसों भी तो पारित किया जा सकता है।
आज सदन में शहरी विकास व कानून मंत्री सुरेश भारदवाज ने इस विधेयक को चर्चा व पारित करने के लिए सदन में रखा। विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने विधेयक में दलबदलू कानून के तहत फैसला करने की शक्तियां जिला उपायुक्त को दी गई है। जिला उपायुक्त तो सरकार का मुलाजम होता है। वह तो वही करेगा जो सरकार कहेगी। इस बावत फैसला राज्य चुनाव आयोग को करने की शक्तियां देनी चाहिए।
इसके अलावा अनुसूचित जाति व जनजाति ,अन्य पिछडा वर्ग को रोसटर के आधार पर आरक्षण देने का प्रावधा किया है। साथ ही इसमें लिख दिया है करोस्टर के हिसाब से आरक्षण तय होगा या फिर लाटरी के आधार पर होगा। सिंघा व नेगी ने अइस पर आपति जताई की लाटरी सिस्टम आरक्षण देने का आधार कैसे हो सकता है। इसे हटाया जाना चहिए।नेगी ने आपति जताई कि अगर क्रास वोटिंग होती है तो उसका पता कैसे लगाया जाएगा। उन्होंने कहा जिस तरह से राज्यसभा के चुनावों में मतदान होता हैउसी तरह से यहां भी प्रावधान किया जाए।
वामंपथी विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि अयोग्य ठहराने के मामले में जिला उपायुक्त का फैसला आख्खिरी होगा। यह कैसे हो सकता है। अपील का कोई प्रावधान ही नहीं है। न्यायिक पडताल को कैसे रोका जा सकता है।
इसके अलावा विलय को लेकर भी इस विधेयक के प्रावधान आपतिजनक है। इसमें लिखा गया है कि अगर किसी पार्टी के दो ही पार्षद चुनकर आते है और उनमें से एक दल बदलना चाहता है और दूसरा नहीं । ऐसे में विलय कैसे होगा। यहां तीन चौथाई सदस्यों का फैसला कैसे किया जाएगाफ। ऐसे में सौ फीसद सदस्यों का विलय होना चाहिए अन्यथा सदस्यों को अयोग्य ठहरा देना चाहिए। अन्यथा खरीद फरोख्त होती रहेगी।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ज्यादा बदलाव नहीं किया है जो नगर निगम अधिनियम पहले बना है उसी के आधार पर ये सब किया गया है। सरकार चाहती है कि नए बनाए गए नगर निगमों के चुनव धर्मशाला के साथ हो जाए। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर रोस्टर सिस्टम को ही अपनाया जाएगा। वह भरोसा देते है कि जो नियम बनेंगे उनके लाटरी के जरिए आरक्षण का निर्धारण करने को हटा दिया जाएग।
इस पर विपक्षी सदस्यों ने आपति जताई और कहा कि ऐसे कैसे हो सकता है।
भारदवाज ने कहा कि जहां तक अपील का मामला है तो याचिका के जरिए कोई भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
इन सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया। लेकिन संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारदवाज ने कहा कि यह विधेयक ठीक है और इसे पारित किया जाए। विधानसभा उपाध्यक्ष ने इसे पारित करने की प्रक्रिध्या शुरू कर दी तो विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया व सदन में ध्वनिमत से यह विधेयक पारित कर दिया गया।
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